छत्तीसगढ़ के किसानों का टेंट आंदोलन में छत्तीसगढिया मौजूदगी दिखाने के लिए लगाया गया है। टेंट के बाहर एकजुटता दिखाते किसान।
- छत्तीसगढ़ के किसानों को आंदोलन में शामिल हुए एक महीने से अधिक हुए
- अभी तक पंजाब और हरियाणा के किसानों के साथ टेंट शेयर कर कर रहे थे
रायपुर/ केंद्र सरकार के कृषि सबंधी तीन विवादित कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर चल रहा किसानों का प्रतिरोध जारी है। इस बीच छत्तीसगढ़ के किसानों ने भी दिल्ली के सिंघु बार्डर पर अपना खेमा लगा दिया है। इसमें इस वक्त करीब दर्जन भर किसान मौजूद हैं। प्रदेश के दूसरे किसानों का भी वहां पहुंचना जारी है।
छत्तीसगढ़ किसान-मजदूर महासंघ के नेतृत्व में किसानों का एक बड़ा जत्था पिछली 7 जनवरी को दिल्ली के लिए रवाना हुआ था। 8 जनवरी की रात उन लोगों को हरियाणा पुलिस ने पलवल में रोक लिया। उसके बाद भी यह जत्था कच्चे रास्तों का इस्तेमाल कर 9 जनवरी को सिंघु बार्डर पहुंच गया। उन लोगों ने पंजाब और हरियाणा से आये किसानों के साथ ही उनका टेंट शेयर किया। वहीं कुछ लोग अपने ट्रकों में बनाई गई सुविधाओं में ही ही साेए। ये किसान 26 जनवरी की ट्रैक्टर परेड में हिस्सा लेने के मकसद से गये थे। 26 जनवरी की परेड खत्म होने के तीन-चार दिन बाद उनमें से अधिकतर किसान लौट आए थे।
कुछ दिन घर पर बिताकर आंदोलनकारी किसान फिर से दिल्ली जाने लगे हैं। छत्तीसगढ़ किसान-मजदूर महासंघ संयोजक मंडल सदस्य और अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा के राज्य सचिव तेजराम विद्रोही उन्हीं किसानों में से एक हैं। तेजराम छत्तीसगढ़ के किसानों के जत्थे का नेतृत्व भी कर रहे हैं। विद्रोही बताते हैं कि केंद्र सरकार बार-बार इस आंदोलन को पंजाब के किसानों का आंदोलन कहकर इसके राष्ट्रीय स्वरूप को नजरअंदाज करने की कोशिश कर रही है। इस बार हम लोग यह सोचकर आये थे कि आंदोलन में छत्तीसगढ़ का टेंट लगाया जाए। ताकि आंदोलन में हमारे प्रदेश की भागीदारी भी साफ दिखे। दो दिन की मेहनत के बाद अब सिंघु बार्डर पर छत्तीसगढ़ का भी एक टेंट लग चुका है।
स्थानीय मदद से लगाया टेंट
तेजराम विद्रोही ने बताया, उन्होंने आंदाेलन के संयोजक मंडल से इस संबंध में बात की थी। उसके बाद स्थानीय मदद से यह टेंट लगा है। इसके लिए सरिये, पॉलिथीन की सीट और कपड़े का इस्तेमाल हुआ है। टेंट का ढांचा बनाने के लिए सरिये को वहीं मोड़कर उसे तार से बांधा गया। सड़क पर खूंटे गाड़कर तार से ही इस ढांचे को सड़क पर खड़ा किया गया। उसके बाद पॉलिथीन सीट से कवर कर दिया गया। यह संसाधन वहां काम कर रहे कई गैर सरकारी संगठनों और स्थानीय ग्रामीणों की मदद से जुटाए गए।
लोग आयेंगे तो और टेंट लगेंगे
आंदोलन में शामिल किसानों ने बताया, अभी जो टेंट बना है। उसमें 25 से 30 लोगों के सोने की जगह है। अगर और लोग आते हैं हम इसके बगल में और दूसरा-तीसरा टेंट भी लगाएंगे। किसानों ने बताया, उनके टेंट के आसपास हरियाणा के किसानों के खेमे हैं। पास में ही लंगर है।
बीमा कर्मचारी संगठन के प्रतिनिधियों ने भी किसानों के साथ एकजुटता दिखाते हुए आर्थिक मदद भेजी है।
बीमा कर्मियों ने आंदोलन को दी आर्थिक मदद
छत्तीसगढ़ के बीमा कर्मियों ने दिल्ली पहुंचकर किसान आंदोलन के साथ एकजुटता दिखाई है। सेंट्रल जोन इंश्यूरेंस इम्प्लाइज एसोसिएशन के महासचिव धर्मराज महापात्र के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल दिल्ली पहुंचा था। इसमें संगठन के सहसचिव वीएस बघेल, संगठन सचिव भानु प्रताप सिंह भी शामिल थे। धर्मराज महापात्र ने बताया, उन्होंने संगठन की ओर से अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्ला को 50 हजार रुपए का चेक सौंपा है। यह किसान आंदोलन को उनके संगठन की ओर से सहयोग है।