काठमांडू: नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के खिलाफ शनिवार को राजधानी काठमांडू में FIR दर्ज की गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ओली पर आरोप है कि 8 सितंबर को जब आंदोलन शुरू हुआ था, तब उन्होंने पुलिस को प्रदर्शनकारियों पर हमले और ज्यादती का आदेश दिया था।
ओली ने भारी दबाव के बीच 9 सितंबर को अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इसके बाद से ही वो आर्मी की सुरक्षा में हैं।
वहीं, नेपाल की अंतरिम पीएम सुशीला कार्की आज घायल आंदोलनकारियों से मिलने काठमांडू के हॉस्पिटल पहुंची। सुशीला कार्की ने शुक्रवार को ही नेपाल के अंतरिम पीएम पद की शपथ ली है। उन्हें 5 मार्च, 2026 तक संसदीय चुनाव कराने की जिम्मेदारी दी गई है। 6 दिनों की हिंसा के बाद काठमांडू के कई इलाकों से कर्फ्यू हटा दिया गया है।
वहीं, 6 जगहों पर अब भी कर्फ्यू जारी है। यहां 5 से ज्यादा लोगों के इकट्ठा होने, भूख हड़ताल, धरना, घेराव, जुलूस और सभा करने पर रोक लगा दी गई है। नोटिस में कहा गया है कि यह आदेश दो महीने तक लागू रहेगा।

सुशीला कार्की घायल आंदोलनकारियों से मिलने हॉस्पिटल पहुंची।
पीएम मोदी ने सुशीला कार्की को बधाई दी
PM मोदी ने शनिवार सुबह नेपाली, हिंदी और अंग्रेजी में सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए नेपाल की नई प्रधानमंत्री सुशीला कार्की को शुभकामनाएं दीं।
मोदी ने कहा, ‘नेपाल की अंतरिम सरकार की प्रधानमंत्री के रूप में पदभार ग्रहण करने पर सुशीला कार्की को हार्दिक बधाई। भारत नेपाल में अपने भाइयों और बहनों की शांति, प्रगति और समृद्धि के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।’
Gen-Z नेता बोले- सरकार में शामिल नहीं होंगे, लेकिन निगरानी करेंगे
कल राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने कल संसद भंग करने का भी ऐलान किया था। पूर्व पीएम केपी ओली की कम्युनिस्ट पार्टी (UML) ने इस फैसला का विरोध किया है। UML महासचिव शंकर पोखरेल ने पार्टी कार्यकर्ताओं से इसके खिलाफ सड़कों पर उतरने की अपील की है।
वहीं, Gen-Z नेताओं ने इस सरकार में शामिल होने से इनकार कर दिया। उनका कहना है कि वे सरकार में शामिल नहीं होंगे, लेकिन सरकार के कामकाज की निगरानी करेंगे।

राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने शुक्रवार को राष्ट्रपति भवन ‘शीतल निवास’ में सुशीला कार्की को अंतरिम पीएम पद की शपथ दिलाई।
भारत ने सुशीला कार्की की सरकार का स्वागत किया
भारत सरकार ने सुशीला कार्की की अंतरिम सरकार का स्वागत किया है। भारत ने उम्मीद जताई है कि यह सरकार नेपाल में शांति और स्थिरता लाने में मदद करेगी।
भारत ने यह भी कहा कि वह एक करीबी पड़ोसी, सहयोगी लोकतंत्र और लंबे समय से विकास साझेदार के तौर पर नेपाल के साथ मिलकर दोनों देशों और उनकी जनता की भलाई के लिए काम करता रहेगा।
सुशीला कार्की ने BHU से पढ़ाई की है
नेपाल की पहली महिला चीफ जस्टिस रहीं सुशीला कार्की ने बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) से राजनीति शास्त्र में मास्टर्स किया है। उन्होंने 1979 में वकालत में अपना करियर शुरू किया था।
सुशीला कार्की 11 जुलाई 2016 से 6 जून 2017 तक नेपाल की मुख्य न्यायाधीश थीं। 2017 में उनके खिलाफ महाभियोग लाया गया था। तब उनपर पूर्वाग्रह और कार्यपालिका में हस्तक्षेप का आरोप लगा था।
नेपाल में कोई जज दूसरी बार पीएम बना
सुशीला कार्की पहली ऐसी शख्स नहीं हैं जो न्यायधीश बनने के बाद अंतरिम पीएम बनी हैं। ऐसा पहली बार 2013 में हुआ था, तब मुख्य न्यायाधीश खिलराज रेग्मी के नेतृत्व में चुनावी सरकार बनाई गई थी।
पहली संविधान सभा के विघटन के बाद देश में राजनीतिक गतिरोध (रुकावट) पैदा हो गया था। इसे हल करने के लिए सभी राजनीतिक दलों ने समझौता किया और रेग्मी को सरकार बनाने का जिम्मा दिया। उनकी सरकार ने चुनाव कराए और इसके बाद दूसरी संविधान सभा का गठन हुआ।
राजशाही समर्थक सत्ता में न आए इसलिए पार्टियां सुशीला कार्की के नाम पर सहमत हुई
नेपाल में सुशीला कार्की का नाम जेन-जी की ओर से बढ़ाया गया था, लेकिन शुरुआत में ओली और प्रचंड की कम्युनिस्ट पार्टी तथा नेपाली कांग्रेस कार्की के नाम पर सहमत नहीं थी, लेकिन आर्मी चीफ अशोक सिग्देल लगातार राजशाही समर्थक दुर्गा प्रसाई को बैठकों में शामिल कर रहे थे।
जबकि राजशाही समर्थक RPP पार्टी का जेन-जी आंदोलन से कोई नाता नहीं था। साथ ही सिग्देल ने राष्ट्र के नाम संबोधन में पूर्व नरेश के चित्र का बैकग्राउंड में इस्तेमाल कर अपने इरादे जाहिर कर दिए थे। इससे राजनीतिक दलों को सत्ता हाथ से फिसलकर राजशाही के पाले में जाती दिखी। काफी
ना-नुकर के बाद शुक्रवार शाम को तीनों प्रमुख राजनीतिक दल कार्की के नाम पर सहमत हो गए। इन पार्टियों की शर्त थी कि अंतरिम पीएम के शपथ ग्रहण के साथ ही नए चुनाव की तारीखों का ऐलान भी किया जाए। ताकि ये पार्टियां चुनाव में भाग्य आजमा कर सत्ता पाने की जुगत कर सकें।
एक्सपर्ट- भारत के लिए नेपाल अहम क्योंकि अमेरिका-चीन की भी नजरें
भास्कर एक्सपर्ट, पूर्व भारतीय राजदूत, मीरा शंकर कहती हैं- नेपाल भारत के लिए भू-राजनीतिक और सांस्कृतिक रूप से बेहद अहम है। बफर स्टेट होने के कारण वहां की राजनीतिक स्थिरता भारत के हित में है।
चीन बीआरआई और अमेरिका एमसीसी के जरिए नेपाल में प्रभाव बढ़ा रहे हैं। नेपाल में दोनों महाशक्तियों का निवेश भारत के लिए चिंता का विषय है। भारत-चीन के बीच स्थित नेपाल की हर गतिविधि का सीधा असर भारत पर पड़ता है।
पांचवे दिन हिंसा में कमी, होटल इंडस्ट्री को ₹16 अरब का नुकसान
सोशल मीडिया बैन और भ्रष्टाचार के खिलाफ 8 सितंबर को शुरू हुए इस आंदोलन में 51 लोगों की मौत हुई, जबकि 1500 से ज्यादा घायल हो गए। हालांकि, पांचवे दिन हिंसा में कमी आई है।
नेपाल का प्रमुख चैनल कान्तिपुर जिसे प्रदर्शनकारियों ने बुधवार को जला दिया था, शुक्रवार फिर से शुरू हो गया। वहीं कुछ हिस्सों में कर्फ्यू में ढील मिलने के बाद भारत-नेपाल की खुली सीमा के कई चेक पॉइंट्स से लोगों की आवाजाही शुरू हो गई।
इस हिंसक आंदोलन की वजह से नेपाल की होटल इंडस्ट्री को बड़ा झटका लगा है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, देशभर में करीब 20-25 होटलों को तोड़ा गया, लूटा गया या आग लगा दी गई। इससे होटल इंडस्ट्री को 25 अरब नेपाली रुपए (16 अरब भारतीय रुपए) से ज्यादा का नुकसान हुआ।

राजधानी काठमांडू में पांचवे दिन हिंसा में कमी आई है, लेकिन एहतियातन सेना अभी भी तैनात है।
नेपाल में रिपोर्टिंग कर रहे भारतीय पत्रकारों के साथ मारपीट
नेपाल में रिपोर्टिंग कर रहे भारतीय पत्रकारों के साथ मारपीट की घटनाएं सामने आई। शुक्रवार को दो भारतीय पत्रकारों के साथ बदसलूकी की गई। एक प्रदर्शनकारी ने रिपब्लिक न्यूज चैनल के पत्रकार को रिपोर्टिंग करते वक्त थप्पड़ मारा।
वहीं, न्यूज एजेंसी IANS के कैमरापर्सन के साथ बदसलूकी की गई। इससे पहले भी इस आंदोलन के दौरान भारतीय पत्रकारों के साथ बदतमीजी की घटनाएं सामने आई हैं।
गुरुवार को एक महिला पत्रकार के साथ भी सरेआम बदतमीजी की गई थी। उन्हें रिपोर्टिंग करने से रोक दिया गया था। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि भारतीय मीडिया उनके आंदोलन को गलत तरीके से पेश कर रहा है।


(Bureau Chief, Korba)