Thursday, November 13, 2025

              बांग्लादेश: अंतरिम PM मोहम्मद यूनुस का ऐलान, 15 फरवरी तक होंगे संसदीय चुनाव

              ढाका: बांग्लादेश में अगले साल फरवरी में 15 तारीख से पहले संसदीय चुनाव होंगे। अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने देश को संबोधित करते हुए इसकी जानकारी दी।

              वहीं, शेख हसीना के खिलाफ दर्ज मानवता के खिलाफ अपराध मामले में आज फैसले की तारीख का ऐलान हो गया है। ढाका की इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT) 17 नवंबर, सोमवार को अपना फैसला सुनाएगी।

              आज फैसले से पहले ICT के आसपास सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। फैसले के खिलाफ अवामी लीग ने लॉकडाउन का ऐलान किया था। इसके जवाब में बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) और बांग्लादेश जमात-ए-इस्लामी के कार्यकर्ता गुरुवार को ढाका के कई इलाकों में सड़कों पर उतर आए और कुछ जगहों पर जुलूस भी निकाले।

              पूर्व पीएम शेख हसीना के आफिस में आगजनी

              दूसरी तरफ बांग्लादेश की राजधानी ढाका में आज दोपहर करीब 1 बजे प्रदर्शनकारियों ने अवामी लीग के मुख्यालय में आग लगा दी। ढाका ट्रिब्यून के मुताबिक करीब 10 से 15 लोगों ने इमारत की चौथी मंजिल पर लकड़ियां, पेपर कार्टन और अन्य सामान इकट्ठा करके आग लगा दिया।

              5 अगस्त को अवामी लीग सरकार गिरने के बाद भी इसी इमारत में आग लगाई गई थी। अवामी लीग को बांग्लादेश को बैन किया जा चुका है।

              बांग्लादेश में चुनाव के दिन ही जनमत संग्रह होगा

              यूनुस ने यह भी घोषणा की कि जुलाई चार्टर पर जनमत संग्रह (रेफरेंडम) भी संसदीय चुनाव के दिन कराया जाएगा, जिस दिन संसदीय चुनाव होंगे। उन्होंने कहा कि मकसद देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत करना है।

              जुलाई 2025 में, देश के राजनीतिक दलों और नागरिक संगठनों के बीच एक “जुलाई चार्टर” नाम का संविधान सुधार प्रस्ताव बना था। इसमें 4 अहम चीजें तय करने की कोशिश हुई थी।

              • भविष्य में चुनाव कैसे होंगे
              • सेना या न्यायपालिका की क्या भूमिका रहेगी
              • भ्रष्टाचार और मानवाधिकार से जुड़ी नई नीतियां कैसी होंगी
              • शेख हसीना पर लगे प्रतिबंध जारी रहेंगे या नहीं

              चुनाव के साथ जनमत संग्रह भी कराएगी यूनुस सरकार

              मोहम्मद यूनुस ने गुरुवार दोपहर को देश के नाम संबोधन दिया।

              बांग्लादेश के चीफ एडवाइजर मोहम्मद यूनुस ने आज घोषणा की कि राष्ट्रीय चुनाव और जुलाई चार्टर पर जनमत संग्रह दोनों एक ही दिन होंगे। सरकार ने यह फैसला मौजूदा राजनीतिक संकट को सुलझाने के प्रयास के तहत लिया है।

              यूनुस ने गुरुवार दोपहर राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा कि जनमत संग्रह में जनता से जुलाई चार्टर को लागू करने के आदेश पर राय मांगी जाएगी। उन्होंने बताया कि इसके चार अलग-अलग हिस्से होंगे।

              यूनुस ने कहा कि राजनीतिक दलों की अलग-अलग मांगों के बीच संतुलन बनाने के लिए 100 सदस्यीय ऊपरी सदन का गठन आनुपातिक प्रतिनिधित्व के आधार पर किया जाएगा। यानी जिस पार्टी को जितने वोट मिलेंगे, उसी अनुपात में उसे सीटें दी जाएंगी।

              उन्होंने बताया कि जुलाई चार्टर के क्रियान्वयन आदेश की तैयारी अंतिम चरण में है और सरकारी राजपत्र (गजट) की अधिसूचना का इंतजार है। ये सभी फैसले आज सुबह हुई सलाहकार परिषद की बैठक में लिए गए।

              सरकार ने 3 नवंबर को चेतावनी दी थी कि सभी पार्टियों को एक सप्ताह के भीतर मतभेद सुलझाने होंगे, वरना सरकार जरूरी कदम उठाएगी। लेकिन इसके बावजूद दलों के बीच मतभेद बने हुए हैं।

              हसीना को फांसी की सजा की मांग

              सरकारी वकील ने हसीना के खिलाफ पांच गंभीर आरोप लगाए गए हैं, जिनमें हत्या, अपराध रोकने में नाकामी और मानवता के खिलाफ अपराध सबसे अहम हैं।

              सरकारी वकील ने उनके लिए फांसी की सजा की मांग की है। मामले में बढ़ते तनाव को देखते हुए बांग्लादेश हाई अलर्ट पर है। देशभर के एयरपोर्ट्स और अहम इमारतों पर पुलिस और सेना की तैनाती बढ़ाई गई है।

              13 नवंबर 2025 को ढाका में अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण के बाहर पहरा देते हुए सैनिक।

              13 नवंबर 2025 को ढाका में अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण के बाहर पहरा देते हुए सैनिक।

              हिंसा-आगजनी के बाद हुए शेख हसीना का तख्तापलट

              घटना की शुरुआत 5 अगस्त 2024 को हुई, जब बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार का तख्तापलट हो गया। इससे पहले और बाद में देशभर में भारी प्रदर्शन, आगजनी और हिंसा देखी गई।

              सरकार पर आरोप लगे कि प्रदर्शन कर रहे छात्रों को गिरफ्तार कर टॉर्चर किया गया और फायरिंग की गई। हिंसा बढ़ने के बाद शेख हसीना ने देश छोड़कर भारत में शरण ली।

              इसके बाद बांग्लादेश की इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल ने उनके खिलाफ मामला दर्ज किया। उन्हें कोर्ट ने देश लौटकर केस में पेश होने का आदेश दिया, लेकिन उन्होंने यह आदेश नहीं माना।

              ट्रिब्यूनल के सरकारी वकील गाजी मुनव्वर हुसैन तमीम ने कहा कि 13 नवंबर को सिर्फ फैसला सुनाने की तारीख बताई जाएगी, उस दिन सजा नहीं सुनाई जाएगी। आमतौर पर फैसला घोषित होने में करीब एक हफ्ता लगता है।

              हसीना ने आरोपों को मनगढ़ंत बताया

              हसीना की तरफ से कहा गया कि यह पूरा केस राजनीतिक साजिश है। उनका कहना है कि ट्रिब्यूनल निष्पक्ष नहीं है और सभी आरोप झूठे और मनगढ़ंत हैं।

              उन्होंने इस कानूनी प्रक्रिया पर पारदर्शिता की कमी का आरोप लगाया और कहा कि उन्हें राजनीतिक रूप से निशाना बनाया जा रहा है।

              यूनुस सरकार ने हसीना पर हत्या, अपहरण से लेकर देशद्रोह के 225 से ज्यादा मामले दर्ज किए हैं। बांग्लादेश सरकार ने शेख हसीना का पासपोर्ट भी रद्द कर दिया है।

              वहीं बांग्लादेश के इंटरनेशनल क्रिमिनल ट्रिब्यूनल ने उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। ट्रिब्यूनल ने हसीना को 12 फरवरी तक पेश होने का निर्देश दिया था।

              बांग्लादेश भारत से हसीना को डिपोर्ट करने की अपील भी कर चुका है। हालांकि भारत सरकार उनका वीजा बढ़ा चुकी है, जिससे यह साफ हो गया कि उन्हें बांग्लादेश डिपोर्ट नहीं किया जाएगा।

              आरक्षण के खिलाफ आंदोलन ने किया था तख्तापलट

              बांग्लादेश में पिछले साल छात्रों के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन हुए थे। भीड़ ने 5 अगस्त, 2024 को तत्कालीन प्रधानमंत्री, 77 साल शेख हसीना के आवास पर हमला कर दिया था। भीड़ के पहुंचने से पहले हसीना बांग्लादेश से भागकर भारत आ गई थीं। वे तब से भारत में रह रही हैं।

              इसी के साथ बांग्लादेश में अवामी लीग की 20 साल पुरानी सरकार भी गिर गई। इसके बाद मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार की स्थापना की गई। हसीना के खिलाफ देशभर में छात्र कोटा सिस्टम को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे।

              दरअसल, बांग्लादेश में 5 जून, 2024 को हाईकोर्ट ने जॉब में 30% कोटा सिस्टम लागू किया था। यह आरक्षण स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों को दिया जा रहा था। लेकिन हसीना सरकार ने यह आरक्षण बाद में खत्म कर दिया था। इसके बाद छात्र उनके इस्तीफे की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन करने लगे।


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