काठमांडू: नेपाल के पूर्व पीएम केपी शर्मा ओली समेत 5 लोगों के काठमांडू छोड़ने पर रोक लगा दी गई है। इनमें पूर्व गृहमंत्री रमेश लेखक, गृह सचिव गोकर्ण मणि दुवाडी, आंतरिक खुफिया विभाग के प्रमुख हुत राज थापा, काठमांडू के तत्कालीन जिलाधिकारी छवि रिजाल शामिल हैं।
यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस गौरी बहादुर कार्की की अध्यक्षता वाले न्यायिक आयोग ने लिया है। यह आयोग GenZ आंदोलन के दौरान हुई गोलीबारी की जांच कर रहा है।
इसके अलावा आयोग ने इन नेताओं के पासपोर्ट निलंबित करने और कड़ी निगरानी रखने का भी आदेश दिया है। आयोग ने साफ किया कि बिना आयोग की अनुमति के कोई भी व्यक्ति काठमांडू से बाहर नहीं जा सकता।

ओली बोले- देश छोड़कर नहीं भागूंगा
नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली इस्तीफा देने के 18 दिन बाद शनिवार को सार्वजनिक रूप से दिखे। वे पार्टी के छात्र संगठन के कार्यक्रम में भक्तपुर पहुंचे थे।
बैठक में ओली ने कहा कि हम देश को तमाशे वाली सरकार के हवाले करके विदेश नहीं जा सकते।
ओली ने आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार जनता की इच्छा से नहीं बनी है, बल्कि हिंसा और तोड़फोड़ के सहारे बनी है। उन्होंने दावा किया कि पुलिस को गोली चलाने का आदेश उनकी सरकार ने नहीं दिया था।
ओली ने शिकायत की कि जिस घर में वे अभी रह रहे हैं, उसका पता उजागर होने और हमले की धमकी मिलने के बावजूद सरकार ने सुरक्षा नहीं दी।
उन्होंने कहा,
अब सोशल मीडिया पर मेरे नए घर का पता लगाकर हमला करने की योजना बनाई जा रही है। सरकार आखिर किस बात का इंतजार कर रही है?

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार अब उनकी सुविधाएं छीनने, पासपोर्ट रोकने और उन पर मुकदमा करने की बात कर रही है।
नेपाल हिंसा में मारे गए लोगों को शहीद का दर्जा
नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की ने कार्यभार संभालने के बाद GenZ आंदोलन में मारे गए लोगों को शहीद करार देने का फैसला किया है। इसके अलावा पीड़ितों के परिजनों को 10-10 लाख नेपाली रुपए का मुआवजा भी दिया जाएगा।
नेपाल में 8 सितंबर को युवाओं ने भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया बैन के खिलाफ आंदोलन शुरू किया था, जो बाद में हिंसक हो गया था। इस हिंसा में 72 लोग मारे गए थे। इनमें 1 भारतीय महिला भी शामिल थी।

(Bureau Chief, Korba)