भिलाई: छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में बोरवेल को ठीक करते समय उसका मालिक 35 फिट गहरे गड्ढे में चला गया। देखते ही देखते उसके ऊपर आसपास की मिट्टी भी धसक कर गिर गई। गांव के लोगों ने तुरंत बालोद पुलिस को सूचना दी और रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया। इधर बालोद एसपी और कलेक्टर के कहने पर दुर्ग एसपी व कलेक्टर ने दुर्ग एसडीआरएफ की टीम को भेजा। टीम ने रात 2 बजे युवक का शव निकाला।
दुर्ग नगर सेना के जिला कमांडेंट नागेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि उनके पास रविवार रात 8 बजे घटना की सूचना आई थी। उन्हें बताया गया कि बालोद के गुरुर थाना क्षेत्र अंतर्गत खैर डिग्गी गांव निवासी रामकुमार पोया पिता पुनाराम पोया (36 वर्ष) बोलवेल के गड्ढे में गिर गया है। उन्होंने एसडीआरएफ प्रभारी धनीराम यादव के नेतृत्व में 8 सदस्यीय टीम को तुरंत रवाना किया। टीम करीब 9 बजे मौके पर पहुंची। वहां पर जिला प्रशासन और गांव के लोगों द्वारा रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा था। इसके बाद दुर्ग एसडीआरएफ ने यह काम अपने हाथ में लिया। स्थानी लोगों और प्रशासन की मदद से कई घंटे की मसक्कत के बाद रात करीब दो बजे 35 फिट नीचे गड्ढे में जाकर टीम ने युवक के शव को रस्सी से बांधकर बाहर निकाला।
बोरवेल के गड्ढे में पड़ा युवक का शव
जान जोखिम में डालकर निकाला शव
रेस्क्यू ऑपरेशन को लीड कर रहे धनीराम यादव ने भास्कर को बताया कि जिस बोरवेल में रामकुमार गिरा वहां की मिट्टी बलुई (पोला) थी। स्थानीय जिला प्रशासन ने जेसीबी की मदद से 10-15 फिट गहरा गड्ढा किया था। आगे उन लोगों ने खुद गड्ढा खोदकर वहां की मिट्टी को बाहर निकाला गया। जैसे-जैसे मिट्टी को खोदकर बाहर निकालते आसपास की बलुई मिट्टी और पानी गड्ढे में फिर से भर जा रहा था। ऐसा होने पर पहले पानी को बाहर करते फिर मिट्टी को निकालते। कई बार ऐसा करते-करते टीम के सादस्य 35 फिट गहराई तक गया तब जाकर उन्हें वहां रामकुमार का शव मिला। इसके बाद उसके पैर को रस्सी से बांधा गया और फिर ऊपर खींचा गया।
बोलवेल के गड्ढे को खोदती एसडीआरएफ की टीम
हर पल मंडरा रहा मौत का खतरा
धनीराम ने बताया कि 35 फिट नीचे तक जाने में टीम के ऊपर हर पर मौत का खतरा मंडरा रहा था। टीम नीचे तो जाती थी, लेकिन जैसे ही उनके ऊपर मिट्टी धसक कर गिरती तो जान सूख जाती कि यदि मिट्टी का बड़ा भाग गिरा तो वो खुद भी उसमें दबकर मर सकते हैं। इसके बाद भी टीम ने हिम्मत नहीं आई। ऑक्सीजन सिलेंडर और अन्य सुरक्षा उपकरण की मदद वो लगातार रेस्क्यू करते रहे। 8 घंटे लगातार रेस्क्यू करने के बाद उन्हें सफलता मिली। इस टीम में टीम प्रभारी धनीराम यादव के साथ थानेश्वर, राजेश नेताम, रमेश कुमार, दिलीप कुमार, महेश गंधर्व, चंद्रप्रताप आदि मौजूद रहे।
शव तक पहुंची एसडीआरएफ की टीम
केसिंग ठीक करते समय हुआ हादसा
एसडीआरएफ प्रभारी से मिली जानकारी के मुताबिक रामकुमार के बाड़ी में बोरवेल लगा था। वहां की मिट्टी काफी पोली थी। उसे ठीक करने के लिए उसने गांव के लोगों की मदद ली। रविवार शाम 6 बजे वो जेसीबी से 5 फिट गहरा गड्ढा करते बोरवेल की केसिंग को निकाल रहा था। इसी दौरान उसका पैर बोरवेल के गड्ढे में पड़ गया और मिट्टी धसक जाने से वो 35 फिट नीचे जा गिरा। उसके ऊपर मिट्टी गिरने से वो दब गया और सांस न ले पाने से उसकी मौत हो गई।