Sunday, September 8, 2024
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शहद के शौकीन हो जाएं सावधान ! सभी बड़े ब्रांड्स के सैंपल हुए फेल….

CSE के अनुसार, ये कंपनियां चीन में बनी शुगर सिरप का इस्तेमाल कर रहीं हैं ताकि टेस्टिंग में आसानी से पकड़ में न आएं. चीन इन शुगर सिरप को खास तरह के ‘डिजाइन’ के तहत तैयार करता है ताकि भारतीय प्रयोगशालाओं के परीक्षणों को चकमा दिया जा सके.

नई दिल्ली: कोरोना काल में सेहतमंद रहने और इम्यूनिटी को बूस्ट करने के लिए अगर आप भी शहद का सेवन करते हैं तो सावधान हो जाइए. उसमें चीनी की मिलावट है. सेंटर फॉर साइंस की रिपोर्ट के मुताबिक, सभी बड़े ब्रांड्स के सैंपल टेस्ट में फेल हो गए हैं.

CSE के अनुसार, ये कंपनियां चीन में बनी शुगर सिरप का इस्तेमाल कर रही हैं ताकि टेस्टिंग में आसानी से पकड़ में न आएं. चीन इन शुगर सिरप को खास तरह के ‘डिजाइन’ के तहत तैयार करता है ताकि भारतीय प्रयोगशालाओं के परीक्षणों को चकमा दिया जा सके. शहद को एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-माइक्रोबियल गुणों के लिए जाना जाता है. जो हमारी इम्यूनिटी को स्ट्रांग बनाता है. उसी शहद के धोखे में हम चीनी खा रहे हैं, जो हमारा वजन बढ़ाती है. डॉक्टरों के अनुसार, कोविड-19 से अधिक वजन वाले लोगों को ज्यादा खतरा है. 

FSSAI नहीं ले रहा कोई एक्शन
CSE के मुताबिक, खाद्य नियामक भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) इस मामले में आंख मूंदे बैठा है. हालांकि यह कहना मुश्किल है कि उसे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है या उसकी मिलीभगत है. एनजीओ के मुताबिक चीन की कंपनियां और शुगर सिरप के बारे में कुछ अस्पष्ट सी बातें सामने आ रही थीं लेकिन इस रहस्यमयी सिरप और कंपनियों के बारे में कोई ठोस सबूत नहीं थे.

RTI में जानकारी होने से किया इनकार
मई माह में एफएसएसएआई ने शुगर सिरप के आयातकों के लिए एक आदेश जारी किया, जिसमें कहा गया कि शहद में मिलावट के सबूत मिले हैं. यह भी कहा गया कि खाद्य आयुक्त इसकी जांच करें. इस बारे में FSSAI में लगाई गई RTI दूसरे मंडलों में भेजी गई, जिनका जवाब आया कि ‘सूचना उपलब्ध नहीं है.’ FSSAI के आदेश में जिस शुगर सिरप का जिक्र था, केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के आयात-निर्यात डाटाबेस में उसका नाम तक नहीं मिला.

फरवरी में नियम बदलने के कारण हुआ खुलासा
फरवरी में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने निर्यात किए जा रहे शहद के लिए एक अतिरिक्त प्रयोगशाला जांच अनिवार्य कर दिया, जिसे न्यूक्लियर मैग्नेटिक रेजोनेंस स्पेक्ट्रोस्कोपी (एनएमआर) कहा जाता है. यह परीक्षण तब किया जाता है, जब सरकार को शक हो कि शहद में ऐसा शुगर सिरप मिलाया जा रहा है, जिसको पकड़ पाना आसान नहीं होता.

कैसे हुई शहद में मिलावट के कारोबार की शुरुआत
शहद में मिलावट की शुरुआत गन्ने और मक्के जैसे पौधों से बनी चीनी से हुई थी, जिसके पौधे सी4 प्रकाश संश्‍लेषण रूट का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन विज्ञान के विकास के साथ-साथ उद्योग को नई शुगर मिलती गई. इसने चावल और चुकंदर जैसे सी3 पौधों से प्राप्त होने वाली शुगर का इस्तेमाल शुरू कर दिया. लेकिन विश्लेषणात्मक पद्धतियों से शहद में इस शुगर की मिलावट का भी पता चल गया.

चीनी कंपनियां दावा कर बेच रहीं ये सिरप
चीन के ऑनलाइन पोर्टल पर कंपनियां यह दावा करती हैं कि उन्होंने ऐसे सिरप बनाए हैं, जो सी3 और सी4 शुगर टेस्‍ट में आसानी से पास हो जाएंगे. यही कंपनियां भारत में फ्रक्टोज सिरप की निर्यातक थीं. कई औद्योगिक इस्तेमाल के लिए यह सिरप आयात किया जाता है. इसलिए, दिखने में यह एक वैध व्यवसाय था. बाजार में इसे ‘ऑल पास सिरप’ कहा जाता है.

CSE ने किया ये दावा
सीएसई का दावा है कि अपनी जांच में उन्होंने 13 प्रमुख ब्रांड के नमूनों को उन्नत NMR तकनीक पर परखा और उनमें से ज्यादातर फेल हो गए. 77 फीसदी नमूनों में शुगर सिरप की मिलावट पाई गई है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्य न्यूक्लियर मैग्नेटिक रेजोनेंस स्पेक्ट्रोस्कोपी (NMR) परीक्षण में 13 ब्रांड में सिर्फ 3 ब्रांड ही पास हुए.

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