Saturday, April 27, 2024
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ब्रेकिंग: महाराष्ट्र की सियासत में बड़ा उलटफेर… अजित पवार 5वीं बार डिप्टी CM बने; 31 महीने में तीसरी बार शपथ ली, NCP के 8 विधायक भी मंत्री बने

मुंबई: महाराष्ट्र में रविवार को बड़ा पॉलिटिकल उलटफेर हुआ। NCP के नेता अजित पवार ने दोपहर ढाई बजे शिवसेना के एकनाथ शिंदे की सरकार में डिप्टी CM पद की शपथ ली। शपथ के तुरंत बाद ट्विटर प्रोफाइल बदला और लिखा- डिप्टी सीएम ऑफ महाराष्ट्र।

अजित पवार 8 विधायकों छगन भुजबल, धनंजय मुंडे, अनिल पाटिल, दिलीप वलसे पाटिल, धर्मराव अत्राम, संजय बनसोड़े, अदिति तटकरे और हसन मुश्रीफ के साथ दोपहर करीब 2 बजे राजभवन पहुंचे। 3 बजते-बजते CM शिंदे और डिप्टी CM देवेंद्र फडवणीस की मौजूदगी में सभी को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई।

शरद पवार का राहुल को समर्थन देना नाराजगी का कारण
न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक, अजित समेत बाकी विधायक शरद पवार के पटना में विपक्षी एकता बैठक में मंच साझा करने और राहुल गांधी के साथ सहयोग करने के एकतरफा फैसले से नाराज थे।

महाराष्ट्र में अगले साल अक्टूबर में विधानसभा चुनाव होने हैं। इसके छह महीने पहले आम चुनाव होंगे। अजित के सरकार में शामिल होने के बाद सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा कि हम विधानसभा और लोकसभा चुनाव में पहले से ज्यादा सीटें जीतेंगे। महाराष्ट्र भाजपा अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि हमारी सरकार को 40 NCP विधायकों का समर्थन प्राप्त है।

ऐसे में अब महाराष्ट्र में नेता विपक्ष का पद कांग्रेस को मिल सकता है। विपक्ष में सबसे ज्यादा 44 सीटें कांग्रेस के पास हैं।

महाराष्ट्र की सियासत के बड़े उलटफेर की 2 तस्वीरें…

शपथ ग्रहण में अजित पवार का इंतजार करते एकनाथ शिंदे (बाएं) और देवेंद्र फडणवीस।

शपथ ग्रहण में अजित पवार का इंतजार करते एकनाथ शिंदे (बाएं) और देवेंद्र फडणवीस।

शपथग्रहण के बाद एकनाथ शिंदे (बाएं से), राज्यपाल रमेश बैस, देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार।

शपथग्रहण के बाद एकनाथ शिंदे (बाएं से), राज्यपाल रमेश बैस, देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार।

अजित बोले- उद्धव के साथ सरकार बनाई थी, तो शिंदे के साथ आने में क्या गलत
शपथ समारोह के बाद अजित पवार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। कहा- मंत्रिमंडल का और विस्तार होगा। कुछ मंत्री सरकार में शामिल हो सकते हैं। कई दिनों से इस बारे में बातचीत चल रही थी। पीएम मोदी देश के विकास के लिए पिछले 9 साल से कई काम कर रहे हैं। मुझे लगा कि हमें भी उनका साथ देना चाहिए। इसलिए मैं NDA में शामिल हुआ।

महाराष्ट्र को विकास करने वाला नेतृत्व चाहिए। भुजबल और मैंने विकास को तवज्जो दी। केंद्र का सहयोग और पैसा महाराष्ट्र को मिलता रहे। इसलिए हमने यह फैसला लिया। पार्टी भी हमारे साथ है। आगे भी सभी चुनाव हम पार्टी के नाम और सिंबल पर ही लड़ेंगे।

नगालैंड में भी ऐसा हुआ था। वहां भी हमारी पार्टी के चुने गए 7 विधायकों ने ‌BJP के साथ जाने का फैसला लिया था। हमने उद्धव के साथ भी सरकार बनाई थी, तो शिंदे के साथ जाने में क्या गलत है। हमारे पास सरकार चलाने का अनुभव है।

भुजबल बोले- शरद पवार ने कहा था मोदी सरकार फिर से आने वाली है
छगन भुजबल बोले- शरद पवार ने भी कहा था कि देश में मोदी सरकार ही फिर से आने वाली है। कई लोग कहेंगे कि हमारे खिलाफ जांच एजेंसियों के केस हैं, इसलिए हम साथ आए, लेकिन कई विधायक हैं, जिनके खिलाफ कोई केस नहीं है, वे भी शिंदे सरकार के साथ आए हैं।

शरद पवार बोले- पार्टी फिर से खड़ी करके दिखाऊंगा
अजित और छगन भुजबल की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद शरद पवार मीडिया के सामने आए। वे बोले- ये पार्टी मैंने बनाई थी। पार्टी के कार्यकर्ताओं पर मुझे पूरा विश्वास है। मैं महाराष्ट्र में घूमकर कार्यकर्ताओं को एकजुट करूंगा। अजित ने पार्टी से बगावत की है। 2024 का चुनाव विपक्ष के साथ मिलकर लड़ा जाएगा।

अजित पवार की नाराजगी की 2 वजह…

पहली वजह: शरद पवार का इस्तीफा और फिर पलटना
रिपोर्ट्स के मुताबिक, अजित पवार शरद पवार से नाराज चल रहे थे। पहली बार 2 मई को जब शरद पवार ने NCP अध्यक्ष पद छोड़ा था तो इस बात की संभावना थी कि अजित पवार को पार्टी की कमान सौंपी जा सकती है। जब पार्टी नेताओं और समर्थकों ने शरद पवार के फैसले का विरोध किया तो अजित ने खुलेआम कहा था कि इस विरोध से कुछ नहीं होगा।

पवार साहब अपना फैसला नहीं बदलेंगे। हालांकि 4 दिन में ही पवार ने अपना इस्तीफा वापस ले लिया। वे जब इस बात की जानकारी मीडिया को देने आए तो अजित पवार वहां मौजूद नहीं थे। तब इस बात की चर्चा थी कि अजित शरद पवार के फैसले से नाराज हैं।

दूसरी वजह: संगठन में दो कार्यकारी अध्यक्ष बनाया जाना
दूसरी घटना हाल ही में पार्टी संगठन में हुए फेरबदल को लेकर है। शरद पवार ने 10 जून यानी पार्टी के 25वें स्थापना दिवस पर बेटी सुप्रिया सुले और प्रफुल्ल पटेल को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष समेत विभिन्न राज्यों का प्रभार दे दिया। इसके बाद अजित पवार की नाराजगी की खबरें आईं। हालांकि उन्होंने इससे इनकार किया था। शरद पवार ने भी कहा कि अजित पहले से ही विपक्ष के नेता के तौर पर बड़ी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। वे राज्य देखेंगे।

अजित ने सुबह विधायकों की मीटिंग ली, सुप्रिया मौजूद थीं पर शरद पवार को जानकारी नहीं थी
अजित पवार ने रविवार को मुंबई में अपने आधिकारिक आवास पर पार्टी के कुछ नेताओं और विधायकों के साथ मीटिंग की। इसमें पार्टी की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले मौजूद थीं। अजित पवार के राजभवन पहुंचने के दौरान NCP चीफ शरद पवार पुणे में थे। उन्हें विधायकों की मीटिंग की जानकारी नहीं थी। बाद में जब उन्हें इसका पता लगा तो बोले- अजित पवार विपक्ष के नेता हैं तो उन्हें विधायकों की बैठक बुलाने का अधिकार है।

इंट्रेस्टिंग फैक्ट- राजभवन में 4 साल में 4 शपथ ग्रहण…
महाराष्ट्र में 2019 से अब तक 4 बार शपथ ग्रहण हो चुका है। नवंबर 2019 में अजित पवार ने भाजपा सरकार में डिप्टी सीएम पद की शपथ ली। सरकार केवल 80 घंटे चली थी। इसके बाद 2019 में ही अजित ने महाराष्ट्र विकास अघाड़ी गठबंधन सरकार में डिप्टी सीएम पद की शपथ ली। यह सरकार जून 2022 में गिर गई। इसके बाद 30 जून 2022 को एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। चौथा शपथग्रहण एक बार फिर अजित पवार का हुआ। उन्होंने 2 जुलाई 2023 को डिप्टी सीएम पद की शपथ ली।

अब आगे क्या
अजित पवार के NDA में शामिल होने के बाद अब बड़ा सवाल ये है कि NCP किसकी होगी। पार्टी पर अधिकार को लेकर अजित पवार और शरद पवार में सीधी लड़ाई होगी।

अजित पवार का कहना है कि उनके साथ पार्टी के 53 में से 40 विधायक हैं। यानी एक तिहाई से ज्यादा। ऐसे में पार्टी पर अधिकार को लेकर चुनाव आयोग में अजित पवार गुट का दावा मजबूत रहेगा और शरद पवार को पार्टी अध्यक्ष पद छोड़ना पड़ सकता है।

अजित पवार के NDA में आने के मायने
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 जून को भोपाल में विपक्षी दलों के 20 लाख करोड़ रुपए के भ्रष्टाचार का जिक्र किया था। तब उन्होंने महाराष्ट्र में 70 हजार करोड़ रुपए के को-ऑपरेटिव और सिंचाई घोटाले का भी नाम लिया था।

ये दोनों विभाग अजित पवार के पास ही थे। इसके अलावा महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी सरकार के दौरान NCP और उद्धव गुट के दर्जनभर नेताओं पर CBI और ED ने कार्रवाई की थी।

सवाल ये है कि अब इन मामलों का क्या होगा? क्या केंद्रीय एजेंसियों की जांच जारी रहेगी या फिर विपक्ष के मुताबिक, भाजपा के वॉशिंग मशीन में धुलकर सभी नेताओं के भ्रष्टाचार खत्म हो जाएंगे।

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