मुंबई: मार्केट वैल्यूएशन के लिहाज से देश की टॉप-10 कंपनियों में से 5 की वैल्यूएशन पिछले हफ्ते के कारोबार में 1.86 लाख करोड़ रुपए कम हुई है। इस दौरान देश का सबसे बड़ा प्राइवेट सेक्टर बैंक HDFC और FMCG कंपनी ITC टॉप लूजर रहे।
HDFC बैंक का मार्केट कैप 70,479 करोड़ रुपए कम होकर 12.67 लाख करोड़ रुपए पर आ गया है। वहीं, ITC की वैल्यू 46,481 करोड़ रुपए गिरकर 5.57 लाख करोड़ रुपए पर आ गई है।
TCS की वैल्यू ₹60,169 करोड़ बढ़कर ₹15.43 लाख करोड़ हुई
टेक कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS ने अपने मार्केट कैप में 60,169 करोड़ रुपए जोड़े हैं। अब कंपनी का मार्केट कैप 15.43 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया है।
HCL टेक का मार्केट कैप 13,121 करोड़ रुपए बढ़कर 5.42 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया है। इसके अलावा इंफोसिस, एयरटेल, हिंदुस्तान यूनिलीवर का मार्केट कैप भी कंबाइंड रूप से 1.03 लाख करोड़ रुपए बढ़ा है।
बीते हफ्ते 1845 अंक गिरा था शेयर बाजार
हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन यानी शुक्रवार (10 जनवरी) को सेंसेक्स 241 अंक गिरकर 77,378 पर बंद हुआ। निफ्टी में भी 95 अंक की गिरावट रही, ये 23,431 के स्तर पर बंद हुआ। BSE स्मॉलकैप 1298 अंक की गिरावट के साथ 52,722 के स्तर पर बंद हुआ।
सेंसेक्स के 30 शेयरों में से 22 में गिरावट और 8 में तेजी रही। निफ्टी के 50 शेयरों में से 36 में गिरावट और 14 में तेजी रही। जबकि एक शेयर बिना किसी बदलाव के बंद हुआ। NSE सेक्टोरल इंडेक्स में IT सेक्टर में 3.44%की रही। इसके अलावा सभी सेक्टर गिरावट के साथ बंद हुए। मीडिया सेक्टर सबसे ज्यादा 3.59 % गिरा। वहीं, हफ्तेभर के कारोबार के बाद शेयर बाजार 1845 अंक गिरा है।
मार्केट कैपिटलाइजेशन क्या होता है?
मार्केट कैप किसी भी कंपनी के टोटल आउटस्टैंडिंग शेयरों यानी वे सभी शेयर, जो फिलहाल उसके शेयरहोल्डर्स के पास हैं, की वैल्यू है। इसका कैलकुलेशन कंपनी के जारी शेयरों की टोटल नंबर को स्टॉक की प्राइस से गुणा करके किया जाता है।
मार्केट कैप का इस्तेमाल कंपनियों के शेयरों को कैटेगराइज करने के लिए किया जाता है, ताकि निवेशकों को उनके रिस्क प्रोफाइल के अनुसार उन्हें चुनने में मदद मिले। जैसे लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप कंपनियां।
मार्केट कैप = (आउटस्टैंडिंग शेयरों की संख्या) x (शेयरों की कीमत)
मार्केट कैप कैसे काम आता है?
किसी कंपनी के शेयर में मुनाफा मिलेगा या नहीं इसका अनुमान कई फैक्टर्स को देख कर लगाया जाता है। इनमें से एक फैक्टर मार्केट कैप भी होता है। निवेशक मार्केट कैप को देखकर पता लगा सकते हैं कि कंपनी कितनी बड़ी है।
कंपनी का मार्केट कैप जितना ज्यादा होता है, उसे उतनी ही अच्छी कंपनी माना जाता है। डिमांड और सप्लाई के अनुसार स्टॉक की कीमतें बढ़ती और घटती है। इसलिए मार्केट कैप उस कंपनी की पब्लिक पर्सीवड वैल्यू होती है।
मार्केट कैप कैसे घटता-बढ़ता है?
मार्केट कैप के फॉर्मूले से साफ है कि कंपनी की जारी शेयरों की कुल संख्या को स्टॉक की कीमत से गुणा करके इसे निकाला जाता है। यानी अगर शेयर का भाव बढ़ेगा तो मार्केट कैप भी बढ़ेगा और शेयर का भाव घटेगा तो मार्केट कैप भी घटेगा।
(Bureau Chief, Korba)