छत्तीसगढ़: भानुप्रतापपुर विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस का कब्जा हो गया है। सावित्री मंडावी ने बड़ी जीत दर्ज कर ली है। उन्होंने बीजेपी प्रत्याशी ब्रह्मानंद नेताम को 21,171 वोटों से हराया है। इस बड़ी जीत के बाद कांग्रेस खेमे में जश्न का माहौल है। कांग्रेस दफ्तर के बाहर जमकर आतिशबाजी हो रही है। मिठाइयां बांटी जा रही हैं।
भानुप्रतापुर उपुचनाव के नतीजों पर सीएम भूपेश बघेल ने बयान दिया कि नतीजा बता रहा है कि सरकार पर लोगों का भरोसा कायम है। वहां पर मनोज मंडावी के किए हुए काम पर मुहर लगी है। भाजपा को वहां दूसरे-तीसरे स्थान पर रहने के लिए भी कड़ा संघर्ष करना पड़ा।
उपचुनाव में कुल 1,41,662 वोट पड़े। कांग्रेस प्रत्याशी सावित्री मंडावी को 65,479 वोट, बीजेपी प्रत्याशी को 44308 वोट और आदिवासी समाज के उम्मीदवार अकबर राम को 23,417 वोट मिले हैं। नोटा को 4251
कांग्रेस में जश्न का माहौल
कांग्रेस प्रत्याशी की जीत के बाद खेमे में जश्न का माहौल है। कोंडागांव कांग्रेस दफ्तर के बाहर कार्यकर्ताओं ने जमकर आतिशबाजी की। रायपुर के राजीव भवन में मिठाइयां बांटी गई।
स्ट्रॉन्ग रूम के अंदर मत पेटियां ले जाते।
विधानसभा उपचुनाव के लिए 256 पोलिंग बूथ में 5 दिसंबर को वोटिंग हुई थी। चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा आदिवासी आरक्षण था। भाजपा प्रत्याशी ब्रह्मानंद नेताम पर कांग्रेस ने बलात्कार का आरोप लगाया गया।
भाजपा प्रत्याशी को चुनावी मैदान में हराने कांग्रेस ने बड़ा ट्रंप कार्ड खेला था। तो वहीं भाजपा ने आरक्षण को बड़ा मुद्दा बनाकर इस चुनावी मैदान में अपने लिए जीत का रास्ता क्लियर करने की कोशिश की। तो वहीं इन दोनों ही पार्टियों से खफा सर्व आदिवासी समाज ने अपना प्रत्याशी चुनावी मैदान में खड़ा किया था।
पूर्व IPS अकबर राम कोर्राम। बस्तर पुलिस के DIG पद से रिटायर हुए अकबर राम कोर्राम को आदिवासी पसंद कर रहे थे। आलम ये है कि इन्हें जिताने के लिए गांव-गांव कसमें खाई जा रही थी कि लोग भाजपा और कांग्रेस का साथ न देकर इन्हें ही समर्थन देंगे। दैनिक भास्कर से बात-चीत में अकबर राम कोर्राम ने अपने अनोखे नाम की कहानी भी बताई और DIG से नेता बनने की वजह भी।
अकबर राम कोर्राम को सर्व आदिवासी समाज ने अपना प्रत्याशी बनाया था। इनसे पहले और भी लोगों को अलग-अलग गांवों में समाज ने भानुप्रतापपुर के चुनाव में उतारा, मगर बाकियों ने नाम वापस लिए थे। अकबर ने बताया था कि प्रदेश में आदिवासी आरक्षण की कटौती की गई थी। भाजपा और कांग्रेस दोनों दल इसके जिम्मेदार हैं। इसलिए अब समाज ने मुझे मैदान में उतारा है और संकल्प ले रहे हैं कि उन दलों का साथ न देकर अपने बीच के व्यक्ति काे विधानसभा पहुंचाना है।
उपचुनाव में जीत को बताया लोगों का भरोसा कायम
वहीं छत्तीसगढ़ में भानुप्रतापपुर उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी सावित्री मंडावी ने बड़ी जीत दर्ज की है। मुख्यमंत्री ने कहा, भानुप्रतापुर का नतीजा बता रहा है कि सरकार पर लोगों का भरोसा कायम है। वहां पर मनोज मंडावी जी के किये हुए काम पर मुहर लगी है।
शिशुपाल सोरी ने किया था दावा
कांकेर विधायक शिशुपाल सोरी ने काउंटिंग से दावा किया था कि, भूपेश बघेल की सरकार ने काम काज किए हैं और मनोज मंडावी ने अपना काम किया है। महिलाओं के दर्द को महिलाएं समझती हैं। तो हमें विश्वेस है कि हम जीतेंगे। उन्होंने दावा किया है कि, इस बार 30 हजार से ज्यादा वोट से कांग्रेस जीत दर्ज करेगी। शिशुपाल सोरी ने कहा कि आरक्षण का मुद्दा अचानक आया। क्योंकि ये मामला ताजा है। हमने अपनी बातें जनता के सामने रखी है। cm ने बैठक बुलाई थी। हमको यदि आरक्षण को बहाल करना है तो विधानसभा से पारित किया जाए और एक ऐसा एक्ट बने जिसमें सभी वर्गों के लिए काम हो।
कांकेर विधायक, शिशुपाल सोरी
कांग्रेस विधायक के निधन से खाली हुई है सीट
भानुप्रतापपुर से कांग्रेस विधायक मनोज कुमार मंडावी का 16 अक्टूबर की सुबह दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था। उसके बाद इस सीट को रिक्त घोषित कर दिया गया। निर्वाचन आयोग ने चुनाव की अधिसूचना 10 नवम्बर को जारी कर दिया है। 17 नवम्बर तक मतदान की अंतिम तिथि है। नया विधायक चुनने के लिए पांच दिसम्बर को मतदान होगा। आठ दिसम्बर को मतगणना होगी और परिणाम घोषित किया जाएगा।
सावित्री मंडावी सबसे मजबूत
कांग्रेस से सावित्री मंडावी चुनावी मैदान में है। सावित्री मंडावी दिवंगत विधायक मनोज मंडावी की पत्नी है। उन्होंने चुनाव लड़ने के लिए सरकारी सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली है। कांग्रेस के रणनीतिकारों का कहना है, सावित्री को समाज की सहानुभूति मिलेगी। दूसरे उनकी छवि एक भद्र महिला की है, इससे विपक्षी उम्मीदवारों को उनपर सीधा हमला करने का कोई तरीका नहीं मिलेगा।
टीचर रह चुकी हैं सावित्री
भानुप्रतापपुर विधायक और विधानसभा उपाध्यक्ष रहे मनोज मंडावी की पत्नी सावित्री मंडावी रायपुर के कटोरा तालाब स्थित सरकारी स्कूल में व्याख्याता के पद पर तैनात थीं। बच्चों को पढ़ाने का काम रहा है। जब निर्वाचन आयोग ने उप चुनाव का कार्यक्रम जारी किया। उसी दिन दोपहर बाद ही सावित्री मंडावी ने टीचर की नौकरी से इस्तीफा दे दिया था। दिवंगत मनोज मंडावी की अंतिम यात्रा में शामिल होने पहुंचे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सावित्री मंडावी को उम्मीदवार बनाने की बात कही थी। कांकेर के चारामा में हुई मुख्यमंत्री की जनसभा में भी सावित्री मंडावी के समर्थन में नारे लगाए गए थे।
2008 में जीते थे ब्रह्मानंद
भाजपा प्रत्याशी ब्रम्हानंद नेताम भानुप्रतापपुर से 2008 में विधायक बने थे। उन्होंने मनोज मंडावी को ही हराया था। लेकिन इसके बाद मंडावी 2013 में सतीश लाटिया से चुनाव जीते थे। 2018 के चुनाव में भाजपा ने 2003 में विधायक रह चुके देवलाल दुग्गा को आजमाया, लेकिन वे भी मंडावी से हार गए थे। दुग्गा का नाम भाजपा के पैनल में था, लेकिन पार्टी ने उनकी जगह उपचुनाव में ब्रह्मानंद पर भरोसा जताया है।
उपचुनाव का स्ट्राइक रेट बरकरार रखना चाहेगी कांग्रेस
2018 में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद छत्तीसगढ़ में हर साल उप चुनाव हुए हैं। दंतेवाड़ा, चित्रकोट, मरवाही, खैरागढ़ में सत्ताधारी कांग्रेस के उम्मीदवारों ने एकतरफा जीत दर्ज की है। पिछले चार चुनाव में एकमात्र चित्रकोट सीट ही 2018 के आम चुनाव में कांग्रेस के खाते में थी। इसका मतलब है कि इन चुनावों में कांग्रेस का स्ट्राइक रेट 100% था। इस कार्यकाल में यह विधानसभा का पांचवा उपचुनाव होगा। पार्टी इस स्ट्राइक रेट को बरकरार रखने की कोशिश में है।
ऐसा रहा है भानुप्रतापपुर का चुनावी मिजाज
संयुक्त मध्य प्रदेश के समय 1962 में पहली बार भानुप्रतापपुर का विधानसभा क्षेत्र घोषित किया गया। पहले चुनाव में निर्दलीय रामप्रसाद पोटाई ने कांग्रेस के पाटला ठाकुर को हराया। 1967 के दूसरे चुनाव में प्रजा सोसलिस्ट पार्टी के जे हथोई जीते। 1972 में कांग्रेस के सत्यनारायण सिंह जीते। 1979 में जनता पार्टी के प्यारेलाल सुखलाल सिंह जीत गए। 1980 और 1985 के चुनाव में कांग्रेस के गंगा पोटाई की जीत हुई। 1990 के चुनाव में निर्दलीय झाड़ूराम ने पोटाई को हरा दिया। 1993 में भाजपा के देवलाल दुग्गा यहां से जीत गए। 1998 में कांग्रेस के मनोज मंडावी जीते। अजीत जोगी सरकार में मंत्री रहे। 2003 में भाजपा के देवलाल दुग्गा फिर जीत गए। 2008 में भाजपा के ही ब्रम्हानंद नेताम यहां से विधायक बने। 2013 में कांग्रेस के मनोज मंडावी ने वापसी की। 2018 के चुनाव में भी उन्होंने जीत दर्ज की।
चार सालों में पांचवी बार हो रहा है उपचुनाव
छत्तीसगढ़ के 22 सालों में अब तक 13 बार उप चुनाव हो चुके हैं। अब तक सबसे अधिक चार उपचुनाव 2008-13 के दौर में हुए। उस समय देवव्रत सिंह के सांसद बन जाने से खाली खैरागढ़ सीट पर उप चुनाव हुए। केशकाल में महेश बघेल, भटगांव में रविशंकर त्रिपाठी और संजारी बालोद में मदनलाल साहू के निधन के बाद उप चुनाव की नौबत आई। 2018 से 2023 के पहले चार सालों में चार उपचुनाव पहले ही हाे चुके हैं। पहला उपचुनाव दंतेवाड़ा से भाजपा विधायक भीमा मंडावी की हत्या के बाद कराया गया। दीपक बैज के सांसद चुन लिए जाने पर चित्रकोट में नया विधायक चुना गया। अजीत जोगी के निधन से खाली मरवाही विधानसभा और देवव्रत सिंह के निधन से खाली खैरागढ़ में उपचुनाव हुआ है। पिछले चार सालों में यह पांचवां उपचुनाव होगा। इस लिहाज से यह भी अपने आप में रिकॉर्ड है।