रायपुर: गणतंत्र दिवस पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ से सरकारी कार्यालयों के लिए सप्ताह में पांच दिन की वर्किंग की घोषणा कर दी है। अर्थात, सरकारी अधिकारी-कर्मचारी सोमवार से शुक्रवार तक काम करेंगे, शनिवार और रविवार को छुट्टी होगी। सीएम की घोषणा के 24 घंटे के भीतर ही सामान्य प्रशासन विभाग ने मुख्यमंत्री को नई व्यवस्था 22 फरवरी से लागू करने का प्रस्ताव भेज दिया है।
इस प्रस्ताव की खास बात ये है कि नवा रायपुर के दफ्तरों से लेकर जिलों के मैदानी कार्यालयों तक में अधिकारी कर्मचारियों का कामकाज आधा घंटे बढ़ाया गया है। मंत्रालय से जिला कार्यालयों तक अधिकाररी-कर्मचारियों की सुबह 10 बजे से शाम 5.30 बजे तक वर्किंग प्रस्तावित है। सीएम की घोषणा के साथ ही प्रदेश में सरकारी दफ्तरों के कार्य दिवस महीने में 22 हो जाएंगे, जो अब तक 24 हैं। इसके अलावा काम के घंटे 156 के बजाय हफ्ते में 154 हो जाएंगे, अर्थात शनिवार की छुट्टी बढ़ने के बावजूद केवल 2 घंटे का ही अंतर आएगा।
हालांकि अभी सेकंड और थर्ड सैटरडे को राज्य के सरकारी दफ्तर बंद ही रहते हैं। जीएडी के मुख्यमंत्री को भेजे गए प्रस्ताव का राजपत्र में प्रकाशन होगा। इससे पहले प्रस्ताव पर को मंजूरी के लिए केबिनेट में भी लाए जाने की संभावना है। उसके बाद ही सिसटम लागू किया जाएगा। हालांकि जीएडी की तरफ से दी गई 22 फरवरी की तारीख फिक्स नहीं है। जानकारों के मुताबिक प्रक्रिया जल्दी-जल्दी पूरी कर यह सिस्टम इस तारीख से पहले भी लागू किया जा सकता है। अफसरों का मानना है कि सरकारी दफ्तर बंद रहने की नई व्यवस्था स्कूल-कालेजों और अस्पतालों में लागू नहीं होने की संभावना है। वहां छुट्टियां उसी तरह रहेंगी, जैसी अभी हैं।
ऐसे बदलेगी टाइमिंग
- मंत्रालय-संचालनालय में मौजूदा टाइमिंग 10.00 से 5.00 बजे तक
- जिला स्तर के दफ्तरों की मौजूदा टाइमिंग 10.30 से 5.30 बजे तक
- इन दफ्तरों की नई टाइमिंग – सुबह 10.00 से शाम 5.30 बजे तक
मध्यप्रदेश समेत कई राज्यों में
सप्ताह में पांच दिन काम की सरकारी व्यवस्था पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश में भी लागू है। इसके साथ ही तमिलनाडू, गोवा, उत्तरप्रदेश आदि में भी इसी सिस्टम पर काम हो रहा है। महाराष्ट्र में फड़नवीस सरकार ने फरवरी 20202 में करीब दो साल पहले यह व्यवस्था लागू की थी। फिर मामला कोर्ट में चला गया था। एक दिन की वर्किंग एडजस्ट करने के लिए सुबह 9 से शाम छह बजे तक कार्यालयों में काम होता है। हालांकि मध्यप्रदेश में जुलाई 2021 से यह व्यवस्था अस्थायी तौर पर की गई है। वर्किंग आवर्स भी साढ़े दस सा साढ़े पांच बजे तक ही हैं। मार्च में इसकी फिर से समीक्षा की जाएगी।