Saturday, April 19, 2025
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ट्रम्प के 145% टैरिफ के जवाब में जिनपिंग का पलटवार, कहा- चीन किसी से नहीं डरता, अमेरिका पर 125% टैरिफ लगाया, कल से होगा लागू

वॉशिंगटन: अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ वॉर बढ़ता जा रहा है। अमेरिका के 145% टैरिफ के जवाब में अब चीन ने 125% टैरिफ लगा दिया है। ये कल से लागू होगा। चीन ने कहा है कि अब वह अमेरिका की तरफ से लगाए जाने वाले किसी भी अतिरिक्त टैरिफ का जवाब नहीं देगा।

चीन ने कहा कि अमेरिका की तरफ से लगाए गए असामान्य टैरिफ अंतरराष्ट्रीय और आर्थिक व्यापार नियमों का गंभीर रूप से उल्लंघन करते हैं। यह पूरी तरह से एकतरफा दबाव और धमकाने की नीति है।

चीन ने ये भी कहा कि अमेरिका भले ही टैरिफ को और ज्यादा बढ़ा दे लेकिन अब इसका कोई मतलब नहीं होगा। आखिर में वह ग्लोबल इकोनॉमी के इतिहास में हंसी का पात्र बन जाएगा।

शी जिनपिंग बोले- चीन किसी से नहीं डरता

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अमेरिका से बढ़ते टैरिफ विवाद के बीच पहली बार बयान दिया है। उन्होंने कहा कि चीन किसी से डरता नहीं है। पिछले 70 साल में हुआ चीन का विकास कड़ी मेहनत और खुद पर निर्भर रहने का नतीजा है।

जिनपिंग ने कहा-

चीन कभी दूसरों के दान के भरोसे नहीं रहा है। न ही कभी किसी की जबरदस्ती से डरा है। दुनिया कितनी भी क्यों न बदल जाए, चीन परेशान नहीं होगा।

जिनपिंग ने कहा कि ट्रेड वॉर में कोई विजेता नहीं होता। दुनिया के खिलाफ जाने का मतलब खुद के खिलाफ जाना है। जिनपिंग ने यह बातें स्पेन के पीएम पेड्रो सांचेज से मुलाकात के दौरान कहीं। सांचेज शुक्रवार को चीन दौरे पर पहुंचे हैं।

सांचेज ट्रम्प के टैरिफ का ऐलान करने के बाद चीन जाने वाले पहले यूरोपीय नेता हैं। पिछले 2 साल में वे तीन बार चीन जा चुके हैं। टैरिफ को लेकर सांचेज ने भी ट्रम्प की आलोचना की थी।

उन्होंने 8 अप्रैल को कहा था कि ट्रम्प के टैरिफ की वजह से यूरोप नए बाजार तलाशने पर मजबूर होगा। इसके अलावा यूरोपीय देश और चीन दोनों अपने संबंधों को बेहतर करने पर विचार करेंगे।

अमेरिका बोला- चीन पर 125% नहीं, 145% टैरिफ लगाया

अमेरिका ने चीन पर 125% नहीं बल्कि 145% टैरिफ लगा दिया है। व्हाइट हाउस ने यह बात साफ की है। ट्रम्प ने बुधवार को चीन पर 125% टैरिफ लगाने का ऐलान किया था। इसके बाद गुरुवार को व्हाइट हाउस ने बताया कि इसमें 20% फेंटेनाइल टैरिफ भी जोड़ा गया है, जो मार्च 2025 से लागू था।

ट्रम्प ने चीन पर 4 मार्च को फेंटेनाइल ड्रग तस्करी में कथित रोल की वजह से 20% टैरिफ लगा दिया था। इसे अब तक अलग से गिना जा रहा था। व्हाइट हाउस के मुताबिक चीन पर 125% टैरिफ, 20% फेंटेनाइल टैरिफ। इसमें 1% मिसलेनियस एडजस्टमेंट भी शामिल है। मिसलेनियस एडजस्टमेंट किस वजह से लगाया गया है, अभी तक साफ नहीं हुआ है।

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक अमेरिका के चीन पर 145% लगाने के बाद कुल टैरिफ इफेक्टिव रेट 156% पहुंच गई है। दरअसल ट्रम्प ने पहले टर्म में भी चीन के अलग-अलग सामान पर 10-15% टैरिफ लगा रखा था, जो बाइडेन के टर्म में भी जारी रहा।

इस टैरिफ को मिलाकर अब चीन पर 156% इफेक्टिव टैरिफ हो गया है। आसान भाषा में इसका मतलब है कि चीन में बना 100 डॉलर का सामान अब अमेरिका में जाकर 256 डॉलर का हो जाएगा। अमेरिका में चीनी सामानों के मंहगे होने से उसकी बिक्री कम हो जाएगी।

अमेरिका को भीतर से खोखला कर रहा फेंटेनाइल ड्रग

फेंटेनाइल ड्रग हेरोइन से 50 गुना और मॉर्फिन से 100 गुना ताकतवर होता है। राष्ट्रपति ट्रम्प का कहना है कि चीन में यह ड्रग तैयार होता है, फिर वहां से मेक्सिको और कनाडा के रास्ते अमेरिका भेजा जाता है। चीन सरकार इस पर रोक लगाने में नाकाम रही है।

CDC के आंकड़ों के मुताबिक 2024 में 70 हजार से ज्यादा अमेरिकी फेंटेनाइल ओवरडोज से मरे। ट्रम्प का दावा है कि यह ड्रग अमेरिका को ‘भीतर से खोखला’ कर रही है। वह इसे चीन की साजिश तक बता चुके हैं।

रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन पहले फेंटेनाइल का सबसे बड़ा स्रोत था। लेकिन 2019 में चीनी सरकार ने इसपर बैन लगा दिया। इसके बाद से ड्रग तस्कर चीन से फेंटेनाइल की जगह केमिकल्स भेजते हैं। इसके बाद मेक्सिको के ड्रग कार्टल इसे लैब में तैयार करते हैं। DEA की रिपोर्ट कहती है कि 97% फेंटेनाइल अमेरिका में मेक्सिको बॉर्डर से आता है।

अमेरिकी शेयर मार्केट में गिरावट

अमेरिका के सरकारी बॉन्ड बाजार में फिर से बिकवाली शुरू हो गई। वहीं शेयर मार्केट के नैस्डैक कंपोजिट इंडेक्स में लगभग 7% की गिरावट आई। इसके साथ ही एप्पल, एनवीडिया और अन्य कंपनियों शेयरों में भी गिरावट आई। तेल की कीमतों में लगभग 4% की गिरावट आई, अब कच्चे तेल की कीमत 63 डॉलर प्रति बैरल से नीचे पहुंच गई है।

ट्रम्प ने कहा- जो देश डील करेंगे, उनके लिए टैरिफ 10% रहेगा

ट्रम्प ने 9 अप्रैल को कहा था कि 75 से ज्यादा देशों ने अमेरिका के प्रतिनिधियों को बुलाया है और इन देशों ने मेरे मजबूत सुझाव पर अमेरिका के खिलाफ किसी भी तरह से जवाबी कार्रवाई नहीं की है। इसलिए मैंने 90 दिन के विराम को स्वीकार किया है। टैरिफ पर इस रोक से नए व्यापार समझौतों पर बातचीत करने का समय मिलेगा।

इससे पहले उन्होंने 2 अप्रैल को अलग-अलग देशों के लिए रेसिप्रोकल (जैसे को तैसा) टैरिफ का ऐलान किया था। इसके तहत भारत पर भी 26% टैरिफ लगाया था। लेकिन चीन को छोड़कर अब सभी देशों पर 90 दिनों के लिए 10% बेसलाइन टैरिफ लगा दिया गया है।

बाकी देशों पर टैरिफ हटाने की वजह… मंदी, महंगाई का खतरा था, करीबी भी टैरिफ के खिलाफ थे

1. ट्रम्प टैरिफ के चलते अमेरिका समेत ग्लोबल मार्केट में 10 लाख करोड़ डॉलर की गिरावट आई थी। हालांकि, टैरिफ रोकने के फैसले के कुछ घंटों के अंदर ही अमेरिकी शेयर बाजार की वैल्यू 3.1 लाख करोड़ डॉलर बढ़ गई।

2. ट्रम्प के कई करीबी सलाहकारों और खुद इलॉन मस्क भी टैरिफ वॉर रोकने की सलाह दे चुके थे। ट्रम्प की रिपब्लिकन पार्टी के कई नेता भी टैरिफ के खिलाफ थे। मिच मैककोनल, रैंड पॉल, सुसन कोलिन्स व लिसा मुर्कोव्स्की ने टैरिफ को ‘असंवैधानिक, अर्थव्यवस्था के लिए नुकसानदायक और कूटनीतिक रूप से खतरनाक’ बताया था।

3. टैरिफ के चलते अप्रत्याशित तौर पर अमेरिकी बॉन्ड्स की बिकवाली शुरू हो गई थी। क्रूड की कीमतों में भारी गिरावट दर्ज की गई, यह कोरोना काल जैसी स्थिति बन रही थी।

4. वॉल स्ट्रीट के बैंकों ने टैरिफ के चलते अमेरिका में महंगाई, बेरोजगारी बढ़ने और मंदी आने की चेतावनी दी थी।

5. अमेरिका चीन से 440 अरब डॉलर का आयात करता है। इस पर उसने 145% टैरिफ लगाया है। चीन से प्रोडक्ट्स मंगवाने वाली अमेरिकी कंपनियों के लिए अब इसका विकल्प खोजना बड़ी चुनौती बन रहा था। ऐसे में बाकी देशों पर टैरिफ रोकना इन कंपनियों की सप्लाई चेन के लिए जरूरी था।

चीन नई इंडस्ट्री व इनोवेशन बढ़ाने पर जोर दे रहा

चीन के पास अमेरिका के करीब 600 अरब पाउंड (करीब 760 अरब डॉलर) के सरकारी बॉन्ड हैं। मतलब ये कि चीन के पास अमेरिकी इकोनॉमी को प्रभावित करने की बड़ी ताकत है। वहीं, चीन ने अपनी तैयारी भी शुरू कर दी है।

चीन ने 1.9 लाख करोड़ डॉलर का अतिरिक्त लोन इंडस्ट्रियल सेक्टर को दिया है। इससे यहां फैक्ट्रियों का निर्माण और अपग्रेडेशन तेज हुआ। हुआवेई ने शंघाई में 35,000 इंजीनियरों के लिए एक रिसर्च सेंटर खोला है, जो गूगल के कैलिफोर्निया हेडक्वार्टर से 10 गुना बड़ा है। इससे टेक्नोलॉजी और इनोवेशन कैपेसिटी तेज होगी।

चीन ने कल कहा- झुकने के बजाय आखिर तक लड़ेंगे

अमेरिका के बीच चल रहे टैरिफ वॉर के बीच चीन ने कल कहा था कि वह अमेरिका के आगे ‘जबरदस्ती’ झुकने के बजाय आखिर तक लड़ना चुनेगा। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि चीन उकसावे से नहीं डरता, वह पीछे नहीं हटेगा।

माओ निंग ने सोशल मीडिया पर कई सारे पोस्ट शेयर किए थे। इसमें एक पूर्व चीनी नेता माओ जेदोंग का भी वीडियो था। उसमें माओ कह रहे हैं- हम चीनी हैं। हम उकसावे से नहीं डरते। हम पीछे नहीं हटते। यह वीडियो 1953 का है जब कोरियाई जंग में चीन और अमेरिका अप्रत्यक्ष तौर पर आमने-सामने थे।

वीडियो में माओ कहते हैं- यह जंग कब तक चलेगी यह हम तय नहीं कर सकते। यह राष्ट्रपति ट्रूमैन या फिर आइजनहावर या फिर जो नया राष्ट्रपति बनेगा, उस पर निर्भर करता है। चाहे यह जंग कितना भी लंबा क्यों न चले, हम कभी भी नहीं झुकेंगे। हम तब तक लड़ेंगे जब तक हम पूरी तरह से जीत नहीं जाते।

माओ निंग ने एक दूसरे पोस्ट में एक तस्वीर शेयर की थी। इसमें यह बताया गया है कि कीमत मंहगी होने के बाद भी अमेरिकी चीनी सामान ही खरीदेंगे।


Muritram Kashyap
Muritram Kashyap
(Bureau Chief, Korba)
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