नई दिल्ली: लोकसभा के अंक गणित और सत्ता-विपक्ष के बीच जारी खींचतान को देखते हुए स्पीकर का पद इस बार अहम हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली NDA सरकार दो बड़े घटक दल TDP और जदयू भी इस होड़ में शामिल दिख रहे हैं।
TDP नेता एन चंद्रबाबू नायडू और जदयू नेता नीतीश कुमार को लगता है कि अगर उनकी पार्टी में तोड़फोड़ की कोशिश होगी तो स्पीकर पद उस समय जीवन बीमा होगा। I.N.D.I.A ब्लॉक ने भी कहा है कि स्पीकर पद TDP के पास जाता है, तो वे समर्थन देने तैयार है।
हालांकि, मोदी के दूसरे कार्यकाल में स्पीकर रहे कोटा सांसद ओम बिड़ला फिर दावेदारी में आगे हैं। उनके कैबिनेट मंत्री न बनने से अटकलें और जोर पकड़ चुकी हैं। इसी बीच भाजपा की आंध्र प्रदेश अध्यक्ष डी. पुरंदेश्वरी का नाम भी उछला है।
पुरंदेश्वरी चंद्रबाबू नायडू की पत्नी नारा भुवनेश्वरी की बहन हैं। उन्होंने नायडू का उस वक्त समर्थन किया था, जब उनकी अपने ससुर एनटी रामाराव का तख्ता पलट करने पर आलोचना हो रही थी। ऐसे में उन्हें स्पीकर बनाया जाता है, तो नायडू पर सॉफ्ट प्रेशर रहेगा। उनकी पार्टी पुरंदेश्वरी का विरोध नहीं कर पाएंगी।
कम्मा समुदाय का वोट बैंक भी वजह
पुरंदेश्वरी कम्मा समुदाय से हैं। चंद्रबाबू नायडू भी इसी समुदाय के हैं। आंध्र प्रदेश की राजनीति में यह प्रभावशाली समुदाय है। कम्मा समुदाय को TDP का ट्रेडिशनल वोटर माना जाता है। साफ है कि डी पुरंदेश्वरी के बहाने भाजपा नायडू की पार्टी के परंपरागत वोट बैंक में सेंध लगाना चाहती है।
बिड़ला स्पीकर बने तो रिकॉर्ड की बराबरी करेंगे, राष्ट्रीय अध्यक्ष की दौड़ में भी शामिल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में पिछले कार्यकाल में लोकसभा अध्यक्ष रहे ओम बिरला को जगह नहीं दी गई है। माना जा रहा था कि स्पीकर का कार्यकाल पूरा करने के बाद बिरला को कैबिनेट में जगह मिलेगी, लेकिन ऐसा नहीं होने से अब उनके भविष्य को लेकर कई तरह के कयास लगाए जाने लगे हैं। सूत्रों के मुताबिक बिरला के लिए बड़ी भूमिका वाले रास्ते अभी भी खुले हुए हैं।
(Bureau Chief, Korba)