Monday, May 6, 2024
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छत्तीसगढ़ : जिला सहकारी केंद्रीय बैंक में फ्रॉड: योजनाओं के नाम पर 14.89 करोड़ रुपए का गबन; बैंक के पूर्व अध्यक्ष प्रीतपाल बेलचंदन सहित संचालक मंडल पर FIR…

छत्तीसगढ़ के दुर्ग स्थित जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित के पूर्व अध्यक्ष प्रीतपाल बेलचंदन सहित संचालक मंडल पर धोखाधड़ी कर बैंक को आर्थिक नुकसान पहुंचाने का मामला दर्ज हुआ है।

  • दुर्ग कोतवाली में बैंक के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने दर्ज कराया मामला
  • साल 2016 से 2020 के बीच बिना अनुमति अनुदान राशि और छूट देने का आरोप

भिलाई/ छत्तीसगढ़ के दुर्ग स्थित जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित में 14.89 करोड़ रुपए से ज्यादा के गबन का मामला सामने आया है। इसको लेकर बैंक के मुख्य कार्यपालन अधिकारी (CEO) पंकज सोढी ने दुर्ग कोतवाली में FIR दर्ज कराई है। बैंक के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व BJP नेता प्रीतपाल बेलचंदन सहित संचालक मंडल पर बिना अनुमति अनुदान राशि और एकमुश्त समझौता योजना में छूट देने का आरोप है।

जिला सहकारी केंद्रीय बैंक में प्रीतपाल बेलचंदन और निर्वाचित संचालक मंडलजून 2015 से जून 2020 तक कार्यरत थे। आरोप है कि अप्रैल 2014 से मई 2020 के बीच पंजीयक सहकारी संस्थाएं से बिना अनुमति लिए 234 मामलों में 1313.50 लाख की अनुदान राशि गोदाम निर्माण के लिए दी गई। ऐसे ही अगस्त 2016 से जून 2019 तक एकमुश्त समझौता योजना में नियमों के विपरीत जाकर 186 मामलों में 175.61 लाख की छूट प्रदान की गई।

शिकायत के बाद कलेक्टर ने किया था जांच टीम का गठन
बैंक के पूर्व अध्यक्ष प्रीतपाल बेलचंदन और निर्वाचित संचालक मंडल पर धोखाधड़ी का आरोप था। कलेक्टर से की गई शिकायतों के आधार पर ADM बिरेन्द्र बहादुर पंचभाई, उप पंजीयक सहकारी संस्थाएं विनोद कुमार बुनकर, ऑडिटर अजय कुमार और कोऑपरेटिव इंस्पेक्टर एके सिंह की संयुक्त जांच टीम गठित की गई थी। टीम ने जांच कर 248 पन्नों की रिपोर्ट कलेक्टर को सौंपी और इसमें बैंक के आर्थिक नुकसान की बात कही गई।

20 सालों से ज्यादा समय से सक्रिय रहे भाजपा में

सहकारिता के चाणक्य माने जाने वाले प्रीतपाल बेलचंदन ने करीब 9 माह पहले BJP से इस्तीफा दे दिया था। वे करीब 20 साल से भाजपा में सक्रिय थे। साल1997 में पहली बार बैंक के संचालक मंडल में चुनकर आए। 2004 में पुनर्गठन समिति के अध्यक्ष बने। 2008 से लगातार जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष रहे। इस दौरान भी उनके ऊपर बैंक गतिविधियों पर अनियमितता के भी आरोप लगे थे। तब उन्हें पद से हटाने के आदेश दिए गए।

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