बिलासपुर: छत्तीसगढ़ राज्य वक्फ बोर्ड में तीन सदस्यों की नियुक्ति का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है। नियमों को दरकिनार कर सदस्य बनाए जाने पर कोर्ट ने राज्य शासन, वक्फ बोर्ड सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। साथ ही वक्फ बोर्ड कमेटी के सभी निर्णय को इस केस के फैसले से बाधित रखा है।
राज्य शासन ने हाल ही में वक्फ बोर्ड में तीन नए सदस्यों की नियुक्ति की है। इसमें राजनांदगांव जिले के खुज्जी के पूर्व विधायक इमरान मेमन, रायपुर के वकील फैजल रिजवी और कारोबारी मोहम्मद फिरोज खान शामिल हैं। इस नियुक्ति को चुनौती देते हुए अजीमुद्दीन ने एडवोकेट सलीम काजी के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की हैं।
नियुक्तियों को बताया अवैध
याचिकाकर्ता के वकील सलीम काज़ी ने कहा कि शासन की ओर से की गई तीनों नियुक्तियों में वक़्फ़ अधिनियम 1995 की धारा 14 में किये गए संशोधन अधिनियम, 2013 के प्रावधानों का पालन नहीं किया गया है। इसलिए ये नियुक्तियां अवैध है। इसके तहत यह प्रावधान है कि वक्फ बोर्ड में सदस्य बनाने के लिए पहले चयन समिति का गठन किया जाना है। लेकिन राज्य सरकार ने बिना कमेटी बनाए ही सिधे तौर पर सदस्यों की नियुक्ति कर दी है। साथ ही यह भी कहा है कि अधिवक्ता को सदस्य बनाने के लिए बार कौंसिल के सदस्य के रूप में नियुक्ति करना है। जबकि वे बार के मेंबर ही नहीं है। इसी तरह फिरोज खान की नियुक्ति धर्म गुरु की जगह की गई है। जबकि वे एक कारोबारी है।
मालूम हो कि राज्य शासन ने 6 अप्रैल को अधिसूचना जारी कर उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस मिन्हाजुद्दीन को वक्फ बोर्ड का चेयरमैन बनाया है। इसी आदेश के साथ ही खुज्जी के पूर्व विधायक इमरान मेमन, फैसल रिज़वी, मोहम्मद फ़िरोज़ खान व शासकीय सदस्य के रूप में आईएएस अधिकारी इफ्फत आरा की नियुक्ति की गई है।