RAIGARH: रायगढ़ और धरमजयगढ़ वन मंडल में 60 से ज्यादा हाथियों के दल ने डेरा डाल रखा है। केवल धरमजयगढ़ वन मंडल में ही 55 हाथियों का दल विचरण कर रहा है, जिसमें 13 नर, 26 मादा और 16 शावक शामिल हैं। वन विभाग ने ग्रामीणों को हाथियों को लेकर अलर्ट जारी किया है और जंगल की ओर जाने की मनाही की है।
ये जंगली हाथी छाल के लोटान, कीदा, बोजिया, छाल, बनहर, बेहरामार, पुरूंगा और धरमजयगढ़ के कोयलार राजा जंगल में, तराईमार, नागदरहा और क्रोंधा में विचरण कर रहे हैं। रायगढ़ जिला चारों ओर से जंगलों से घिरा हुआ है, जो हाथियों के साथ-साथ अन्य वन्य प्राणियों के लिए भी अनुकूल है। खासतौर पर हाथियों का दल हमेशा यहां के गावों में उत्पात मचाता रहता है, जिसकी वजह से गांववालों में दहशत रहती है।
रायगढ़ और धरमजयगढ़ वन मंडल में 60 से ज्यादा हाथियों के दल ने डेरा डाल रखा है।
वहीं फिलहाल रायगढ़ वन मंडल में 09 जंगली हाथी विचरण कर रहे हैं। जिसमें रायगढ़ रेंज के पड़िगांव, कांटाझरिया पश्चिम, बंगुरसिया पश्चिम में 7 हाथी और घरघोड़ा का डेहरीडीह और बटुराकछार में हाथी 2 हाथियों की मौजूदगी है। इन दोनों मंडलों में जंगली हाथियों की संख्या धरमजयगढ़ वन मंडल में अधिक है। रायगढ़ में भी बीच-बीच में इनकी संख्या घटती-बढ़ती रहती है।
केवल धरमजयगढ़ वन मंडल में ही 55 हाथियों का दल विचरण कर रहा है।
जंगली हाथियों के आतंक से प्रभावित गांवों में शाम ढलते ही जहां गांव की सड़कें सूनी हो जाती हैं, वहीं उनकी चिंघाड़ से ग्रामीण डरे-सहमे अपने-अपने घरों में दुबकने के लिए मजबूर हो जाते हैं। वहीं कुछ ग्रामीण खौफ के साए में अपने खेतों की रखवाली करते हैं। 2 दिन पहले भी देर रात जंगली हाथियों के दल ने धरमजयगढ़ वन मंडल के छाल क्षेत्र के गलीमार, बनहर, हाटी और धरमजयगढ़ के बायसी, शेरबंद, नागदरहा, सागरपुर में फसलों को नुकसान पहुंचाया है।
हाथियों से वन विभाग ने किया अलर्ट। इस तरह से हाथियों से बच सकते हैं आप भी।
लेमरू एलीफेंट रिजर्व का काम बेहद धीमी गति से
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 15 अगस्त 2019 को हाथियों के लिए एक बड़ी परियोजना लेमरू एलीफेंट रिजर्व शुरू किए जाने का ऐलान किया था। जिसमें 4 वनमंडल के 12 रेंज शामिल किए गए थे। इनमें धरमजयगढ़, कोरबा, कटघोरा और सरगुजा क्षेत्र शामिल हैं। इसके तहत परिक्षेत्रों को मिलाकर करीब 450 वर्ग किलोमीटर घनघोर जंगल वाले लेमरू वन परिक्षेत्र में एलीफेंट रिजर्व बनेगा, लेकिन इस योजना पर बेहद धीमी गति से काम हो रहा है।
लेमरू एलीफेंट रिजर्व का काम बेहद धीमी गति से चल रहा है, जिसके कारण हाथियों और लोगों दोनों को नुकसान।
क्या है यह लेमरू हाथी रिजर्व
लेमरू हाथी रिजर्व हाथियों का सुरक्षित कॉरिडोर होगा। 2011 में 1143 वर्ग किमी में बनाने की अधिसूचना जारी हुई थी, लेकिन उसे कभी लागू नहीं किया गया। कांग्रेस सरकार ने 2019 में इसे 1995 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में बनाने का प्रस्ताव पारित किया। इसमें जशपुर का बादलखोल अभयारण्य, बलरामपुर का तमोरपिंगला, सूरजपुर का सेमरसोत और कोरबा जिले का लेमरू वन क्षेत्र पड़ेगा। इसके लिए अलग से अधिकारी-कर्मचारी तैनात किए जाएंगे। हाथियों के लिए इस रिजर्व फॉरेस्ट में चारे-पानी की व्यवस्था होगी। जिससे हाथी यहीं रहेंगे और बाहर नहीं जाएंगे। इस व्यवस्था से जनहानि और ग्रामीणों की संपत्ति को कम नुकसान पहुंचेगा।
हाथियों ने छाल क्षेत्र के गलीमार, बनहर, हाटी और धरमजयगढ़ के बायसी, शेरबंद, नागदरहा, सागरपुर में फसलों को नुकसान पहुंचाया।
छत्तीसगढ़ में पहली बार एलीफेंट अलर्ट ऐप
छत्तीसगढ़ में पहली बार एलीफेंट अलर्ट ऐप लॉन्च होने वाला है। यह ऐप जनहानि रोकने के साथ जानवरों की सुरक्षा पर काम करेगा। इस ऐप्लीकेशन को लॉन्च करने से पहले वाइल्ड लाइफ रायपुर के अफसर प्रदेश के 3 जिले धमतरी, महासमुंद, गरियाबंद जिले के अलावा धरमजयगढ़ व बारनवापारा में इसका ट्रायल कर रहे है। इसके जरिए 20 किमी के दायरे में मौजूद इस ऐप से जुड़े सभी को अलर्ट मैसेज मिलेगा। एलीफेंट अलर्ट ऐप से प्रदेश के 15 जिलों के करीब 10 हजार लोगों को जोड़ने की प्लानिंग है।
छत्तीसगढ़ में 3 साल में हाथियों के हमले में 230 लोगों की और 2020 से 2023 तक 56 हाथियों की मौत हो चुकी है।
2 तरीकों से इस तरह काम करेगा ये एलीफेंट ऐप
पहला- ओपन सोर्स (ओडीके कलैक्ट)
हाथी मित्र दल की ओर से एप्लीकेशन में हाथी सहित अन्य जानवरों का लोकेशन के साथ फोटो सब्मिट करेंगे, जो सर्वर में अपलोड होगा। नेटवर्क नहीं है, तो ऑफलाइन मोड पर काम करेगा। इसके बाद नेटवर्क पकड़ते ही तुरंत सर्वर तक फोटो पहुंच जाएगी। ये एप इन 15 जिलों धमतरी, गरियाबंद, बालोद, बलौदाबाजार, महासमुंद, सरगुजा, रायगढ़, कोरबा, बिलासपुर, मुंगेली, सूरजपुर, अंबिकापुर, कोरबा, जशपुर और बलरामपुर में लॉन्च होगा।
प्रभावित इलाकों में हाथियों से लोग दहशत में रहते हैं, सड़कों में अचानक ऐसे नजर आ जाते हैं हाथी।
दूसरा- वाइल्ड लाइफ विंग, एफएमआईएफ
इस एप से अलर्ट मैसेज व फोन खुद से पहुंच जाएगा। कई लोग हमेशा मैसेज नहीं देखते, इसलिए फोन के जरिए उन्हें बताया जाएगा कि हिंसक हाथी आपके एरिया से कितनी दूरी पर मौजूद है। सीतानदी-उदंती अभयारण्य के गांवों में ग्रामीण, सरपंच-उपसरपंच, कोटवार मिलाकर 300 लोगों को जोड़ा जा चुका है। प्रदेश में अभी हाथियों के 11 दल मौजूद हैं। इनमें सिकासेर दल, गुरु घासीदास दल, चंदा दल, गौतमी दल, बांकी दल, शांत दल, चंदा दल, रूहासी सहित अन्य दल मौजूद हैं।