रायपुर: छत्तीसगढ़ में सरगुजा से बस्तर संभाग तक के जिलों में ठंडी हवाओं का असर दिखने लगा है। अभी कवर्धा में न्यूनतम तापमान 2.7 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड हुआ है। यह पूरे प्रदेश में सबसे कम है। हालात ऐसे हैं कि कवर्धा की चिल्फी घाटी में घर के बाहर बाल्टी में रखा पानी जमने लगा है। प्रदेश के अधिकांश जिलों का न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस से कम हो गया है।
मौसम विभाग ने 10 जनवरी तक सरगुजा, बिलासपुर और दुर्ग संभाग के 9 जिलों में शीतलहर की चेतावनी जारी की है। चेतावनी के मुताबिक अगले 48 घंटों के लिए प्रदेश के कोरिया, सूरजपुर, बलरामपुर, सरगुजा, जशपुर, कबीरधाम, बिलासपुर, पेण्ड्रा रोड, दुर्ग और उससे लगे जिलों में एक-दो पॉकेट में शीतलहर चलने की संभावना है। मौसम विभाग ने एक दिन पहले 9 जनवरी तक के लिए ऐसी ही चेतावनी जारी की थी। विभाग ने रविवार सुबह न्यूनतम तापमान के आंकड़े जारी किए। इसके मुताबिक कबीरधाम का न्यूनतम तापमान 2.7 डिग्री सेल्सियस रहा।
चिल्फी घाटी में फूस की छत और सूखी घास पर जम चुकी ओस से ऐसा नजारा बना।
शनिवार को सबसे ठंडा स्थान रहे कोरिया में रविवार को न्यूनतम तापमान 3.2 डिग्री, सरगुजा में 4.9 डिग्री, जशपुर में 6.5 डिग्री और कोरबा में 9.3 डिग्री तापमान रहा है। बस्तर संभाग में 4.5 डिग्री सेल्सियस के साथ नारायणपुर सबसे ठंडा स्थान रहा। कांकेर में 5.8 डिग्री, दंतेवाड़ा में 5.9 डिग्री और बस्तर में 7.1 डिग्री सेल्सियस रहा। यह बस्तर में इस सीजन का सबसे ठंडा रविवार रहा है। मौसम विभाग का कहना है, प्रदेश में न्यूनतम तापमान ने गिरावट की अपनी चरम स्थिति पर पहुंच चुका है, ऐसे में न्यूनतम तापमान में विशेष परिवर्तन होने की संभावना नहीं है। 10 जनवरी तक यह स्थिति संभावित है।
रायपुर में 10.1 डिग्री सेल्सियस तापमान
राजधानी रायपुर में न्यूनतम तापमान 10.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ है। यह एक दिन पहले के न्यूनतम तापमान से एक डिग्री सेल्सियस कम है। यह सामान्य से भी दो डिग्री सेल्सियस कम है। रायपुर के आसपास महासमुंद और दुर्ग में न्यूनतम तापमान 8.2 डिग्री सेल्सियस हो चुका है। वहीं राजनांदगांव का न्यूनतम तापमान 8.1 डिग्री और बलौदा बाजार का 6.8 डिग्री सेल्सयस मापा गया है। इन इलाकों में सुबह मध्यम से घने स्तर का कोहरा छा रहा है।
रायपुर में सुबह-सुबह इस तरह की धुंध छा रही है।
ठंड बढ़ी है तो उससे बचने का उपाय भी कर लें
राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग का ठंड के मौसम में लोगों को सुरक्षा का ध्यान रखना होगा। शीतलहर के दौरान घर में रहें और कम से कम यात्रा करें। अपने आप को सूखा रखें और कई तह वाले ढीले ऊनी कपड़े अपने, सिर, गला, हाथ और पैरों को ढक कर रखें। अधिक बाहर न घूमें। डॉक्टरों का कहना है, ठंड में लोगों को ताजा और पौष्टिक भोजन करना चाहिए।
साथ ही विटामिन-सी की प्रचुरता वाले फल और सब्जियों का अधिक सेवन करना चाहिए। यह शरीर की प्रतिरोधक क्षमता तथा तापमान को नियंत्रित रखते हैं। नियमित अंतराल पर कुछ गर्म पीते रहें। शीतलहर के दौरान शरीर के तापमान को कम होने से बचाएं। बच्चों, बूढ़ों और बीमारों के साथ-साथ पड़ोस में अकेले रहने वाले लोगों का विशेष ध्यान रखें। स्थिति बिगड़ने पर तुरंत अस्पताल ले जाएं।
पाले की वजह से ऐसी स्थिति बनती है।
फसलों को ठंड से बचाने के लिए यह करना होगा
- फसलों को ठंड से बचाने के लिए प्रकाश की व्यवस्था करें, बार-बार सिंचाई करें।
- बिना पके फलों के पौधों को सरकंडा, स्ट्रा, पॉलिथीन शीट्स अथवा गनी बैग से ढंक दें।
- केले के गुच्छों को छेद वाले पॉलिथीन बैग से ढंक दें।
- सरसो, राजमा, चना जैसी फसलों को पाले से बचाने के लिए सल्फ्यूरिक एसिड-0.1% को एक हजार लीटर पानी में एक लीटर की दर से अथवा थियोरिया-500 पीपीएम को एक हजार लीटर पानी में 500 ग्राम की दर से छिड़काव करें।
- इस मौसम में फसल में पोषक तत्व न डालें। मिट्टी की गुड़ाई न करें। इसकी वजह से सतह के नीचे गर्मी कम हो जाती है।
मवेशियों का भी रखना होगा ख्याल
ठंड से बचाने के लिए मवेशियों को रात के समय शेड में रखें। मवेशियों के आहार में प्रोटीन और मिनरल की मात्रा बढ़ा दें। ऊर्जा की जरूरत पूरी करने के लिए मवेशियों को नियमित रूप से नमक के साथ मिनरल का मिश्रण, गेहूं के दाने और गुड़ दें। पोल्ट्री में बल्ब लगाकर चूजों को गर्म रखने की कोशिश करें। सुबह के समय मवेशियों, खासकर बकरियों को चरने न दें।