Friday, April 26, 2024
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BCC NEWS 24: कोरबा- कलेक्टर की किसानों से अपील… गौठानों में करे अधिक से अधिक पैरा दान, कहा- फसल अवशेष जलाने पर लगेगा 15 हजार का अर्थदण्ड…

*नेशनल ग्रीन ट्रीब्यूनल केे जारी आदेश अनुसार फसलों के अवशेषों को खेतों में जलाने पर है प्रतिबंध.

कोरबा17 नवंबर 2021(BCC NEWS 24): नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा खेतों में फसलों के कटने के बाद बचे अवशेषों को जलाने पर प्रतिबंध लगाया गया है। खेतों में बचे फसल अवशेषों को जलाने से पर्यावरण को होने वाले नुकसान को संज्ञान में लेते हुए ट्रीब्यूनल द्वारा यह आदेश जारी किया गया है। आदेश में किसानों द्वारा खेतों में फसल अवशेष जलाने पर दण्ड का भी प्रावधान किया गया है। उप संचालक कृषि श्री अनिल शुक्ला ने आज यहां बताया कि नेशनल ग्रीन ट्रीब्यूनल के आदेश के अनुसार यदि कोई कृषक अपने खेतों में फसल अवशेष जलाते हुए पाये जाते हैं तो दो एकड़ रकबा वाले किसानों से दो हजार 500 रूपए, दो से पांच एकड़ वाले किसानों से पांच हजार रूपए एवं पांच एकड़ से अधिक रकबा वाले किसानों से 15 हजार रूपए दण्ड वसूलने का प्रावधान किया गया है।
उप संचालक श्री शुक्ला ने बताया कि फसल अवशेष को जलाने से खेत की छह इंच परत जिसमें विभिन्न प्रकार के लाभदायक सूक्ष्मजीव जैसे राइजोबियम, एजेक्टोबैक्टर, नील हरित काई के साथ ही मित्र कीट के अण्डें भी नष्ट हो जाते हैं एवं भूमि में पाये जाने वाले ह्यूमस, जिसका प्रमुख कार्य पौधों की वृद्धि पर विशेष योगदान होता है, वो भी जल कर नष्ट हो जाते हैं, जिससे आगामी फसल उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। साथ ही भूमि की उर्वरा शक्ति भी अवशेष जलाने से नष्ट होती है। उपसंचालक ने बताया कि फसल अवशेषों का उचित प्रबंधन जैसे फसल कटाई उपरांत अवशेषों को इकट्ठा कर कम्पोस्ट गड्ढे या वर्मी कम्पोस्ट टांके में डालकर कम्पोस्ट बनाया जा सकता है अथवा खेत में ही पड़े रहने देने के बाद जीरों सीड कर फर्टिलाइजर ड्रील से बोनी कर अवशेष को सडने हेतु छोड़ा जा सकता है। इस प्रकार खेत में अवशेष छोडने से नमी संरक्षण, खरपतवार नियंत्रण एवं बीज के सही अंकुरण के लिए मलचिंग का कार्य करता है। उप संचालक ने बताया कि एक टन पैरा जलाने से तीन किलो पर्टिकुलेट मैटर (पीएम), 60 किलो कार्बन मोनो आक्साइड, एक हजार 460 किलो कार्बन डाइ आक्साइड, दो किलो सल्फर डाइ आक्साइड जैसे गैसों का उत्सर्जन तथा 199 किलो राख उत्पन्न होती है। अनुमान यह भी है कि एक टन धान का पैरा जलाने से मृदा में मौजूद 5.5 किलोग्राम सल्फर नष्ट हो जाता है।
कलेक्टर श्रीमती साहू ने की पैरा दान करने की अपील- इस संबंध मंे कलेक्टर श्रीमती रानू साहू ने जिले के सभी किसानों से फसल कटने के बाद गौठानों में अधिक से अधिक पैरा दान करने की अपील की है, ताकि गौठानों में आने वाले पशुओं को साल भर पर्याप्त भोजन मिल सके। उन्होंने जिले के सभी सरपंचों से भी मुनादी कराकर किसानों से गौठानों में पैरा दान करने का आग्रह करने की अपील की है। कलेक्टर ने यह भी बताया है कि पैरे को जलाने से पर्यावरण प्रदूषित होता है। ऐसा करने पर छत्तीसगढ़ ग्राम पंचायत स्वच्छता सफाई एवं न्यूसेंस का निराकरण तथा उपशमन नियम 1999 के तहत कार्रवाई की जा सकती है।
कलेक्टर श्रीमती साहू ने यह भी अपील की है कि सभी सरपंच अपने-अपने गांवों में धान कटाई के बाद बचे हुए फसल अवशेष पैरे को किसानों को जलाने नहीं देवें। कलेक्टर ने कृषि विभाग के मैदानी अमले को निर्देशित किया है कि धान कटाई के बाद के फसल अवशेष नरई-पैरा-पराली को जलाने की जगह उससे खाद बनाने के तरीके किसानों को बतायें और शासकीय योजना का लाभ उठाने के लिये प्रेरित करें।

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