रायपुर: हाल ही में नवा रायपुर के जंगल सफारी में 17 चौसिंगों (हिरण की तरह दिखने वाला वन्य प्राणी) की मौत का मामला सामने आया था। अब इस मामले की शिकायत मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से की गई है। प्रधान मुख्य वन संरक्षक (PCCF) को छुट्टी पर भेज, डॉक्टर को निलंबित कर न्यायिक जांच कराए जाने कि मांग की गई है।
ये शिकायत वन्यप्राणियों के संरक्षण में काम करने वाले नितिन सिंघवी ने की है। नितिन ने अपनी शिकायत में बताया है कि रायपुर में 25 से 29 नवंबर 2023 के बीच 17 चोसिंगों की मौत हुई थी। अब इस मामले की जांच प्रभावित न हो इसलिए प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) को छुट्टी पर भेज कर जांच करवाने कहा गया है।
रायपुर के इसी जंगल सफारी में हुई थी चौसिंगों की मौत।
ये है फैक्ट हैं शिकायत में
1.25 नवंबर 2023 को 5 चोसिंगों की मौत होने के बाद वहां के वरिष्ट डॉक्टर तथा सहायक संचालक ने जानबूझकर संचालक सह डीएफओ जंगल सफारी को जानकारी नहीं दी। उनका प्लान था कि जानकारी को छुपा कर मामले तो रफा दफा कर देंगे परन्तु संचालक 26 नवंबर को जब अचानक जंगल सफारी पहुंचे तब एक कर्मचारी ने चोसिंगों की मौत की जानकारी संचालक को दी।
2. जैसे ही संचालक की जानकारी में यह घटना आई उन्होंने जंगल सफारी के डॉक्टर को वस्तुस्थिति से अवगत कराने के लिए फ़ोन किया, जिस पर डॉक्टर ने संचालक को कहा कि वह पूर्व में प्रेषित आवेदन के अनुसार अवकाश पर चले गए हैं। संचालक ने उन्हें निर्देशित किया कि आपका अवकाश स्वीकृत नहीं हुआ है, ऐसी स्थिति में उनको नहीं जाना चाहिए। परंतु डॉक्टर ने वरिष्ठ अधिकारी से अवकाश स्वीकृत करने बाबत जानकारी दी। बताया जाता है कि यह वरिष्ठ अधिकारी वर्तमान में पदस्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) थे। चोसिंगों की हो रही मौतों के बीच 26 नवम्बर को डॉक्टर गोवा घूमने चले गए थे।
3. 25 नवंबर को इस घटना की जानकारी डॉक्टर को और सहायक संचालक जंगल सफारी को जंगल सफारी के स्टाफ द्वारा दी गई थी परंतु दोनों ही घटनास्थल पर 25 नवम्बर को नहीं पहुंचे। 26 नवंबर को डॉक्टर जंगल सफारी पहुंचे तथा उन्होंने लाक्षणिक इलाज किया तब तक पांच चोसिंगों की मृत्यु हो चुकी थी। चर्चा है कि डॉक्टर ने 5 में से सिर्फ दो चोसिंगों का पोस्टमार्टम किया तथा तीन को जला दिया, डॉक्टर ने सेम्पल को जांच हेतु भी नहीं भेजा।
4. क्योंकि चोसिंगा शेड्यूल एक का वन्यजीव है इसलिए उसकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट संचालक जंगल सफारी के कार्यालय में 24 घंटे में जमा करनी होती है परंतु इतनी महत्वपूर्ण घटना घट जाने के बावजूद भी दिनांक 29 नवंबर तक डॉक्टर द्वारा पोस्टमार्टम रिपोर्ट्स संचालक जंगल सफारी को नहीं दी गई।
5. 17 नहीं उससे ज्यादा संख्या में चोसिंगों की मौत हुई है इसी दरमयान पांच ब्लैक बैग और तीन नील गायों की भी मृत्यु हुई है।
6. घटना की जांच करने हेतु एक तीन सदस्य समिति गठित की गई है चर्चा है कि इस समिति को प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) लगातार दबाव दे रहे हैं कि डॉक्टर के विरुद्ध जांच में कुछ भी नहीं आना चाहिए। यह भी चर्चा है कि प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) द्वारा चेतावनी दी गई है कि डॉक्टर के विरुद्ध अगर जांच में कुछ आता है तो वह संबंधित अधिकारी की सी.आर. खराब कर देंगे, इससे विभाग में दहशत व्याप्त है।
7. प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) ने डॉक्टर की छुट्टी मंजूर की तब वे कश्मीर में थे और उन्होंने व्हाट्सएप पर छुट्टी मंजूर की यहाँ यह उल्लेखनीय है कि एक तरफ संचालक जंगल सफारी द्वारा डॉक्टर को कहा जा रहा था कि आपकी छुट्टी नहीं स्वीकृत की गई और तत्काल उपस्थित हो, परंतु दूसरी तरफ प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) द्वारा बिना संचालक जंगल सफारी से वास्तविक स्थिति जाने, छुट्टी स्वीकृत की गई। यह प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) के बारे में बता है कि वन्य जीवों के प्रति वे कितने सवेदनशील है।
सिर पर इस तरह के 4 सिंगों की वजह से इसका नाम चौसिंगा है।
एक्सपर्ट भी नहीं बता पाए थे वजह
वन्य प्राणियों की मौत का मामला सुर्खियों में आने के बाद जंगल सफारी के अधिकारियों के अलावा वन विभाग के दर्जनों अधिकारी और विशेषज्ञ पहुंचे थे। ये सभी अधिकारी सफारी परिसर के अंदर बने अस्पताल में वन्य प्राणियों की जांच करते रहे। संक्रमण कैसे फैला इसका पता लगाने की कोशिश करते रहे, लेकिन इसकी जानकारी उन्हें नहीं हो पाई।
रिपोर्ट में हुआ खुलासा
इस मामले में वन विभाग के अधिकारियों ने मीडिया से स्थिति स्पष्ट नहीं की। हालांकि चौसिंगा की मौत के बाद उनके सैंपल बरेली की लैब में जांच के लिए भेजे गए थे। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक बरेली से रिपोर्ट आई। जंगल सफारी में 17 चौसिंगो की मौत एक खतरनाक वायरस एफएमडी यानी खुरचपका मुंद चपका से हुई है। इसकी पुष्टि राष्ट्रीय रोग अनुसंधान केंद्र बरेली (उत्तर प्रदेश) से मिली रिपोर्ट से हुआ है। डाक्टरों के मुताबिक यह सामान्यत शाकाहारी खुर वाले मवेशियों में पाया जाने वाला रोग है।