Friday, May 17, 2024
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कोविडशील्ड, कोवैक्सीन और स्पूतनिक वी में से कौन-सी वैक्सीन है ज्यादा असरदार, जानें इन तीनों वैक्सीन में अंतर…

देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर रुकने का नाम नहीं ले रही है। रोज 3 लाख से ज्यादा लोग कोरोना की चपेट में आ रहे हैं और हजारों लोग अपनी जान गंवा रहे हैं। देश के कई राज्यों में ऑक्सीजन, आईसीयू बेड और वेंटिलेटर की भारी कमी हो गई है। ऐसे में कोरोना से बचने के लिए लोग वैक्सीन पर आस लगाए बैठे हैं। वैक्सीन शरीर में एंटीबॉडी बनाने का काम करता है और भविष्य में वायरस के हमले की आशंका होने पर शरीर को सुरक्षा दिलाने के लिए सचेत करता है। केंद्र सरकार ने भी देश में 1 मई से 18 साल से ऊपर के सभी लोगों को वैक्सीन लगाने की अनुमति दे दी है। लोग आज से ही अपना रजिस्ट्रेशन करना शुरू कर सकते हैं। 1 मई से वैक्सीन लगवाने के लिए 18 से 45 साल तक के लोगों को पहले ही रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी होगा। ऐसे में लोग अपनी पसंद का सेंटर और वैक्सीन चुन सकते हैं। भारत में अभी तक दो वैक्सीन लगाई जा रही थी, लेकिन अब से रूस की स्पूतनिक वी को भी इमरजेंसी मंजूरी मिल चुकी है। भारत को 1 मई को कोरोना वायरस के खिलाफ रूस की स्पूतनिक वी वैक्सीन का पहला बैच मिल जाएगा। हालांकि पहले बैच में कितने टीके होंगे, इस बात की जानकारी अभी नहीं मिल पाई है। इसका मतलब ये हुआ कि देश के पास अब कोरोना से बचाव के लिए तीन वैक्सीन उपलब्ध होंगी। इसमें कोवैक्सीन और कोविडशील्ड भारत की ही वैक्सीन है, जबकि तीसरी वैक्सीन स्पूतनिक वी को हाल ही में इमरजेंसी मंजूरी मिली थी। ऐसे में भारत के पास अब कोवैक्सीन, कोविडशील्ड और स्पूतनिक वी वैक्सीन उपलब्ध होंगी। लेकिन क्या आप इन तीनों के बारे में जानते हैं? आपको इन तीनों में अंतर पता है? इन तीनों में से कौन-सी ज्यादा असरदार है? तो चलिए जानते हैं मसीना हॉस्पिटल के पल्मोनोलॉजिस्ट डॉक्टर संकेत जैन से कोवैक्सीन और कोविडशील्ड में अंतर। देशभर में अभी तक 8 करोड़ लोगों को वैक्सीन लग चुकी हैं और लाखों वैक्सीन डोज विदेशों में निर्यात की जा चुकी हैं।

कोवैक्सीन (Covaxin)

डॉक्टर संकेत जैन बताते हैं कि भारत की कोवैक्सीन का निर्माण हैदराबाद में स्थित भारत बॉयोटेक कर रही है। भारत बॉयोटेक ने आईसीएमआई के साथ मिलकर इस वैक्सीन को बनाया था। इस वैक्सीन में दो डोज दिए जाते हैं। दोनों डोज के बीच 4 हफ्तों का अंतर होना चाहिए। कोवैक्सीन को 2-8 डिग्री सेंटीग्रेड पर संग्रहित किया जा सकता है। यह वैक्सीन लगभग 80 प्रतिशत प्रभावी है। कोवैक्सीन एक निष्क्रिय टीका है, इसे पूरी दृष्टि के साथ विकसित किया गया है। इसके लिए उसी तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, जिसका उपयोग पोलियो और दूसरी अन्य बीमारी के लिए टीके तैयार करने के लिए किया गया था। इसके प्रशासन का तरीका इंट्रामस्क्युलर (Intramuscular) है।

कोविडशील्ड (Covidshield)

डॉक्टर संकेत जैन बताते हैं कि कोविडशील्ड वैक्सीन देश की ही वैक्सीन है। इस वैक्सीन का निर्माण ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका ने मिलकर किया है, जिसे सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने बनाया है। इसलिए इसे ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन के नाम से भी जाना जाता है। कोविडशील्ड में भी पहले 4 हफ्तों का अंतर रखा गया था लेकिन अब इसे 6-8 सप्ताह तक कर दिया गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि कोविडशील्ड 6-8 हफ्तों के अंतर में लगाने पर ज्यादा असरदार साबित हो रही है। इस वैक्सीन को भी 2-8 डिग्री सेंटीग्रेड पर संग्रहित किया जा सकता है। कोविडशील्ड वैक्सीन कोरोना वायरस से बचाव करने के लिए लगभग 80 प्रतिशत प्रभावी है। कोविडशील्ड को वायरल वेक्टर प्लेटफॉर्म का उपयोग करके तैयार किया गया है। इसमें एक चिंपांजी एडेनोवायरस (Chimpanzee Adenovirus)-CHAD0X1 को मानव की कोशिकाओं में कोविड-19 स्पाइक प्रोटीन ले जाने में सक्षम करने के लिए संशोधित किया गया है।

स्पूतनिक वी (Sputnik V)

भारत में अभी तक कोविडशील्ड और कोवैक्सीन ही लगाई जा रही थी, लेकिन कुछ दिनों पहले रूस की स्पूतनिक वी को भी इंमरजेंसी मंजूरी मिल गई है। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने इसे आपात उपयोगी के लिए मंजूरी दी थी। यह दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन है, जिसे रूस ने तैयार किया था। भारत में इसे तीसरी वैक्सीन के रूप में मंजूरी मिली है। अभी तक 60 देशों ने इस वैक्सीन को मंजूरी दे दी है। इस वैक्सीन का निर्माण गामालेया रिसर्च इंस्टीट्यूट ने किया है। यह वैक्सीन 92 प्रतिशत प्रभावी है। यह एक सुरक्षित वैक्सीन है, जिसका कोई गंभीर साइड इफेक्ट अभी तक नजर नहीं आया है। इसके साइड इफेक्ट बहुत हल्के हैं इसमें गले में दर्द, थकान और तापमान बढ़ना शामिल हैं। इसे 21 दिन में दूसरी डोज दी जाती है। स्पूतनिक वी के डेवलपर्स के अनुसार इस वैक्सीन को 2-8 डिग्री तापमान के बीच स्टोर किया जा सकता है।

कोरोना वायरस की गति को कम करने या रोकने के लिए वैक्सीनेशन बेहद जरूरी है। भारत का लक्ष्य जुलाई तक 250 मिलियन लोगों का टीकाकरण करना है। जितनी जल्दी-जल्दी वैक्सीनेशन किया जाएगा, कोरोना वायरस की दर को भी उसी तरह से रोका जा सकता है। अगर आप भी 18 साल से ऊपर के हैं, तो 1 मई से वैक्सीन जरूर लगवाएं। वैसे तो ये सभी वैक्सीन सुरक्षित हैं, लेकिन अगर फिर भी आपको वैक्सीन लगवाने के बाद कोई साइड इफेक्ट नजर आएं, तो एक बार डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

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