Saturday, May 4, 2024
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कोरबा: ये कैसी अनुमति…? रेत घाट के अंदर ही दे दिया रेत भंडारण का परमीशन, रेत उठाव की आड़ में चल रहा अवैध खनन…खनिज अमला मौन…मिलीभगत की आ रही बू…?

कोरबा(BCC NEWS 24)। बारिश का मौसम शुरू होने के साथ ही 10 जून 2021 से रेत घाटों को प्रतिबंधित कर दिया गया है। यहां से अब ना तो रेत खोदी जानी है और ना ही परिवहन होना है। प्रतिबंध से पहले ठेका प्राप्त जिन लोगों ने अलग से भंडारण की अनुमति प्राप्त कर रेत का भंडारण कर लिया है, वह अपने कार्य क्षेत्र के लिए इसे ले जा सकते हैं। दूसरी ओर इस तरह के नियम की आड़ लेकर कुछ ठेकेदार के द्वारा घाट के निकट ही भंडारण की रेत उठाव की आड़ में नदी से रेत खोदकर ले जाई जा रही है। रेत की लगातार चोरी की जा रही है। रेत घाट प्रतिबंधित करने के बाद भी सुबह से रात तक ट्रैक्टर रेत भरकर शहर की सड़कों पर दौड़ रहे हैं, कोई रोकने- टोकने वाला नहीं है।

इसके बारे में कहा जा रहा है कि रेत घाट के क्षेत्र में जाकर रेत निकाली और परिवहन की जा रही है जबकि इन दिनों इस तरह का कोई भी कार्य रेत घाट के क्षेत्र में नहीं होना है। रेत खनन के लिए अलग और उसका भंडारण के लिए अलग से अनुमति लेनी होती है। रेत घाटों में किसी भी सूरत में रेत भंडारण की अनुमति नहीं दी जाती और पर्यावरण संरक्षण नियम भी यही कहता है। नियमो के अनुसार इस समय तो घाट में प्रवेश ही प्रतिबंधित रहता है और रेत घाट से न्यूनतम 100 मीटर की दूरी पर ही रेत भंडारण की अनुमति देना होता है लेकिन यहां तो घाट से महज कुछ मीटर दूर ही भंडारण की अनुमति दी गई है।
इधर दूसरी ओर अपने हिसाब से यहां गंगा बहाई जा रही है। सीतामढ़ी स्थित रेतघाट से सुबह से रात तक ट्रैक्टर रेत भरकर आना-जाना कर रहे हैं। इसके विषय में तर्क दिया जाता है कि ठेकेदार को घाट क्षेत्र के निकट रेत भंडारण की अनुमति दी गई है। खनिज अधिकारी एसएस नाग कहते हैं कि पानी के नीचे की रेत भंडारण क्षेत्र में शामिल नहीं होती और ठेकेदार को घाट के निकट भंडारण की अनुमति दी गई है। लेकिन इन दिनों बारिश के कारण हसदेव नदी का उपरोक्त रेत घाट लबालब है। ऐसे में घाट क्षेत्र में रेत का भंडारण नियम विरुद्ध है, फिर कैसे यहां अवैध भंडारण की अनुमति प्रदान कर दी गई? सूत्र बताते हैं कि रेत घाट और भंडारण स्थल दोनों एक ही जमीन है और दोनों का खसरा भी एक ही है फिर ऐसे में आखिर क्यों खनिज और राजस्व विभाग इस ओर से अपनी आंखें मूंद कर पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन करने की न सिर्फ छूट दे रहा है बल्कि सरकार को भी एक तरह से चपत लगाने में मदद की जा रही है।

इस बारे में खनिज अधिकारी एसएस नाग से जानकारी चाहने पर उनका कहना था कि अभी रेत घाट प्रतिबंधित है, संबंधित व्यक्ति को स्टोरेज के लिए घाट के निकट अनुमति दी गई है। पानी में रेत भंडारण की अनुमति नहीं रहती। श्री नाग से रेत खनन के लिए रॉयल्टी नहीं दिए जाने की जानकारी ट्रेक्टर चालकों से मिलने के सवाल पर कहा कि यदि ऐसा हो रहा है तो इसके बारे में खनिज निरीक्षक को बोलकर पड़ताल करवाएंगे।

रायल्टी की दर तो 491 रुपये निर्धारित है इसमें भी लोडिंग करके देना होता है लेकिन खेल कुछ ऐसा है कि रायल्टी पर्ची मांगने पर एक हजार रुपये और बिना रायल्टी पर्ची के 500 रुपये देकर रेत ले जाई जाती है और लोडिंग भी स्वयं को करना है। इस कार्य में लगे ट्रैक्टर चालकों की मानें तो एक दिन में एक ही रायल्टी पर्ची पर दिन भर रेत ढोते हैं। हर ट्रिप के लिए अलग-अलग पर्ची दी ही नहीं जाती। और 491 की जगह 2500 से 3000 वसूला जा रहा है।
बहरहाल खनिज अधिकारियों की जांच पड़ताल कब और कैसे होगी, यह तो वक्त बताएगा लेकिन इतना जरूर है कि नियमों को ताक पर रखकर व तोड़-मरोड़ कर किसी न किसी तरह से चहेते ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने का काम जरूर हो रहा है। इस बारे में कोरबा कलेक्टर को त्वरित संज्ञान लेकर कार्रवाई करने की आवश्यकता है क्योंकि रेत के खेल में सरकार के राजस्व का तेल जोरों से निकाला जा रहा है ।

क्या बिना जांच के ही राजस्व विभाग ने दे दी एनओसी…?
जब किसी ठेकेदार द्वारा रेत भंडारण के लिए अनुमति मांगी जाती है तो राजस्व विभाग से भी एनओसी लेना अनिवार्य होता है सीतामढ़ी रेत घाट के अंदर भंडारण के लिए भी कोरबा के अनुविभागीय अधिकारी से एनओसी पत्र लिया गया है ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या अनुविभागीय अधिकारी द्वारा बिना जांच के ही नदी में भंडारण की अनुमति दे दी गई है या फिर ठेकेदार को लाभ पहुंचाने की दृष्टि से उससे मिलीभगत कर यह कार्य किया गया है।

जानकारी के बावजूद कार्यवाही नहीं
ऐसा नहीं है कि खनिज विभाग को रेत के अवैध उत्खनन के संबंध में जानकारी नहीं है कुछ दिनों पूर्व भी इसी रेत घाट से पर्यावरण के नियमों को ताक पर रखकर मशीनों से अवैध उत्खनन किया जा रहा था साथ ही रॉयल्टी के खेल की जानकारी भी मीडिया द्वारा बकायदा खनिज विभाग के निरीक्षक सहित आला अधिकारियों को दी गई थी इसके बावजूद काफी दिनों तक तो कार्यवाही नहीं की गई बाद में कार्यवाही के नाम पर खानापूर्ति जरूर की गई जिसकी जानकारी भी कई बार मांगने पर नहीं दी जा रही थी विभाग की कार्यशैली से रेत के क्षेत्र में लंबा खेल होने की बात से इनकार नहीं किया जा सकता।

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