Sunday, May 5, 2024
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टैक्स रेवेन्यू की चिंता: पेट्रोलियम पर एग्री सेस से छत्तीसगढ़ को एक हजार करोड़ का नुकसान होगा, CM भूपेश बघेल ने केंद्रीय वित्त मंत्री को लिखा पत्र…

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने यह पत्र राज्य के वित्तीय संसाधनों को लामबंद करने के मकसद से लिखा है। इसका मकसद राज्य के करों की कटौती कर वित्तीय नुकसान पहुंचाने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार और भाजपा पर डालने की भी दिख रही है।

  • एक्साइज ड्यूटी की राशि पहले की तरह राज्यों को देने की मांग की
  • कहा, एक्साइज ड्यूटी में कटौती होने से प्रदेश को होगा अतिरिक्त नुकसान

रायपुर/ बजट पेश करने से पहले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को टैक्स रेवेन्यू में संभावित कमी से होने वाली दिक्कतों की चिंता सताने लगी है। मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर उनसे छत्तीसगढ़ को मिलने वाली एक्साइज ड्यूटी के रूप में मिलने वाली राशि पहले की तरह देने का आग्रह किया है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पत्र में लिखा है, कोविड महामारी के दुष्प्रभावों के कारण वित्तीय दृष्टि से अत्यंत कठिन वर्ष रहा है। इस वर्ष राज्य में सभी आर्थिक गतिविधियों पर विपरीत प्रभाव पड़ने के कारण राज्य के स्वयं के वित्तीय स्रोतों में लगभग 30 प्रतिशत की कमी आना संभावित है। मुख्यमंत्री ने लिखा, हाल ही में आये केन्द्रीय बजट में पेट्रोलियम पदार्थों, सोने-चांदी एवं अन्य अनेक वस्तुओं पर एक्साइज ड्यूटी में कमी कर उसके स्थान पर ‘कृषि अधोसंरचना विकास सेस’ लगाने की घोषणा आपके द्वारा की गई है। इससे छत्तीसगढ़ को आगामी वित्तीय वर्ष में 900 से 1000 करोड़ रुपए का अतिरिक्त नुकसान होना संभावित है।

मुख्यमंत्री ने लिखा, ‘कृषि अधोसंरचना विकास कोष’ की स्थापना का निर्णय स्वागत योग्य है, लेकिन एक्साइज ड्यूटी कम करने के निर्णय से राज्य के संसाधनों पर विपरीत असर पड़ेगा। उन्होंने कहा, पहले से ही वित्तीय संकट से जूझ रहे राज्य को एक्साइज ड्यूटी कटौती से होने वाली अतिरिक्त क्षति से लोक कल्याणकारी कार्यक्रमों पर विपरीत असर पड़ेगा। मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय वित्त मंत्री से कहा है कि केंद्र की तुलना में राज्यों के पास राजस्व के सीमित संसाधन हैं। ऐसे में छत्तीसगढ़ को मिलने वाली एक्साइज ड्यूटी की राशि पहले की तरह देने रहने का अनुरोध किया है।

GST बकाये की भी याद दिलाई

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केंद्रीय वित्त मंत्री को GST क्षतिपूर्ति के बकाये और चावल के कोटे में कटौती की भी याद दिलाई है। मुख्यमंत्री ने लिखा, वर्ष 2020-21 में राज्य की GST क्षतिपूर्ति मद में केन्द्र सरकार से अभी भी 3700 करोड़ रुपए की राशि मिलना बाकी है। वहीं केन्द्र सरकार ने राज्य से 60 लाख मीट्रिक टन चावल लेने की घोषणा के बाद 16 लाख मीट्रिक टन की कटौती कर दी है। इसकी वजह से राज्य सरकार को खरीदे गये धान का निराकरण करने में बड़ा नुकसान होगा।

पहले भी करते रहे हैं विरोध

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल केंद्रीय बजट आने के अगले दिन से ही एग्री सेस का विरोध कर रहे हैं। पिछले 7 फरवरी को उन्होंने कहा था, इस सेस के लगने से आम जनता पर महंगाई का बोझ बढ़ेगा। मुख्यमंत्री ने कहा था, इस सेस की राशि राज्यों को नहीं मिलने वाली है। यह राशि सीधे केंद्र को जाएगी। यह हानिकारक है। उन्होंने कहा था, केंद्र सरकार को यह सेस वापस लेना चाहिए।

एक्साइज ड्यूटी में कटौती कर लगा था सेस

महीने के पहले सप्ताह में आए केंद्रीय बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एग्री इंफ्रा सेस की घोषणा की थी। इसके मुताबिक इस साल पेट्रोल पर प्रति लीटर 2.5 रुपया और डीजल पर 4 रुपया सेस लगाया जाएगा। इस सेस से मिलने वाली रकम का इस्तेमाल कृषि क्षेत्र के विकास में करने की बात कही गई थी। केंद्र सरकार का दावा था, इस सेस के लगने के बाद भी पेट्रो उत्पादों में महंगाई नहीं बढ़ेगी। कहा गया, सरकार ने सेस लगाने से पहले पेट्रोलियम उत्पादों से बेसिक एक्साइज ड्यूटी और स्पेशल एडिशनल एक्साइज ड्यूटी की मौजूदा दरों को कम कर दिया है।

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