नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा के घर पर करीब 15 करोड़ रुपए नगद बरामद हुए थे। मामला सामने आने के बाद सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने उन्हें वापस इलाहाबाद हाईकोर्ट भेजने का फैसला किया है।
इधर, कॉलेजियम ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ प्रारंभिक जांच शुरू कर दी है। हालांकि यह इन-हाउस इन्क्वायरी नहीं है। जांच पूरी होने पर दिल्ली हाईकोर्ट चीफ जस्टिस कॉलेजियम को प्राइमरी रिपोर्ट देंगे।
दरअसल, होली की छुटि्टयों के दौरान जस्टिस वर्मा के सरकारी बंगले पर आग लग गई थी। उस वक्त वे घर पर नहीं थे। परिवार ने फायर ब्रिगेड को आग लगने की जानकारी दी। टीम जब आग बुझाने गई तब उन्हें कैश मिला।
सूत्रों के मुताबिक CJI संजीव खन्ना को जब मामले की जानकारी मिली तो 5 सदस्यीय कॉलेजियम ने उनका ट्रांसफर करने का फैसला किया है, हालांकि यह सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड नहीं है।
इधर, हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने जस्टिस वर्मा के वापस इलाहाबाद ट्रांसफर का विरोध किया है। एसोसिएशन ने कहा कि कॉलेजियम के फैसले से गंभीर सवाल उठ रहा है कि क्या हम कूड़ादान हैं।
दिल्ली हाईकोर्ट जज के घर कैश मामले में अब तक क्या-क्या हुआ
- कॉलेजियम ने इमरजेंसी मीटिंग की : मामले की जानकारी मिलते ही CJI जस्टिस संजीव खन्ना ने कॉलेजियम की इमरजेंसी मीटिंग बुलाई। सूत्रों के मुताबिक, तबादले से संबंधित प्रस्ताव को जानबूझकर अपलोड नहीं किया गया है। इन-हाउस जांच पर भी विचार किया जा रहा है।
- महाभियोग की प्रक्रिया शुरू करने की चर्चा : कॉलेजियम के कुछ सदस्यों का सुझाव था कि जस्टिस वर्मा से इस्तीफा मांगा जाना चाहिए। अगर वे इनकार करते हैं, तो संसद में उन्हें हटाने के लिए महाभियोग की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए। सूत्रों के मुताबिक ट्रांसफर की सिफारिश के साथ उनके खिलाफ जांच और महाभियोग चलाए जाने की चर्चा है।
राज्यसभा में उठा मामला
कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने इस मुद्दे को सदन में उठाते हुए ज्यूडिशियल अकाउंटेबिलिटी पर चर्चा की मांग की। राज्यसभा के चेयरमैन और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस पर जवाब देते हुए कहा कि सिस्टम में पारदर्शिता और जवाबदेही जरूरी है और वह इस मुद्दे पर एक स्ट्रक्चर्ड डिस्कशन करवाएंगे।
जयराम रमेश ने कहा
आज सुबह हमने एक चौंकाने वाली खबर पढ़ी, जिसमें दिल्ली हाईकोर्ट के एक जज के घर से भारी मात्रा में नकदी बरामद होने की बात सामने आई है। रमेश ने यह भी याद दिलाया कि पहले 50 सांसदों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक जज के खिलाफ महाभियोग का नोटिस दिया था, लेकिन उस पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने चेयरमैन से अनुरोध किया कि न्यायिक जवाबदेही बढ़ाने के लिए सरकार को दिशा-निर्देश दिए जाएं।
सिब्बल बोले- नियुक्ति प्रक्रिया और पारदर्शी बनानी होगी
सुप्रीम कोर्ट बार काउंसिल के अध्यक्ष कपिल सिब्बल ने कहा- मुझे मामले की बारीकियों की जानकारी नहीं है, लेकिन निश्चित रूप से न्यायपालिका के अंदर भ्रष्टाचार का मुद्दा बहुत गंभीर मुद्दा है।
उन्होंने कहा- मुझे लगता है कि अब वक्त आ गया है कि सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे पर विचार करना शुरू करे कि नियुक्ति प्रक्रिया कैसे होनी चाहिए। इसे और अधिक पारदर्शी होना चाहिए और ज्यादा सावधानी से किया जाना चाहिए।

(Bureau Chief, Korba)