Thursday, August 28, 2025

रायपुर : एनएचएम कर्मचारियों के आंदोलन का 10वां दिन – हड़ताल जारी

  • 10 सूत्रीय मांगों को लेकर संघर्ष तेज

रायपुर: राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के कर्मचारी अपनी 10 सूत्रीय मांगों को लेकर लगातार 10वें दिन भी धरना स्थल पर डटे हुए हैं। आंदोलन को प्रभावी बनाने के लिए प्रतिदिन विभिन्न गतिविधियाँ आयोजित कर सरकार का ध्यान आकर्षित किया जा रहा है। आज कुछ कर्मचारियों ने कोविड-19 काल की याद दिलाने के लिए PPE किट पहनकर प्रदर्शन किया, जबकि कुछ कर्मचारियों ने सब्जी बाजार में जाकर प्रतीकात्मक भीख मांगकर विरोध जताया। कर्मचारियों का कहना है कि सरकार उनकी 10 में से 5 मांगें पूरी होने की बात कर रही है, लेकिन अब तक कोई आधिकारिक आदेश जारी नहीं हुआ है। कर्मचारियों ने इसे झूठा प्रचार करार देते हुए आरोप लगाया कि स्वास्थ्य मंत्री को अधिकारी गुमराह कर रहे हैं और मंत्री ने बिना किसी आदेश के गलत बयान दिया है।

एनएचएम कर्मचारी संघ ने इस धोखे के विरोध में आंदोलन को और उग्र करने का निर्णय लिया है। शासकीय अस्पतालों में वर्षों से सेवाएँ देने वाले इन कर्मचारियों की स्थिति देखकर आम जनता भी उनके प्रति सहानुभूति जता रही है और सरकार से तत्काल उनकी मांगें पूरी करने की अपील कर रही है। कर्मचारियों का कहना है कि “मोदी की गारंटी अब सिर्फ कोरी बातें साबित हो रही हैं।” स्वास्थ्य मंत्री के बयान से कर्मचारियों में गहरा आक्रोश है, और जिला स्तर से रायपुर में बड़े प्रदर्शन की तैयारी की जा रही है। संघ का स्पष्ट कहना है कि जब तक 10 सूत्रीय मांगों पर लिखित आदेश जारी नहीं होता, आंदोलन अनवरत जारी रहेगा।

इस बीच, शासकीय अस्पतालों के ताले लगे हुए हैं। दूरस्थ वनांचल क्षेत्रों से लेकर शहरी इलाकों तक मरीज इलाज के लिए भटक रहे हैं। अस्पतालों में भीड़ बढ़ती जा रही है। बताया जा रहा है कि जीवन दीप समिति के कर्मचारियों पर ड्यूटी का दबाव डाला जा रहा है, जबकि ये कर्मचारी बिना उचित प्रशिक्षण के केवल सहयोगी के रूप में काम करते हैं। कई अस्पतालों में बाहर सूचना बोर्ड भी लगा दिए गए हैं, जिनमें मरीजों को असुविधा के लिए खेद व्यक्त किया गया है। एनएचएम कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अमित कुमार मिरी और प्रदेश प्रवक्ता पूरन दास ने कहा कि, “इस स्थिति के लिए सरकार खुद जिम्मेदार है। अड़ियल रवैया छोड़कर संवाद करें और कर्मचारियों की 10 सूत्रीय मांगें पूरी करें।”

कर्मचारियों ने यह भी आरोप लगाया कि 20 माह के कार्यकाल में सरकार को 150 से अधिक बार आवेदन और निवेदन दिए गए, लेकिन सरकार ने नियमितीकरण, ग्रेड पे और लंबित 27% वेतन वृद्धि जैसी फाइलों को रोके रखा है और कर्मचारियों को लगातार गुमराह किया जा रहा है। 



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