Monday, December 29, 2025

              अमेरिका: तीन सांसदों ने प्रस्ताव पेश किया, बोले- भारत से टैरिफ हटाओ, यह गैर-कानूनी, इसका नुकसान आम अमेरिकी नागरिक भुगत रहे

              वॉशिंगटन डीसी: तीन अमेरिकी सांसदों ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के भारत पर लगाए भारी-भरकम टैरिफ को चुनौती दी है। ये सांसद हैं डेबोरा रॉस, मार्क वीजी और राजा कृष्णमूर्ति।

              इन्होंने अमेरिकी संसद में एक प्रस्ताव पेश किया है जिसका मकसद भारत से आने वाले सामान पर लगाए जाने 50% टैरिफ को हटाना है।

              सांसदों का कहना है कि ये टैरिफ गैर-कानूनी हैं। अमेरिका के लिए नुकसानदेह हैं और इसका सबसे ज्यादा नुकसान आम अमेरिकी नागरिकों को हो रहा है।

              सांसद डेबोरा रॉस ने कहा कि भारत से हजारों नौकरियां जुड़ी हैं।

              सांसद डेबोरा रॉस ने कहा कि भारत से हजारों नौकरियां जुड़ी हैं।

              सांसद बोले- भारत पर टैरिफ से अमेरिकी मजदूरों को नुकसान

              डेबोरा रॉस ने कहा कि उनके राज्य नॉर्थ कैरोलिना में भारत से बहुत निवेश आता है, हजारों नौकरियां भारतीय कंपनियों से जुड़ी हैं, ये टैरिफ उस रिश्ते को चोट पहुंचा रहे हैं।

              मार्क वीजी ने इसे “आम अमेरिकियों पर अतिरिक्त टैक्स” बताया। उन्होंने कहा कि सामान महंगा हो जाने से आम लोगों की जेब पर बोझ पड़ रहा है।

              भारतीय मूल के सांसद राजा कृष्णमूर्ति ने कहा कि ये टैरिफ सप्लाई चेन को तोड़ रहे हैं, अमेरिकी मजदूरों को नुकसान पहुंचा रहे हैं और उपभोक्ताओं के लिए कीमतें बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत से रिश्ते मजबूत करने चाहिए, बिगाड़ने नहीं।

              यह प्रस्ताव सिर्फ भारत के टैरिफ तक सीमित नहीं है। सांसदों का कहना है कि ट्रम्प लगातार अधिकारों का इस्तेमाल करके एकतरफा तरीके से टैरिफ लगा रहे हैं, जबकि व्यापार नियम बनाने का असली अधिकार अमेरिकी संसद के पास है।

              भारतीय मूल के सांसद राजा कृष्णमूर्ति ने कहा कि भारत पर टैरिफ सप्लाई चेन को तोड़ रहे हैं।

              भारतीय मूल के सांसद राजा कृष्णमूर्ति ने कहा कि भारत पर टैरिफ सप्लाई चेन को तोड़ रहे हैं।

              ट्रम्प भारत पर 50% लगा चुके

              अमेरिका ने रूस पर दबाव बनाने के लिए भारत पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं। ट्रम्प कई बार यह दावा कर चुके हैं कि, भारत के तेल खरीद से मिलने वाले पैसे से रूस, यूक्रेन में जंग को बढ़ावा देता है।

              ट्रम्प प्रशासन रूस से तेल लेने पर भारत के खिलाफ की गई आर्थिक कार्रवाई को पैनल्टी या टैरिफ बताता रहा है।

              ट्रम्प भारत पर अब तक कुल 50 टैरिफ लगा चुके हैं। इसमें 25% रेसीप्रोकल यानी जैसे को तैसा टैरिफ और रूस से तेल खरीदने पर 25% पैनल्टी है। रेसीप्रोकल टैरिफ 7 अगस्त से और पेनल्टी 27 अगस्त से लागू हुआ।

              पिछले कुछ महीनों में, भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक रिश्ता काफी खटास भरा रहा। अमेरिका ने भारत के हाई टैरिफ और ट्रेड घाटे की वजह से टैरिफ लगाया है। इस वजह से दोनों देशों को एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट में परेशानी हुई थी।

              अमेरिका को लगता है कि दोनों देशों के बीच व्यापार असंतुलित है। भारत, अमेरिका को ज्यादा चीजें बेचता है और अमेरिका, भारत को उतनी चीजें नहीं बेच पाता। इस अंतर को कम करने के लिए भी यह टैरिफ लगाया गया है।

              अमेरिका और भारत के बीच ट्रेड को लेकर बातचीत जारी

              अमेरिकी ट्रेड प्रतिनिधि जेमिसन ग्रीयर का कहना है कि भारत ने एग्रीकल्‍चर सेक्‍टर को लेकर अब तक का ‘सबसे अच्छा ऑफर’ दिया है।

              IANS की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी किसानों को भारत के बाजारों तक ज्यादा पहुंच मिले, इसके लिए बातचीत की जा रही है। खासकर ज्वार और सोयाबीन जैसी फसलों के लिए घरेलू मार्केट खोलने पर चर्चा हो रही है।

              ग्रीयर ने बताया कि अमेरिकी बातचीत टीम इस समय नई दिल्ली में है और कृषि से जुड़े मुद्दों पर चर्चा कर रही है। भारत कुछ फसलों के मामले में सावधानी बरत रहा है, लेकिन इस बार भारत ने अपनी ओर से बाजार खोलने में दिलचस्पी दिखाई है।

              इंडिया-US खेती के अलावा भी अन्य मुद्दों पर बात कर रहे

              ग्रीयर ने कहा कि कृषि के अलावा दोनों देशों के बीच कुछ और मुद्दों पर भी बातचीत चल रही है। 1979 एयरक्राफ्ट एग्रीमेंट के तहत विमान के पुर्जों पर जीरो टैरिफ लगाने की बात काफी आगे बढ़ चुकी है। यानी कि अगर भारत अपने बाजार में अमेरिकी सामान को कम टैक्स के आने देगा, तो अमेरिका भी बदले में भारत के लिए वही छूट देगा।

              सीनेट समिति के चेयरमैन जेरी मोरन ने इस दौरान कहा कि भारत अमेरिका के मक्का और सोयाबीन से बनने वाले एथेनॉल का भी बड़ा खरीदार बन सकता है।

              ग्रीयर ने इस बारे में ज्यादा जानकारी नहीं लेकिन उन्होंने कहा कि यूरोपीय यूनियन समेत कई देशों ने अमेरिकी एथेनॉल और ऊर्जा उत्पादों के लिए अपने बाजार खोल दिए हैं और आने वाले साल में करीब 750 अरब डॉलर की खरीद का वादा किया है।


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