Thursday, May 2, 2024
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रायपुर: आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की सरकार को ललकार – मानदेय रुका तो घेर लेंगी अफसरों के घर-द्वार

आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के एक और संगठन ने पोषण ट्रैकर एप्प का विरोध करते हुए कहा है कि अगर इसकी वजह से मानदेय रोका या काटा गया, तो ऐसा करने वाले अधिकारी के निवास का घेराव किया जाएगा। दूसरी तरफ, आंगनबाडी कार्यकर्ताओं की एक अन्य प्रतिनिधि तथा छत्तीसगढ़ जुझारू आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका कल्याण संघ की पूर्व कवर्धा जिला अध्यक्ष पार्वती यादव ने भी शासकीय दर्जा देने की मांग को लेकर राज्य सरकार को ललकारा है।

आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की सरकार को ललकार – मानदेय रुका तो घेर लेंगी अफसरों के घर-द्वार

रायपुर। छत्तीसगढ़ की आंगनबाड़ी कार्यकर्ताएं अपने अल्प मानदेय का हवाला देते हुए पोषण ट्रैकर एप्प का विरोध करती रही हैं। इससे पहले भी कुछ संगठनों ने इसक प्रति अपना विरोध प्रकट किया है। अभी ताजा विरोध छत्तीसगढ़ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका संघ का सामने आया है। संघ ने महिला एवं बाल विकास विभाग की सचिव के नाम पत्र लिखकर अपना विरोध व्यक्त किया है। छत्तीसगढ़ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका संघ की प्रांताध्यक्ष सरिता पाठक की तरफ से लिखे गए पत्र में 5 बिंदुओं के आधार पर बताया गया है कि आखिर क्यों उन पर पोषण ट्रैकर एप्प के लिए दबाव न बनाया जाए। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का कहना है कि पूरे प्रदेश में 10 से ज्यादा जिले ऐसे हैं, जहां मोबाइल नेटवर्क की समस्या है। ऐसे में मोबाइल ट्रैकर एप्प से काम करना संभव नहीं है। दूसरी बात, 2017 में प्रदेश के दो या तीन जिलों की कार्यकर्ताओं को विभाग ने मोबाइल या टैब वितरित किया था, बाकी 25 जिलों की कार्यकर्ताओं को तो आज तक मोबाइल नहीं मिला, तो फिर पोषण ट्रैकर एप्प को डाउनलोड किसमें करें? तीसरी बात, कार्यकर्ताओं को बमुश्किल छह या सात हजार रुपए मानदेय मिलता है। इतने कम मानदेय में वे घर चलाएं या मोबाइल खरीदें? चौथी बात, मोबाइल तो दूर रिचार्ज तक का पैसा विभाग से नहीं मिलता। पांचवीं बात, कई जिलों में चार-पांच माह से आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का मानदेय भी रोक दिया गया है।

कोंडागांव : नक्सलियों ने 12 गाड़ियों को किया आग के हवाले, सड़क निर्माण में लगी थी गाड़ियां छत्तीसगढ़ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका संघ का कहना है कि ऐसी परिस्थिति में पोषण ट्रैकर एप्प से आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के मानदेय को कनेक्ट करके मानदेय रोकना या काटना अनुचित है। इसलिए पोषण एप्प के लिए दबाव न बनाया जाए। संघ का कहना है कि इसके बाद भी अगर विभाग ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की बातें नहीं मानी, और मानदेय रोका या काटा गया, तो संबंधित अधिकारी के निवास का घेराव किया जाएगा। उधर, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की एक अन्य लीडर पार्वती यादव ने भी राज्य सरकार से मांग की है कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को भी शासकीय कर्मचारी का दर्जा दिया जाए, उसके बाद शासकीय कर्मचारियों की तरह काम सौंपा जाए और काम के लिए दबाव बनाया जाए। अल्प मानदेय में इतनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर पाना व्याहारिक रूप से कितना कठिन है, इसे विभाग भी समझे और सरकार भी समझे। यादव कहती हैं कि छत्तीसगढ़ में कुपोषण, कोरोना जैसी भीषण समस्याओं के खिलाफ जमीनी स्तर पर लड़ाई लड़ने वाली आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की मांगों, उनकी समस्याओं की तरफ राज्य सरकार का ध्यान नहीं देना, उग्र आंदोलन के लिए मजबूर करने वाली बात है। यदि सरकार समय रहते मांगों पर उचित निर्णय नहीं लेती है, और उसे लागू नहीं करती है, तो राज्य सरकार को आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के उग्र प्रदर्शन का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए। आपको बता दें कि इससे पहले भी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के विभिन्न संगठनों ने अपनी मांगों और पोषण ट्रैकर एप्प को लेकर अपनी समस्याएं सरकार और सरकारी अफसरों तक पहुंचा चुकी हैं। लेकिन, इस पर आश्वासन के अलावा अभी तक कोई प्रतिक्रिया सरकार की तरफ से नहीं आई है।

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