लोरमी: छत्तीसगढ़ के अचानकमार टाइगर रिजर्व में एक बाघिन शिकार होते-होते बच गई। पिछले चार दिन से गंभीर रूप से घायल अवस्था में घूम रही इस टाइग्रेस को जंगल से बिलासपुर के कानन पेंडारी जू लाया जा रहा है। जहां उसका इलाज किया जाएगा। बाघिन को बचाने के लिए कान्हा नेशनल पार्क, उदंती सीतानदी और रायपुर जंगल सफारी के डाक्टर, एक्सपर्ट यहां पहुंचे थे।
चार दिन पहले ग्रामीणों ने वन विभाग को दी थी सूचना
टाइगर रिजर्व के छपरवा रेंज के सांभरधसान जंगल में एक बाघिन घायल अवस्था 4 दिन से घूम रही थी। इसकी सूचना ग्रामीणों नें अचानकमार टाइगर रिजर्व के अधिकारियों को दी थी। बावजूद उसके एटीआर प्रशासन ने उसके रेस्क्यू का कोई प्रयास नहीं किया। धीरे-धीरे बात जंगल से कोटा-लोरमी के लोगों और फिर रायपुर वन विभाग के अधिकारियों तक पहुंची। पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ नरसिम्हा राव को भी यह खबर दी गई। इसके बाद वन विभाग का अमला सक्रिय हुआ। पीसीसीएफ ने खुद जिम्मा संभाला और कान्हा नेशनल पार्क प्रबंधन से डाक्टर व एक्सपर्ट भेजने कहा। सोमवार शाम को पीसीसीएफ अपने साथ उदंती और रायपुर जंगल सफारी की टीम लेकर अचानकमार पहुंचे। बाघिन का लोकेशन कल्हर पानी के पास मिला। मंगलवार तड़के 4 बजे से रेस्क्यू शुरू किया गया। टीम को जल्द ही बाघिन दिख गई। पहले उसे ट्रैक्यूंलाइज करने की बात कही गई, लेकिन कान्हा से आए एक्सपर्ट ने बाघिन को घायल बताते हुए पहले ऐसा करने से मना कर दिया, बाद में बेहद सावधानी से उसे बेहोश किया गया और पिंजरे में डाला गया।
गंभीर रूप से घायल है टाइग्रेस
अधिकारिक तौर पर अभी तक वन विभाग ने बाघिन की हालत को लेकर और उसके घायल होने के कारण पर कोई बयान जारी नहीं किया है। अधिकारी फोन उठाने और कुछ भी बताने से बच रहे हैं, लेकिन एक कर्मचारी ने बताया कि टाइग्रेस गंभीर रूप से घायल है। उसके पीठ और पैर में घाव हैं। ऐसी आशंका जताई जा रही है कि ये घाव शिकार के दौरान या फिर शिकारियों के द्वारा जंगली जानवरों को मारने के लिए बिछाये गये कांटेदार तार के हो सकते हैं।
कानन पेंडारी जू के अस्पताल में होगा इलाज
वन विभाग के अधिकारी और रेस्क्यू टीम बाघिन को लेकर जंगल से निकल गई है। बताया जा रहा है कि पहले बाघिन को बिलासपुर के कानन पेंडारी जू के अस्पताल में लाया जाएगा। यहां प्रारंभिक उपचार के बाद यह तय किया जाएगा कि आगे और कहीं भेजा जाना है या यहीं पूरे इलाज की व्यवस्था करनी है।
छपरवा में लगातार हो रहे हैं शिकार
अचानकमार टाइगर रिजर्व के जंगल में लगातार हो रही शिकार की घटनाओं ने बड़ी चिंता खड़ी कर दी है। टाइगर रिजर्व बनने के बाद से शिकार के मामले तेजी से बढ़े हैं, जबकि एटीआर की व्यवस्था और बेहतर होनी चाहिए थी। एटीआर का छपरवा इलाका बीते कुछ सालों से शिकारियों के लिए सबसे महफूज औऱ पसंद का ठिकाना बना हुआ है। छपरवा के जंगल में खुलेआम शिकारी जंगली जानवरों को अपना निशाना बनाते रहते हैं। बीते दिनों यहां भालू, बाइसन के शव भी बरामद हुए थे। वहीं आये दिन जंगली जानवरों के शव यहां मिलते रहते हैं।