अमेरिकी अधिकारियों को मिले एक दस्तावेज के मुताबिक चीन 6 सालों से कोरोनावायरस को Bio-weapon के रुप में विकसित कर रहा था।
नईदिल्ली: कोरोना वायरस करीब डेढ़ साल गुजर जाने के बाद भी काबू में नहीं आ रहा है और पूरी दुनिया में अभी भी इसका खौफ जारी है। हालांकि अभी तक इस बात के पक्के सबूत नहीं मिले हैं कि इसकी शुरुआत कैसे हुई। चीन ने इस बात से भी इंकार कर दिया है कि वुहान के बाजार या उनके किसी लैब से ये फैला। लेकिन अमेरिका ने कुछ दस्तावेज मिलने का दावा किया है, जिससे इस मामले में चीन का साजिश का खुलासा होता है। अमेरिकी अधिकारियों को मिले इस दस्तावेज के मुताबिक चीनी वैज्ञानिक कोरोना वायरस की मदद से जैव हथियार तैयार करने पर काम कर रहे थे जिससे तीसरा विश्व युद्ध लड़ा जा सके।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय को मिले इस 6 साल पुराने दस्तावेज में दावा किया गया है कि तीसरे युद्ध में जीत के लिए जैव हथियार अहम होंगे। इसमें इनके इस्तेमाल का सही समय भी बताया गया है और ‘दुश्मन के मेडिकल सिस्टम’ पर असर की चर्चा भी की गई है। दि ऑस्ट्रेलियन की रिपोर्ट में पीपल्स लिबरेशन आर्मी के वैज्ञानिकों और स्वास्थ्य अधिकारियों के डोजियर में हथियार बनाने के लिए बीमारियों के इस्तेमाल की बात कही गई है। विश्वेषकों के मुताबिक कम से कम 18 वैज्ञानिक हाई-रिस्क लैब में इस पर काम कर रहे थे।
New Species of Man-Made Viruses as Genetic Bioweapons नाम के इस दस्तावेज के लेखकों के मुताबिक तीसरा विश्व युद्ध ‘जैव’ होगा। इसमें कहा गया है कि जैसे दूसरे विश्व में जीत परमाणु बम ने दिलाई थी और जापान ने हमले के बाद आत्मसमर्पण कर दिया था, वैसे ही तीसरे विश्व युद्ध में जैव हथियार जीत दिलाएंगे। दस्तावेज में हथियार के सही समय पर इस्तेमाल से ज्यादा से ज्यादा नुकसान पर चर्चा की गई है। रिसर्च में कहा गया है कि इस हमले से दुश्मन की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा जाएगी। विशेषज्ञों के मुताबिक इनके इस्तेमाल का फैसला वैज्ञानिकों के हाथ में नहीं रहा होगा।