Thursday, November 28, 2024
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Rajasthan Kota Suicide News : कोटा में छत्तीसगढ़ के स्टूडेंट ने फांसी लगाकर दी जान, JEE रिजल्ट आने के बाद उठाया कदम; माता-पिता फोन करते रहे

KOTA: कोटा में इस साल सुसाइड का चौथ केस सामने आया है। सोमवार रात को छत्तीसगढ़ के रहने वाले एक स्टूडेंट ने फंदे पर लटककर जान दे दी। छात्र 2 साल से कोटा में रहकर जेईई की तैयारी कर रहा था। सोमवार रात जॉइंट एंट्रेस एग्जाम (JEE) मेंस का रिजल्ट आया था। उसके बाद स्टूडेंट सुसाइड कर लिया।

जानकारी अनुसार स्टूडेंट शुभकुमार चौधरी (16) महावीर नगर प्रथम इलाके में हॉस्टल में रहता था। डीएसपी भवानी सिंह ने बताया कि शुभकुमार 12वीं का स्टूडेंट था। सोमवार रात जेईई की रिजल्ट आया था। आज सुबह उसके पेरेंट्स ने फोन किया तो कोई जवाब नहीं मिला। इसके बाद उन्होंने वार्डन को कॉल किया। वार्डन ने उसके रूम का गेट को धक्का देकर खोला तो स्टूडेंट पंखे पर फंदे से लटका हुआ था।

मौके पर जवाहर थाना पुलिस और लोग।

मौके पर जवाहर थाना पुलिस और लोग।

पुलिस अधिकारियों का कहना है कि स्टूडेंट ने 11वीं की पढ़ाई भी यहां से की थी। अभी सुसाइड का कारण सामने नहीं आया है। ये भी पता नहीं लगा, उसके कितने नंबर आए थे। जवाहर थाना पुलिस ने शव को उतारकर हॉस्पिटल की मॉर्च्युरी में रखवाया है।

इस साल के दूसरे सुसाइड केस

– 2 फरवरी को यूपी के गोंडा जिले के रहने वाले नूर मोहम्मद (27) ने सुसाइड किया था। नूर मोहम्मद चेन्नई कॉलेज से बीटेक कर रहा था। कोटा में रहकर ऑन लाइन पढ़ाई करता था।

– 31 जनवरी को कोटा के बोरखेड़ा में रहने वाली निहारिका (18) ने सुसाइड कर लिया था। वह जेईई की तैयारी कर रही थी। उसने सुसाइड नोट में लिखा था- ‘मम्मी पापा मैं जेईई नहीं कर पाई, इसलिए सुसाइड कर रही हूं। मैं एक लूजर हूं, मैं अच्छी बेटी नहीं हूं। सॉरी मम्मी-पापा यही लास्ट ऑप्शन है’।

– 24 जनवरी को यूपी के मुरादाबाद का रहने वाले मोहमद जैद (19) ने आत्महत्या की थी। वह जवाहर नगर थाना क्षेत्र के न्यू राजीव गांधी नगर इलाके में एक हॉस्टल में रहता था और NEET की तैयारी कर रहा था।

कमेटी ने बताए थे सुसाइड के कारण

  • कोचिंग स्टूडेंट्स के सुसाइड मामलों को लेकर राजस्थान सरकार ने 20 अक्टूबर 2023 को एक कमेटी बनाई थी। कमेटी ने स्टूडेंट्स के सुसाइड करने के कई प्रमुख कारण बताए थे।
  • कॉम्पिटिटिव एग्जाम में एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ और अच्छी रैंक लाने का प्रेशर।
  • कोचिंग के प्रैक्टिस टेस्ट में अच्छा परफॉर्म न कर पाने से होने वाली निराशा।
  • बच्चों की योग्यता, रुचि और क्षमता से ज्यादा पढ़ाई का बोझ और पेरेंट्स की उम्मीदों पर खरा उतरने का प्रेशर।
  • टीनएज में होने वाले मानसिक और शारीरिक बदलाव, परिवार से दूर रहना, काउंसिलिंग और सपोर्ट सिस्टम का अभाव।
  • बार-बार होने वाले असेसमेंट टेस्ट और रिजल्ट की चिंता, कम स्कोर करने पर डांट या टिप्पणी सुनना, रिजल्ट के आधार पर बैच बदलने का डर।
  • कोचिंग इंस्टीट्यूट का टाइट शेड्यूल, को-करिकुलर एक्टिविटीज न होना और छुट्टियां न



Muritram Kashyap
Muritram Kashyap
(Bureau Chief, Korba)
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