Monday, September 30, 2024




Homeछत्तीसगढ़कोरबाBCC News 24: छत्तीसगढ़- कानन पेंडारी जू में बेजुबानों के बीच भीषण लड़ाई.....

BCC News 24: छत्तीसगढ़- कानन पेंडारी जू में बेजुबानों के बीच भीषण लड़ाई.. बाघ ने देर रात केज का दरवाजा तोड़कर बाघिन पर कर दिया हमला, जबड़े से गर्दन दबाई, सांस नली फटी, मौत 

बिलासपुर: कानन पेंडारी जू में बीती रात बाघ और बाघिन में लड़ाई हो गई। 3 साल के नर बाघ भैरव ने केज का रोलिंग दरवाजा तोड़कर 13 साल की उम्रदराज बाघिन पर टूट पड़ा। अपने मजबूत जबड़े से उसने चेरी का गला ऐसे पकड़ा कि उसकी श्वांस नली दबकर फट गई और उसकी मौत हो गई।

इससे केज में चारों तरफ खून ही खून बिखर गया था। श्वांस नली फटने की बात से अफसर इंकार कर रहे हैं। डाक्टरों ने पोस्टमार्टम के दौरान इसका जिक्र किया था, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में दम घुटना लिखा है। इससे स्पष्ट है कि बाघ ने बाघिन के गर्दन को पकड़ा था।

खींचकर खोलने वाले रोलिंग दरवाजे को बाहर की तरफ से ताले से लॉक किया जाता है। इसके आसानी से खुलने की संभावना नहीं के बराबर है, लेकिन बीती रात कानन में यह हो गया। अफसर कह रहे हैं कि नर बाघ ने गुस्से से दरवाजे को इस तरह से बाहर की तरफ धकेला कि वह ताला तोड़कर पीछे की तरफ चला गया और बाघ चेरी बाघिन के पास पहुंचकर उसे मौत की घाट उतार दिया। गले की श्वांस नली फटने से ही केज में चारों तरफ खून बिखरा पड़ा था।

मेटिंग हो सकता है आपसी लड़ाई का कारण
कानन पेडारी में बाघिन चेरी को 2011 में नागपुर के महाराजा बाग जू से वन्यप्राणी आदान-प्रदान के माध्यम से लगाया गया था। उसकी उम्र तकरीबन 13 साल 5 महीने की थी। चेरी कानन पेंडारी में ही बड़ी हुई। यहां उसने 11 साल तक पर्यटकों का मनोरंजन किया। बाघिन चेरी ने कानन में बच्चे भी दिए 2018 में बाघ विजय के साथ चेरी का आखिरी मेटिंग हुआ था। तब उसने 3 बच्चों को जन्म दिया। उसके बाद से ही कानन में ब्रिडिंग बंद कर दिया गया है, जिसके कारण ऐसे संघर्ष होने की बात कही जा रही है।

अब कानन में सिर्फ 5 बाघ-बाघिन ही बचे हैं
कुछ दिन पहले एटीआर से घायल हालत में कानन लाई गई बाघिन रजनी की मौत हुई थी। कान में हर माह औसतन एक जीव की मौत हो रही है। कानन में लगातार हो रहे वन्य जीवों की मौत से इनकी संख्या लगातार घट रही है। मौत का कारण सही समय पर इलाज नहीं मिल पाना भी है। ऐसे में प्रबंधन की कार्यप्रणाली पर ही सवाल उठ रहे हैं।

आपसी लड़ाई से मौत
बाघ भैरव और बाघिन चेरी के बीच आपसी लड़ाई होने से बाघिन की मौत हो गई। पीएम से पता चला कि आपसी लड़ाई से बाघिन का दम घुट गया, जिसके चलते मौत हुई। – विजय साहू, रेंजर, कानन

कब्रगाह बना कानन, दो माह में हर 10 दिन में एक मौत
कानन पेंडारी वन्यप्राणियों की कब्रगाह बनता जा रहा है। अव्यवस्थाओं के चलते 3 साल में दो बाघिन, तीन मादा हिप्पोपोटामस सहित 56 वन्यप्राणियों की मौत हो चुकी है। ये उन वन्यप्राणियों की गिनती है जिन्हें देखने की उत्सुकता पर्यटकों में होती है। वन्यप्राणियों की मौत के कारण अनेक हैं। कानन पेंडारी में फैली अव्यवस्था का शिकार वन्यप्राणी हो रहे हैं। नए वर्ष में दूसरे महीने यानि फरवरी माह से अब तक हर 10वें या 11वें दिन एक वन्यप्राणी की मौत हो रही है।

कानन पेंडारी जू में एक के बाद वन्य जीवों की मौत हो रही है। औसतन हर माह दो वन्यप्राणी की जान जा रही है। बीते दो माह में ही 6 वन्यप्राणियों की जान जा चुकी है। वर्ष 2022 में हर माह दो वन्यप्राणी की औसत मौत हुई है। नए साल में एक हिप्पो, तीन भालू और दो बाघिन की जान जा चुकी है। कानन प्रबंधन कभी बीमार तो कभी उम्रदराज होने को मौत की वजह बता रहा है। सच्चाई यह है कि कानन में घायल और बीमार वन्यप्राणियों का सही तरीके से इलाज नहीं हो पा रहा है, जिसके चलते वन्य प्राणियों की मौत हो रही है। तीन साल पहले कानन में लगभग 700 वन्य जीव थे, लेकिन वर्तमान में सिर्फ 540 वन्य जीव ही बचे हैं।

आखिर कहां हो रही चूक
कानन प्रबंधन ने यह जानने की कोशिश भी नहीं की कि आखिर वन्य जीवों की मौत की वजह क्या है। वन्य जीवों की मौत का सिलसिला रोकने क्या कारगर कदम उठाया जाए, अन्य जू के चिकित्सकों से परामर्श भी नहीं लिया गया। कहने तो कानन में पशु चिकित्सक हैं, फिर भी वे वन्य प्राणियों की जान नहीं बचा पा रहे हैं।

2021 में 20 से अधिक जीवों की हुई थी मौत
वर्ष 2021 में 20 से अधिक वन्य जीवों की मौत हुई थी। जिसमें प्रबंधन आपसी लड़ाई, बीमार और उम्र दराज का वजह बताया था।

2019 में इन वन्य जीवों की गई थी जान

  • 16 जून को कानन में भीषण गर्मी और पानी की कमी से सूखी डबरी में 22 साल की मादा हिप्पो की लाश मिली थी, जो गर्भवती थी
  • 8 अक्टूबर को कानन में मादा शुतुरमुर्ग की मौत हो गई, जिसकी जानकारी डीएफओ को भी नहीं दी गई और कानन के अधिकारियों ने उसका अंतिम संस्कार कर दिया था.
  • 12 अक्टूबर को नर चीतल ने दम तोड़ दिया. घायल होने के बाद भी उसे उचित इलाज नहीं मिला.
  • 15 दिसंबर को सफेद हिरण की मौत
  • 17 अक्टूबर को एक चीतल की मौत हो गई.
  • 22 नवंबर को एक नर कोटरी ने दम तोड़ा था
  • 26 दिसंबर को एक मादा भालू की मौत हुई थी
  • 29 दिसंबर को एक नील गाय की मौत हुई
  • दिसंबर में ही दो माह के मणिपुरी हिरण और सांभर की मौत हुई थी
RELATED ARTICLES
- Advertisment -


Most Popular