RAIPUR: राजधानी रायपुर में 1000 सिलाई मशीन की फैक्ट्री निगम लगाने जा रहा है। ये आधुनिक मशीनें होंगी। एक मशीन की कीमत करीब 30 हजार होगी। निगम इसके जरिए एक हजार महिलाओं को रोजगार देने की योजना तो बना ही रहा है, साथ ही रायपुर का अपना एक ब्रांड भी खड़ा करने की योजना है। ऐसा करने वाला रायपुर नगर निगम पहला होगा। इससे पहले दंतेवाड़ा जिला प्रशासन ने डैनेक्स के नाम से कपड़ों का एक ब्रांड स्थापित किया है।
इसमें शहर की महिलाएं जींस, ट्राउजर और ऐसे ही अन्य तरह के लेटेस्ट गारमेंट्स बनाना सीखेंगी। उनके बनाए कपड़ों को मार्केट उपलब्ध कराया जाएगा। इस तरह अपनी फैक्ट्री में ही वे कपड़ा बनाना सीखेंगी। अगले एक-दो दिन में फैक्ट्री का भूमिपूजन भी होने वाला है।
मोवा में बीएसएनएल आफिस के पास करीब 45 हजार वर्गफीट क्षेत्र में गारमेंट्स फैक्ट्री के लिए शेड और जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जा रहा है। मशीनें भी आम नहीं होगी, बल्कि रेडिमेड फैक्ट्रियों में उपयोग में लाई जाने वाली खास तरह की होंगी। एक मशीन की कीमत 30 हजार से ज्यादा बताई जा रही है।
नगर निगम ने फैक्ट्री तैयार करने के साथ एक कंसलटेंसी कंपनी भी नियुक्त करेगा। यह कंपनी महिलाओं को सिलाई की ट्रेनिंग देगी। इसके अलावा यहां तैयार होने वाले कपड़ों को बेचने के लिए मार्केट भी उपलब्ध कराएगी।
कंसलटेंसी कंपनी ही देश की बड़ी रेडिमेड कंपनियों के साथ रायपुर नगर निगम का टाईअप कराएगी। ऐसी कंपनी चिन्हित होने के बाद उसके साथ हम एमओयू करेंगे। कंपनी हमें रॉ मटेरियल उपलब्ध कराएगी और हमारी फैक्ट्री में तैयार होने वाले गारमेंट्स भी लेगी। यह फैक्ट्री एक तरह से पीपीपी पर चलेगी।
एक मशीन की कीमत होगी 35000 रुपए
अपर आयुक्त अभिषेक अग्रवाल ने बताया कि फैक्ट्री में उन महिलाओं को प्राथमिकता दी जाएगी जो सिलाई की बेसिक जानकारियां रखती हैं। उन्हें प्रशिक्षण देकर रेडीमेड्स जींस, ट्राउजर व अन्य गारमेंट्स सिलने के लिए तैयार किया जाएगा। उनके सिले कपड़े ही मार्केट में बेचे जाएंगे। यहां काफी लार्ज स्केल में काम होगा। फैक्ट्री में कटिंग, सिलाई, पैकेजिंग इत्यादि अलग-अलग डिपार्टमेंट होंगे। महिलाओं को यहां हर तरह का काम मिलेगा। जहां हर तरह के काम होंगे।
“गारमेंट फैक्ट्री में रायपुर की महिलाओं को न केवल रोजगार मिलेगा, बल्कि गारमेंट्स के क्षेत्र में रायपुर बड़ा स्थान भी हासिल करेगा। दिल्ली, मुंबई की तुलना में यहां बने कपड़ों की लागत कम होगी। इससे देशभर में हमारे गारमेंट्स की मांग बढ़ेगी।” – मयंक चतुर्वेदी, निगम आयुक्त, रायपुर