बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस सचिन सिंह राजपूत की डिवीजन बेंच ने कहा है कि केवल मानसिक रोगी होने के आधार पर मासूम बच्ची से रेप के आरोपी को सजा में छूट नहीं दी जा सकती।
हाईकोर्ट ने निचली अदालत की आजीवन कैद की सजा को बरकरार रखते हुए आरोपी युवक की अपील को खारिज कर दिया है। मामला राजनांदगांव जिले का है।
अमरूद खिलाने के बहाने बुलाकर रेप
दरअसल, राजनांदगांव जिले की रहने वाली 6 साल की बच्ची अपनी बड़ी बहन और दोस्तों के साथ खेल रही थी, तभी उसके घर के सामने रहने वाला युवक ने उसे अमरूद खिलाने के बहाने बुलाया, फिर दरवाजा अंदर से बंद कर उसके साथ रेप किया।
इस दौरान उसकी बड़ी बहन ने इस घटना की जानकारी अपनी मां को दी। जब उसकी मां घर से बाहर आई, तब उसकी बेटी युवक के घर के दरवाजे के पास रो रही थी। पूछताछ में उसने आपबीती बताई, जिसके बाद परिजन बेटी को लेकर थाना पहुंचे। इस दौरान पुलिस ने उसके बयान के आधार पर केस दर्ज कर आरोपी युवक को गिरफ्तार कर लिया।
फास्ट ट्रैक कोर्ट ने दिया आजीवन कारावास
पुलिस ने आरोपी युवक को गिरफ्तार करने के बाद फास्टट्रेक पाक्सो एक्ट कोर्ट में चालान पेश किया, जहां ट्रायल के दौरान आरोपी युवक को बच्ची के साथ रेप का दोषी पाया। लिहाजा, विशेष न्यायाधीश पाक्सो ने आरोपी को पॉक्सो एक्ट में 20 हजार जुर्माना और स्वाभाविक मौत होने तक कैद की सजा सुनाई।
हाईकोर्ट ने कहा- मानसिक रोगी होने पर सजा में छूट नहीं
स्पेशल कोर्ट की सजा के खिलाफ आरोपी युवक ने हाईकोर्ट में अपील पेश की। इसमें कहा गया कि उसके खिलाफ लगाए गए आरोप गलत है। उसे झूठे मामले में फंसाया गया है। वह बचपन से दिव्यांग और मानसिक रूप से कमजोर है। दिमागी कमजोरी के कारण सजा गलत है।
इस मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस सचिन सिंह राजपूत की डिवीजन बेंच को बताया गया कि मेडिकल रिपोर्ट में आरोपी को फिट बताया गया है। गवाहों के बयान और FSL रिपोर्ट में अपराध की पुष्टि की गई है।
सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि पॉक्सो एक्ट में मानसिक रोगी होने के आधार पर सजा में छूट नहीं दी जा सकती। डिवीजन बेंच ने आरोपी की अपील को खारिज कर दिया है।
(Bureau Chief, Korba)