Tuesday, July 1, 2025

CG: पूर्व सीएम अजीत जोगी की बहू को बड़ी राहत… ऋचा जोगी को मिली अग्रिम जमानत, फर्जी जाति प्रमाणपत्र के केस में दर्ज हुई थी FIR

BILASPUR: छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की बहू ऋचा जोगी को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने उनकी अग्रिम जमानत अर्जी को मंजूर कर लिया है। फर्जी जाति प्रमाण पत्र के मामले में उनके खिलाफ मुंगेली के कोतवाली थाने में FIR दर्ज की गई थी, जिसके चलते उन्होंने अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी।

आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त एलआर कुर्रे ने मुंगेली सिटी कोतवाली थाने में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा था कि, ऋचा जोगी की आदिवासी जाति प्रमाणपत्र जांच में फर्जी पाया गया है। जिसके बाद पुलिस ने 16 नवंबर 2022 को उनके खिलाफ आपराधिक केस दर्ज किया था।

ऋचा जोगी ने गिरफ्तारी से बचने लगाई थी अग्रिम जमानत अर्जी।

ऋचा जोगी ने गिरफ्तारी से बचने लगाई थी अग्रिम जमानत अर्जी।

हाईकोर्ट ने मंजूर की अग्रिम अर्जी
ऋचा जोगी के खिलाफ दर्ज FIR पर सेक्शन 10/2003 (कैट) के अनुसार प्राधिकृत अधिकारी की रिपोर्ट पर ही मामले को संज्ञान में लिया जा सकता है। नियम 23(3) में हाईपावर कमेटी ने कलेक्टर को चयनित किया था। लेकिन, FIR कलेक्टर के बजाए आदिम जाति कल्याण विभाग के सहायक आयुक्त ने दर्ज कराई है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने उनकी जमानत अर्जी मंजूर कर ली है।

फर्जी जाति प्रमाणपत्र के मामले में पूर्व सीएम की बहू ऋचा जोगी पर हुई है एफआईआर।

फर्जी जाति प्रमाणपत्र के मामले में पूर्व सीएम की बहू ऋचा जोगी पर हुई है एफआईआर।

चुनाव लड़ने के लिए ऋचा जोगी ने लगाया था जाति प्रमाण पत्र
2020 में पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के निधन के बाद मरवाही विधानसभा सीट खाली हो गई थी। इस पर उनकी बहू ऋचा जोगी ने चुनाव लड़ने के लिए नामांकन पत्र जमा किया था। नामांकन पत्र के साथ उन्होंने जाति प्रमाण पत्र भी प्रस्तुत किया था, जिसमें उन्होंने ऋचा रूपाली साधु के नाम से मुंगेली जिले की जरहागांव तहसील के पेंड्रीडीह गांव से जारी अनुसूचित जनजाति का प्रमाणपत्र जमा किया था। 2021 में उच्च स्तरीय प्रमाणीकरण छानबीन समिति ने ऋचा जोगी के गोंड़ अनुसूचित जनजाति के स्थायी प्रमाण पत्र को निरस्त कर दिया था। उस दौरान उच्च स्तरीय छानबीन समिति के अध्यक्ष डीडी सिंह थे। उन्होंने जांच में पाया था कि ऋचा जोगी के पिता क्रिश्चियन थे। समिति ने सभी पक्षों की सुनवाई करने के बाद जाति प्रमाणपत्र को फर्जी बताया था।


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