Wednesday, July 2, 2025

वॉशिंगटन: राष्ट्रपति ट्रम्प ने निकाली ‘गोल्ड कार्ड’ स्कीम, अब पैसे देकर खरीद सकेंगे वीजा, 43 करोड़ में मिलेगी अमेरिकी नागरिकता

वॉशिंगटन: राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अमेरिका की नागरिकता देने के बदले 5 गुना ज्यादा पैसा वसूल करने वाले हैं। ट्रम्प ने मंगलवार को ‘गोल्ड कार्ड’ नाम से एक नए वीजा प्रोग्राम को शुरू करने का ऐलान किया। इसे 5 मिलियन डॉलर (44 करोड़ भारतीय रुपए) में खरीदा जा सकता है। ट्रम्प ने इसे अमेरिकी नागरिकता का रास्ता बताया है।

ट्रम्प ने ‘गोल्ड कार्ड’ को EB-5 वीजा प्रोग्राम का विकल्प बताया और कहा कि भविष्य में 10 लाख गोल्ड कार्ड बेचे जाएंगे। फिलहाल अमेरिकी नागरिकता के लिए EB-5 वीजा प्रोग्राम सबसे आसान रास्ता है। इसके लिए लोगों को 1 मिलियन डॉलर (करीब 8.75 करोड़ रुपए) देने होते हैं।

ट्रम्प ने कहा कि यह वीजा कार्ड अमेरिकी नागरिकता के रास्ते खोलेगा। इसे खरीदकर लोग अमेरिका आएंगे और यहां बहुत ज्यादा टैक्स भरेंगे। उन्होंने दावा किया कि यह प्रोग्राम बहुत सफल होगा और इससे राष्ट्रीय कर्ज का भुगतान जल्द हो सकता है।

ट्रम्प ने गोल्ड कार्ड से जुड़े एग्जीक्यूटिव ऑर्डर पर दस्तखत किए। इस दौरान उनके साथ कॉमर्शियल सेक्रेटरी हॉर्वड लुटनिक भी थे।

ट्रम्प ने गोल्ड कार्ड से जुड़े एग्जीक्यूटिव ऑर्डर पर दस्तखत किए। इस दौरान उनके साथ कॉमर्शियल सेक्रेटरी हॉर्वड लुटनिक भी थे।

ग्रीन कार्ड के जैसे स्पेशल राइट भी मिलेगा

ट्रम्प ने मंगलवार को वीजा प्रोग्राम से जुड़े एक्जीक्यूटिव ऑर्डर पर दस्तखत करते हुए कहा कि गोल्ड वीजा कार्ड नागरिकों को ग्रीन कार्ड जैसा स्पेशल राइट देगा। उन्होंने कहा कि इस प्रोग्राम के 2 हफ्ते में शुरू होने की उम्मीद है। ट्रम्प ने यह भी कहा कि नई योजना के बारे में विस्तार से जानकारी जल्द ही दी आएगी।

इस दौरान उनके साथ कॉमर्शियल सेक्रेटरी हॉर्वड लुटनिक भी मौजूद थे। उन्होंने कहा कि नए वीजा प्रोग्राम से देश में निवेश बढ़ेगा, इसके साथ ही EB-5 से जुड़ी धोखाधड़ी रुकेगी और नौकरशाही पर लगाम लगेगी।

अमेरिका विदेशी नागरिकों को अपने यहां स्थायी तौर पर रहने के लिए ग्रीन कार्ड देता है। इसके बाद विदेशी नागरिकों को वीजा लेने की जरूरत नहीं पड़ती है। हालांकि ग्रीन कार्ड से अमेरिका की नागरिकता नहीं मिलती है।

अमेरिका विदेशी नागरिकों को अपने यहां स्थायी तौर पर रहने के लिए ग्रीन कार्ड देता है। इसके बाद विदेशी नागरिकों को वीजा लेने की जरूरत नहीं पड़ती है। हालांकि ग्रीन कार्ड से अमेरिका की नागरिकता नहीं मिलती है।

35 साल पुरानी व्यवस्था बदलेंगे ट्रम्प

अमेरिका में स्थायी तौर पर रहने के लिए ग्रीन कार्ड की जरूरत होती है। इसके लिए EB-1, EB-2, EB-3, EB-4 वीजा प्रोग्राम हैं, लेकिन EB-5 वीजा प्रोग्राम सबसे ज्यादा बेहतर है। यह 1990 से लागू है। इसमें शख्स किसी रोजगार देने वाले नियोक्ता से नहीं बंधे होते हैं और अमेरिका में कहीं भी रहकर काम या फिर पढ़ाई कर सकते हैं। इसे हासिल करने में 4 से 6 महीने लगते हैं।

EB-4 वीजा प्रोग्राम का मकसद विदेशी निवेश हासिल करना है। इसमें लोगों को किसी ऐसे बिजनेस में 1 मिलियन डॉलर का निवेश करना होता है, जो कम से कम 10 नौकरियां पैदा करता हो। यह वीजा प्रोग्राम निवेशक, उसकी पति या पत्नी और 21 साल के कम उम्र के बच्चों को अमेरिकी स्थायी नागरिकता देते हैं।

भारतीय लोगों पर क्या असर होगा?

रिपोर्ट्स के मुताबिक वे भारतीय जो अमेरिकी नागरिकता लेने के लिए EB-5 प्रोग्राम पर निर्भर थे, उनके लिए ‘ट्रम्प वीजा प्रोग्राम’ काफी महंगा पड़ सकता है। EB-5 कार्यक्रम को खत्म करने से लंबे ग्रीन कार्ड बैकलॉग में फंसे स्किल्ड भारतीय प्रोफेशनल्स को भी नुकसान हो सकता है।

भारतीय आवेदकों को पहले से ही रोजगार-आधारित ग्रीन कार्ड कैटेगरी के तहत दशकों तक इंतजार करना पड़ता है। गोल्ड कार्ड की शुरुआत के साथ इमिग्रेशन सिस्टम उन लोगों के लिए और भी चुनौतीपूर्ण हो सकता है जो भारी कीमत नहीं चुका सकते।


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