इस इलाके में अब तक तेंदुए की खाल के तस्कर पकड़ में आते रहे हैं। पुलिस भी बाघ की खाल की तस्करी के इस मामले में जांच कर रही है और वन विभाग भी
- धमतरी के सिहावा थाना के पुलिस की कार्रवाई, तस्कर ने नहीं दी अब तक कोई अहम जानकारी
- बाघ की मौत कैसे हुई, किसने खाल निकाली इन सवालों के जवाब नहीं दे पा रहा वन विभाग
धमतरी/ धमतरी की पुलिस का दावा है कि उसने एक शख्स के बाघ की खाल बेचते हुए गिरफ्तार किया है। इस गिरफ्तारी ने वन विभाग के अफसरों की पोल खोल दी है। बाघों के संरक्षण पर केंद्र और राज्य सरकारें विशेष ध्यान देती हैं। मगर तस्कर से बरामद बाघ की खाल सरकारी तंत्र के बाघों के प्रति खोखली संवेदनशीलता को उजागर कर रही है। सब इंस्पेक्टर राधेश्याम बंजारे ने बताया कि मुखबिर से सूचना मिली थी कि एक आदमी बाघ की खाल रखे हुए है। वो इसे बेचना चाहता है। फौरन पुलिस की टीम ने इस आदमी को घेरकर पकड़ लिया। इसके बाद से 10 फीट लंबी बाघ की खाल मिली है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक यह बेहद कम उम्र के बाघ की खाल है।
जयराम, बाघ की खाल के साथ यही गिरफ्तार हुआ है, अब तक इसने कोई जानकारी पुलिस को नहीं दी है।
कैसे हुई बाघ की मौत किसी को नहीं पता
मुकुंदपुर गांव में नहर पुल के पास पुलिस को खाल का तस्कर मिला। पूछताछ में इसने अपना नाम जयराम कावड़े बताया। जयराम हुचाडी थाना अमाबेड़ा जिला कांकेर का रहने वाला है। सफेद रंग के प्लास्टिक के बोरे में इसने बाघ की खाल छिपा रखी थी। टीम ने इसे फौरन गिरफ्तार कर लिया। जयराम से बाघ की खाल के बारे में पूछताछ की जा रही है। इस गिरफ्तारी के बारे में वन विभाग के अफसरों को भी जानकारी दी गई। बाघ की मौत कैसे हुई, किसने खाल निकाली इसके जवाब जयराम नहीं दे रहा। मामले में छानबीन जारी है।
इस खाल को किया गया बरामद, बाघ के हर मूवमेंट पर वन विभाग नजर रखता है फिर इस तरह से खाल का मिलना कई सवाल खड़े कर रहा है।
40 लाख है बाजार में कीमत
जयराम के पास से मिली बाघ की खाल की कीमत 40 लाख रुपए तक आंकी गई है। अब वन विभाग के एक्सपर्ट खाल का मुआएना कर यह जानने की कोशिश में है कि बाघ का कोई रिकॉर्ड इनके पास है या नहीं। बाघ की धारियों से उसकी पहचान होती है, हर बाघ की धारियां अलग होती हैं। अब धमतरी से लेकर बस्तर तक वन विभाग यह पता लगाने में जुटा है कहीं इसके पीछे तस्करों का कोई बड़ा रैकेट तो नहीं।