दंतेवाड़ा: भाई-बहन के धर्मांतरण करने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। विरोध में अब पूरा गांव भी उतर गया है। भाई-बहन ने कहा कि हमारी चर्च पर आस्था है। हमने प्रभु की प्रार्थना की तो हमारी सारी बीमारी ठीक हो गई है। ग्रामीणों का कहना है कि, हम दोनों को अपने धर्म में वापस लाना चाहते हैं। मामला दंतेवाड़ा के SDM कोर्ट तक पहुंच गया है। सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोढ़ी और संजय पंत भी इन्हें समझाइश देने व मामला शांत करवाने पहुंचे। धर्मांतरण को लेकर गांव का माहौल भी पूरी तरह से गरमाया हुआ है।
दरअसल, दंतेवाड़ा जिले के धुर नक्सल प्रभावित डुमाम गांव के रहने वाले मंगल मंडावी का दावा है कि, वो साल 2012 से एक गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे। पागलों की तरह बर्ताव करने लगे थे। कई अस्पतालों में उसने इलाज करवाया, लेकिन ठीक नहीं हुए। जिसके बाद चर्च में प्रार्थना करने के लिए गए। कुछ ही दिनों के बाद बिना इलाज के सारी बीमारी ठीक हो गई। इसलिए उन्होंने धर्म परिवर्तन कर लिया। मंगल की बहन सोमड़ी ने कहा कि, मेरी बेटी भी बहुत बीमार थी। शरीर में रक्त की कमी थी। अस्पताल समेत गांव के ही बैगा के पास इलाज करवाने गए थे। स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं आया था। लेकिन जब चर्च जाकर प्रभु की आराधना की तो बेटी ठीक हो गई।
सरपंच बोले- हम करवाना चाहते हैं घर वापसी
डुमाम गांव के सरपंच कमलू मंडावी ने कहा कि, गांव के भाई-बहन ने 5 साल पहले धर्म परिवर्तन कर लिया है। वे देवगुड़ी में भी नहीं आते हैं और न ही देवगुड़ी का प्रसाद खाते हैं। जिसे लेकर सारे गांव के लोग नाराज हैं। मां और अन्य भाई ने धर्म परिवर्तन नहीं किया है। हम लोग इन्हें वापस अपने धर्म में लाना चाहते हैं। युवक की ईसाई धर्म की लड़की के साथ शादी भी करवा दी गई है। इन्होंने हमारे खिलाफ पुलिस थाना में शिकायत भी दर्ज करवाई है। इस लिए मामला अब SDM कोर्ट पहुंच गया है।
आदिवासियों को खत्म करने की है साजिश – सोनी
मामले को बढ़ता देख ग्रामीणों को समझाइश देने सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी भी पहुंची। सोनी ने ग्रामीणों को आपस में न लड़ने की बात भी कही। धर्मांतरण के मामले पर उन्होंने सरकार पर भी आरोप लगाया है। सोनी ने कहा कि, आदिवासी समुदाय को खत्म करने यह सरकार की सोची समझी साजिश है। आदिवासियों को नक्सली बता कर अंदर डाल रहे हैं या फिर उनका धर्मांतरण कर ईसाई धर्म में शामिल कर समुदाय को ही खत्म करने का प्रयास कर रहे।