Thursday, September 4, 2025

पूर्व अमेरिकी NSA बोले- ट्रम्प अपना फायदा देख रहे, पाकिस्तान पर मेहरबानी की वजह फैमिली बिजनेस, इसलिए भारत से रिश्ते बिगाड़े

वॉशिंगटन डीसी: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) जेक सुलिवन ने राष्ट्रपति ट्रम्प पर देश की बजाय अपना फायदा देखने का आरोप लगाया है।

उन्होंने सोमवार को एक यूट्यूब चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि ट्रम्प ने पाकिस्तान से फैमिली बिजनेस के लिए भारत के साथ अमेरिका के रिश्तों को खराब किया है।

सुलिवन ने कहा कि ट्रम्प के फैसले का नुकसान पूरे देश को भुगतना होगा। उन्होंने कहा कि ट्रम्प ने अपने निजी फायदे के लिए भारत-पाकिस्तान संघर्ष रुकवाने का दावा किया। ये ट्रम्प की विदेश नीति का वो पहलू है जिसे अभी तक नहीं उठाया गया।

उन्होंने कहा कि ट्रम्प, अमेरिका की विदेश नीति से अलग हटकर पाकिस्तान और सेना प्रमुख आसिम मुनीर को खुश करने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि अमेरिका हमेशा से भारत के साथ अच्छे रिश्ते रखना चाहता है। भारत से अच्छे रिश्ते बनाने में अमेरिका को फायदा है।

सुलिवन बोले- चीन से निपटने के लिए भारत जरूरी

जेक सुलिवन ने यूट्यूब चैनल मीडासटच से बातचीत में कहा कि अमेरिका कई सालों से भारत के साथ अपने रिश्ते मजबूत करने की कोशिश करता रहा है।

उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है और अमेरिका को उसके साथ तकनीक, टैलेंट, आर्थिक मामलों और दूसरे कई मुद्दों पर मिलकर काम करना चाहिए।

इसके साथ ही चीन के रणनीतिक खतरों से निपटने के लिए भी भारत के साथ साझेदारी जरूरी है।

सुलिवन ने कहा कि भारत के साथ संबंधों को खत्म करने का ट्रम्प का कदम अपने आप में एक बहुत बड़ा रणनीतिक नुकसान है, क्योंकि एक मजबूत अमेरिका-भारत संबंध हमारे हितों की पूर्ति करता है।

उन्होंने कहा कि अब दुनिया का कोई भी देश अमेरिका पर निर्भर नहीं रह सकता और स्थिति को देखेगा।

ट्रम्प के पर्सनल बिजनेस और पाकिस्तान का रिश्ता

पाकिस्तान में 14 मार्च 2025 को पाकिस्तान क्रिप्टो काउंसिल (PCC) की स्थापना हुई थी। इसका मकसद देश को दक्षिण एशिया का क्रिप्टो हब बनाना था।

अगले महीने 26 अप्रैल, यानी पहलगाम हमले के सिर्फ 4 दिन बाद PCC ने ट्रम्प परिवार से जुड़ी कंपनी वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल के साथ एक समझौता किया था।

वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल में ट्रम्प परिवार (बेटे एरिक और ट्रम्प जूनियर और दामाद जेरेड कुशनर) की 60% हिस्सेदारी है।

पाकिस्तान ने वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल के साथ ब्लॉकचेन तकनीक और क्रिप्टो को बढ़ावा देने का करार किया।

कंपनी का दावा है कि वह पाकिस्तान में ब्लॉकचेन इनोवेशन, स्टेबलकॉइन और वित्तीय व्यवस्था को तेजी से लागू करने में मदद करेगी।

पाकिस्तान जैसे देश के साथ समझौता होने का मतलब है कि करोड़ों लोगों वाले एक बड़े बाजार में इस कंपनी को एंट्री मिल गई।

इस डील में पाकिस्तानी PM, सेना प्रमुख, डिप्टी PM, सूचना मंत्री, रक्षा मंत्री और वित्त मंत्री शामिल थे।

वहीं, कंपनी की ओर से फाउंडर जैकरी फोकमैन और जैकरी विटकॉफ भी मौजूद थे। जैकरी मिडिल ईस्ट में ट्रम्प के विशेष प्रतिनिधि स्टीव विटकॉफ के बेटे हैं।

पाकिस्तान क्रिप्टो काउंसिल के CEO बिलाल बिन साकिब और वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल के अधिकारी ने 26 अप्रैल को इस्लामाबाद में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए।

पाकिस्तान क्रिप्टो काउंसिल के CEO बिलाल बिन साकिब और वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल के अधिकारी ने 26 अप्रैल को इस्लामाबाद में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए।

पाकिस्तान से करार के बाद ट्रम्प परिवार की संपत्ति बढ़ी

अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जब पाकिस्तान ने WLF के साथ ब्लॉकचेन और क्रिप्टो अपनाने का करार किया, तो इससे कंपनी को एक तरह की सरकारी मान्यता भी मिल गई। इससे उसके टोकन (WLFI) की वैल्यू तेजी से बढ़ी।

रिपोर्टों के मुताबिक इस लॉन्च के बाद ट्रम्प परिवार की अरबों डॉलर की संपत्ति बढ़ गई, लेकिन ये फायदा सिर्फ पैसे तक सीमित नहीं है। यह एक राजनीतिक पूंजी भी है।

पाकिस्तान में इस तरह की डील सीधे प्रधानमंत्री और सेना प्रमुख के स्तर पर हुई। यानी ट्रम्प और उनका परिवार अब पाकिस्तान के साथ न सिर्फ कारोबारी बल्कि कूटनीतिक स्तर पर भी गहरा संबंध रखता है।

इससे उन्हें अमेरिका के भीतर और बाहर दोनों जगह राजनीतिक फायदा मिलता है। खासकर चुनावों में यह दिखाने के लिए कि वे अमेरिका की कंपनियों और तकनीक को नए बाजारों में ले गए।

पाकिस्तान से डील के बाद बदला ट्रम्प का मिजाज

इस समझौते के बाद से ट्रम्प का रुख भारत के लिए बदल गया। पाकिस्तानी बिजनेस में ट्रम्प परिवार की इस भागीदारी की वजह से सुलिवन समेत कई एक्सपर्ट्स मानते हैं कि इसी करार की वजह से ट्रम्प, भारत के बजाय पाकिस्तान का पक्ष ले रहे हैं। अमेरिका ने पाकिस्तान पर सिर्फ 19% टैरिफ लगा है।

वहीं, टैरिफ के मसले को लेकर भारत और अमेरिका के बीच तनाव की स्थिति है। ट्रम्प ने भारत पर पहले 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया था, लेकिन इसे और ज्यादा बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया। इसकी वजह से व्यापार काफी ज्यादा प्रभावित हुआ है।

ट्रम्प का कहना है कि रूस से तेल खरीदने की वजह से भारत पर एक्स्ट्रा टैरिफ लगाया गया है। हालांकि, चीन भी रूस से तेल खरीदता है, लेकिन इसके बावजूद अमेरिका ने उस पर एक्स्ट्रा टैरिफ नहीं लगाया है।



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