Saturday, September 28, 2024




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BCC News 24: BIG न्यूज़- छत्तीसगढ़ में होम हेल्थ केयर के नाम पर बड़ा फर्जीवाड़ा.. 8वीं-10वीं पास को नर्स बनाकर भेज रहे घरों में, वसूल रहे मोटी रकम, केवल गुमश्ता के नाम पर खुलेआम चला रहे सेंटर.. 40 से अधिक एजेंसियां निशाने पर

छत्तीसगढ़: रायपुर समेत प्रदेश के कई जिलों में होम हेल्थ केयर के नाम पर बड़ा फर्जीवाड़ा चल रहा है। अस्पतालों की मिलीभगत से इस काम को अंजाम दिया जा रहा है। गंभीर मरीजों की देखभाल के लिए ऐसी नर्स भेजी जा रही हैं, जिनके पास न तो कोई शैक्षणिक योग्यता है और न ही कोई ट्रेनिंग।

राजधानी में ही 40 से अधिक होम हेल्थ केयर एजेंसियां चल रही हैं, जो मोटी फीस वसूल रही है। घरों में जा रहे ज्यादातर हेल्थ केयर वर्कर 8वीं, 10वीं, 12वीं पढ़े ऐसे लड़के और लड़कियां हैं, जिन्होंने नर्सिंग की कोई पढ़ाई नहीं की है। केवल नर्स का कोट पहनाकर उन्हें घरों में भेज दिया जाता है। छत्तीसगढ़ समेत दूसरे राज्यों और पड़ोसी देशों से भी कम पढ़े-लिखे लड़के लड़कियों को नौकरी दिलाने के नाम पर रायपुर लाया जा रहा है।

उनको इंजेक्शन लगाने, सलाइन चढ़ाने, न्यूबोलाइजेशन करना, ऑक्सीजन चढ़ाने जैसे कच्ची-पक्की ट्रेनिंग हॉस्टल या छोटे क्लीनिक में दे दी जाती है। कुछ दिन बाद ही सीधे नर्स का काम करवाया जा रहा है। चौंकाने वाली बात ये है कि आमलोगों को भी इन फर्जी नर्स या हेल्थ केयर वर्कर के बारे में जानकारी नहीं रहती।

अकुशल लोगों के जरिए मरीजों की हेल्थ केयर करवाने से उनकी जान के साथ भी खिलवाड़ किया जा रहा है। एजेंसियां एक होम हेल्थ केयर वर्कर को घर पर बुलाने पर मरीज की स्थिति के मुताबिक एक हजार रुपए प्रति दिन से लेकर 8 हजार रुपए प्रति दिन तक का चार्ज कर रही है।

वहीं, घर में कोविड मरीज होने पर चार्ज बढ़ाकर 2 हजार से 10 हजार रुपए प्रतिदिन तक लिया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग के पास भी होम हेल्थ केयर के नाम पर मरीजों के साथ धोखाधड़ी करने वाली एजेंसियों के बारे में कोई जानकारी नहीं है। पड़ताल में पता चला है कि एजेंसियों के पास घर में हेल्थ सर्विस देने के लिए कोई लाइसेंस तक नहीं है। केवल गुमश्ता लाइसेंस के नाम पर ये खुलेआम सेंटर चला रहे हैं।

नौकरी के नाम पर युवाओं से भी धोखा : पूरे गोरखधंधे की तह तक जाने पर खुलासा हुआ कि एजेंसियां दोतरफा धोखाधड़ी कर रही हैं। दरअसल, एजेंसियां एक तरफ बिना प्रशिक्षित नर्सों के माध्यम से आम लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रही है। वहीं, दूसरी तरफ युवाओं को नौकरी के नाम पर धोखा दे रही है।

एजेंसियां इन कम पढ़े लिखे युवाओं को झूठा सपना दिखाकर रायपुर तक लाकर पूरी सैलरी नहीं दे रही हैं। पड़ताल में यह भी सामने आया कि छोटे बड़े अस्पतालों के साथ मिलकर पूरा कारोबार संचालित किया जा रहा है। हर अस्पताल में होम हेल्थ केयर वर्कर्स के एजेंट रहते हैं। जो मरीज की देखभाल करने वाले जरूरतमंदों को तरह तरह के आफर देते हैं। इन एजेंसियों के बोर्ड बैनर भी अस्पताल के आसपास ज्यादा दिखाई देते हैं।

कुछ दिन पहले रायपुर में संचालित हो रही एक एजेंसी करीब 70 से अधिक हेल्थ वर्कर्स के साथ धोखाधड़ी करके फरार हो गई है। एजेंसी ने प्रत्येक हेल्थ वर्कर 8 हजार रुपए के हिसाब से दो माह का वेतन 16 हजार रुपए भी नहीं दिया है। एजेंसी 70 लोगों के 11.20 लाख रुपए लेकर चंपत हुई है। संचालकों का मोबाइल नंबर भी स्विच आफ हो गया है। वर्कर्स से 24 घंटे काम लिया जाता है। जानकार ये भी कहते हैं कि हेल्थ केयर की आड़ में ह्यूमन ट्रेफिकिंग से इनकार नहीं किया जा सकता है।

पीड़िता के साथ घर में होती रही बदसलूकी : बातचीत में 17 साल की पीड़िता प्रथा (आग्रह पर बदला हुआ नाम) ने बताया कि उसे जांजगीर जिले से रायपुर में लाया गया। वह आर्ट्स विषय से 12वीं तक पढ़ाई की है। सोशल मीडिया के स्टेट्स से इस तरह के काम की जानकारी मिली थी। घर वालों को भी एजेंसी ने कहा कि हर महीने 8 हजार रुपए मिलेंगे। लड़की का काम अच्छा रहा तो विदेश तक भेजा जा सकता है। एजेंसी के साथ काम करते हुए उसे रायपुर के एक परिवार में बुजुर्ग मरीज की देखभाल के लिए भेजा गया।

बुजुर्ग की देखभाल के दौरान एक दिन घर में बुजुर्ग के बेटे जिसे वह अंकल कहती थी, लड़की के लिए महंगे गिफ्ट लाता था। बुजुर्ग के बेटे ने एक दिन लड़की के साथ जबरदस्ती करने की कोशिश की। उसने एजेंसी में शिकायत की, लेकिन उस पर कोई भी एक्शन नहीं लिया।

होम हेल्थ केयर वर्कर ने जब काम छोड़ने के लिए कहा तो एजेंसी संचालक ने कहा कि तुम ऐसे काम नहीं छोड़ सकती। अपनी इज्जत बचाने के लिए लड़की मरीज का घर छोड़ होस्टल में आई तो उसे रातभर बाहर रखा गया। एजेंसी ने उसकी सैलरी ये कहकर रोक दी कि जब तुमने काम ही नहीं किया तो पैसे किस बात की दें।

बीमार को भी काम पर भेजा : दुर्ग जिले से आकर होम हेल्थ केयर वर्कर का काम करने वाली पीड़िता ने बताया कि हाल ही में उसे तेज सर्दी खांसी बुखार था। वह एजेंसी के होस्टल में थी। एजेंसी संचालक ने फोन कर कहा कि तुमको रायपुर के एक घर में जाना है। पीड़िता ने जब बताया कि वह बीमार है तो संचालक ने कहा कि तुम काम नहीं करना चाहती हो, ये बहाना नहीं चलेगा। उसे बगैर किसी कोविड टेस्ट के मरीज की देखभाल के लिए पहुंचा दिया। बाद में एजेंसी ने उसे इस काम की सैलरी भी नहीं दी।

हमारे पास आई तीन एजेंसियां आई थीं, हमने लिखित में लिया है कि घर में भेजे जा रहे वर्कर्स से हेल्थ केयर से संबंधित कोई भी काम नहीं करवाएंगे। यानी मरीज को इंजेक्शन देना, दवा देने जैसे कोई भी काम नहीं करेंगे। केवल मरीज की सामान्य देखभाल कर सकते हैं, एक हेल्पर जैसा ही काम ही ये कर सकते हैं। – डॉ. मीरा बघेल, सीएमएचओ, रायपुर

ऐसा करना मरीजों की जान के लिए खतरनाक
हेल्थ केयर गंभीर कार्य है। इसमें कम पढ़े-लिखे या बिना ट्रेनिंग व डिप्लोमा-डिग्री वालों से काम करवाना बेहद आपत्तिजनक है। स्वास्थ्य विभाग को होम हेल्थ केयर की मॉनिटरिंग के लिए एक तंत्र बनाना होगा। ये मरीजों की जान के लिए खतरनाक है। स्वास्थ्य विभाग को कड़े कदम उठाना चाहिए। – डॉ. राकेश गुप्ता, सीनियर मेंबर, आईएमए

नर्सिंग कोर्स करने वालों के साथ अन्याय है। इनकी जगह कम पढ़े-लिखे लोगों को कम सैलरी देकर काम लिया जा रहा है। इससे स्किल्ड वर्कर्स के सामने रोजगार का संकट है। डिग्री लेने के बाद भी प्रदेश में बहुत सारे नर्सिंग छात्र बेरोजगार घूम रहे हैं। नर्सिंग छात्र संगठन की ओर से हम लगातार विरोध कर रहे हैं। – योगेंद्र देवांगन, प्रदेश अध्यक्ष, नर्सिंग संगठन

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