छत्तीसगढ़: बस्तर जिले का रहने वाला एक मजदूर तमिलनाडु से ठेकेदार के चंगुल से भागकर बस्तर लौटा है। जिसने कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। मजदूर ने बताया कि 4 महिलाओं समेत कुल 8 लोगों को मजदूरी का काम करने के लिए तमिलनाडु लेकर गए थे। कोयंबटूर में ठेकेदार ने एक लॉज में रुकवाया। रात में एक कार आई और अंधेरे में 4 महिलाओं को कार में जबरस्ती बिठाकर कहीं लेकर चले गए। उनके इरादे कुछ ठीक नहीं लगे। पुरुषों को दूसरे दिन दूसरी जगह लेकर गए। महिलाएं कहां है, इसकी जानकारी नहीं दिए। जिन मजदूरों के पास फोन थे उसे छीन लिया गया।
मजदूर का नाम रघुनाथ कश्यप है। जो बस्तर जिले के लोहंडीगुड़ा इलाके का रहने वाला है। इसने बताया कि कुछ दिन पहले पास के ही एक गांव का पीलू नाम का युवक बिल्डिंग बनाने के लिए मजदूरी काम करने तमिलनाडु के कोयंबटूर लेकर गया था। वहां जाकर पता चला कि ये लोग बिल्डिंग की जगह बोर उत्खनन वाली गाड़ी में काम करवाएंगे। इसके अलावा कोई दूसरा गलत काम भी करवाने वाले हैं। जब महिलाओं को इनसे अलग किया गया तो ठेकेदार और जो युवक लेकर गया था उन पर शक हुआ। दूसरे दिन किसी दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया गया। सभी के आधार कार्ड भी छीन लिए गए। मैं अपना आधार कार्ड छिपा कर रखा था, जिसे ढूंढ नहीं पाए।
दंतेवाड़ा में कुछ महिलाओं ने खाना दिया।
मौका मिलते ही भाग निकला
मजदूर ने बताया कि, शौच करने के बहाने वो कमरे से बाहर निकला था। वहीं मौका मिलते ही झोले में रखे अपने सामान को टी-शर्ट के अंदर छिपाया और जंगल के रास्ते भागने लगा। कई किमी की दूरी तय करने के बाद रेलवे ट्रैक मिला। किसी तरह से स्टेशन तक पहुंच जाए इसलिए रेलवे ट्रैक पर चलता गया। घंटों पैदल चलने के बाद एक स्टेशन आया। बिना टिकट के विजयवाड़ा की ट्रेन में बैठ गया। मजदूर ने बताया कि जब दो-तीन शहर पार करने के बाद टीसी आए, जिन्होंने टिकट मांगा। जब मैंने कहा कि मैं परेशानी में हूं, टिकट नहीं है तो मेरी बात नहीं मानी। अगले स्टेशन पर नीचे उतार दिया गया।
RPF ने नक्सली बताकर पीटा
जिस स्टेशन में उतारा गया, वहां उसे रेलवे पुलिस के हवाले कर दिया गया। मजदूर ने बताया कि रेलवे पुलिस ने मुझे नक्सली बताकर मेरी बेहरमी से पिटाई की। फिर मुझे स्टेशन से बाहर निकाल दिया गया। भूख लगती तो सड़क पर पड़े केला का छिलका खाकर अपनी भूख मिटाई। वहीं बाथरूम का गंदा पानी पीकर अपनी प्यास बुझाई। मजदूर ने बताया कि एक महिला ने 200 रुपए दिए और खाने का सामान दिया। जिसके बाद बस्तर तक चलने वाली बस का टिकट लेकर बैठ गया। किसी तरह से कोत्तागुड़म के रास्ते दंतेवाड़ा पहुंचा। यहां भी कुछ महिलाओं ने खाना दिया। मजदूर ने बताया कि वो 5 दिनों में बस्तर पहुंचा है।
फंसे हुए मजदूरों को छुड़ाने की अपील
मजदूर रघुनाथ कश्यप ने बताया कि तमिलनाडु में काम करने का लालच देकर लेकर गए थे। पुरुषों को 10 हजार रुपए और महिलाओं को 8 हजार रुपए देने का लालच दिए थे। अभी वहां कई मजदूर फंसे हुए हैं। सभी बेहद तकलीफ में हैं। महिलाओं के साथ क्या किया गया है कुछ पता नहीं है। रघुनाथ ने कहा कि जल्द ही सभी को ठेकेदार के चंगुल से छुड़ाया जाए।