सरगुजा: जिले के बतौली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में टीका लगाने के बाद नवजात शिशु की तबियत बिगड़ गई। जिसके बाद उसे अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल रेफर किया गया, लेकिन वहां बच्चे की मौत हो गई। इसके बाद परिजनों ने बतौली अस्पताल के डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाकर जमकर हंगामा किया।
जानकारी के मुताबिक, बतौली ब्लॉक के ग्राम कोडकेल की रहने वाली गर्भवती महिला दशमतिया पैकरा को 14 सितंबर को परिजनों ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया। 15 सितंबर को महिला ने स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया। उसका वजन 2 किलो 800 ग्राम था। बच्चा सामान्य तरीके से रो रहा था और मां का दूध भी पी रहा था।
पीड़ित प्रसूता और उसके परिजनों ने बतौली अस्पताल के डॉक्टर और स्टाफ पर गंभीर लापरवाही के आरोप लगाए।
टीका लगाने के बाद बिगड़ गई थी बच्चे की तबियत
शाम को बच्चे को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में टीका लगाया गया, जिसके बाद बच्चे की हालत बिगड़ने लगी। शुक्रवार शाम करीब 7.30 बजे ड्यूटी डॉक्टर ने बच्चे की हालत बिगड़ने पर उसे मेडिकल कॉलेज अस्पताल अंबिकापुर रेफर कर दिया। परिजनों को एंबुलेंस की व्यवस्था नहीं मिलने पर वे निजी वाहन की व्यवस्था कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल अंबिकापुर पहुंचे। यहां एमसीएच के एसएनसीयू में बच्चे की जांच के बाद डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया।
एमसीएच के एसएनसीयू में बच्चे की जांच के बाद डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया।
बच्चे को मृत घोषित करने पर परिजनों ने बतौली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टर और स्टाफ पर लापरवाही का आरोप लगाकर जमकर हंगामा कर दिया। डॉक्टरों के समझाने पर परिजन मृत बच्चे को लेकर वापस घर चले गए।
टीका लगाने के बाद बिगड़ी हालत
प्रसूता दशमतिया पैकरा और उसके पति ननका राम पैकरा ने आरोप लगाया कि डॉक्टर और स्टाफ की लापरवाही के कारण उनके बच्चे की जान गई है। जन्म के बाद बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ था। टीका लगने के पहले भी करीब 10 घंटे तक उसकी हालत सामान्य थी। टीका लगाने के बाद ही उसकी हालत बिगड़ी। चिकित्सक ने उसे अंबिकापुर रेफर कर दिया, लेकिन एंबुलेंस की भी व्यवस्था नहीं होने पर वे किसी तरह निजी वाहन से अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचे। बच्चे की हालत बिगड़ने पर नर्स और चिकित्सक बुलाने पर कुछ देर में वहां पहुंचे।
बीएमओ बोले- बच्चा स्वस्थ था, शाम को बिगड़ी हालत
बतौली बीएमओ डॉ संतोष सिंह ने कहा कि प्रसव के बाद बच्चा पूरे दिन स्वस्थ था। शाम को उसकी हालत बिगड़ने पर उसे अंबिकापुर रेफर किया गया था। लापरवाही के आरोपों से इनकार करते हुए डॉ संतोष सिंह ने कहा कि बच्चे की सांस फूलने पर उसे रेफर किया गया था। ड्यूटी डॉक्टर ने एंबुलेंस की सुविधा के लिए डायल 102 को कॉल कर महतारी एक्सप्रेस की व्यवस्था की कोशिश की थी। परिजनों के पास निजी वाहन की सुविधा होने पर वे अपने वाहन से उसे अंबिकापुर ले गए।
अस्पताल में अव्यवस्था
प्रसूता दशमतिया और उसके परिजनों को अस्पताल में अव्यवस्था का सामना करना पड़ा। प्रसूता और परिजनों ने बताया कि न तो अस्पताल में बिजली थी और न ही पानी। इसके कारण उन्हें परेशान होना पड़ा। अस्पताल में देखरेख को लेकर भी चिकित्सा कर्मी गंभीर नहीं थे।