Sunday, May 19, 2024
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CG : बिलासपुर में डॉक्टरों के सामने आया देश का तीसरा रेयर केस, रिपोर्ट देख रह गए हैरान, युवक के मेल-फीमेल 2 प्राइवेट पार्ट, बोले- 1 लाख लोगों में आता है 1 केस

BILASPUR: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में एक 26 वर्षीय युवक को इंटरसेक्स (जैविक भिन्नता) है और उसके दो प्राइवेट विकसित हो गए हैं। फीमेल पार्ट में उसे ट्यूमर हुआ और डॉक्टरों ने जांच की, तब दुर्लभ तरह के कैंसर होने की जानकारी सामने आई। डॉक्टरों ने इसे देश का तीसरा रेयर केस बताया है। जो एक लाख लोगों में से एक मामला सामने आता है।

दो प्राइवेट पार्ट वाले इस युवक के कैंसर का छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान (CIMS) में सफल सर्जरी किया गया है। ऑपरेशन के बाद युवक स्वस्थ्य है। लेकिन, उसे पूरी तरह ठीक होने में दो साल का समय लग सकता है।

सिम्स के कैंसर विभाग की टीम ने की सर्जरी।

सिम्स के कैंसर विभाग की टीम ने की सर्जरी।

CIMS के कैंसर डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ चंद्रहास ध्रुव ने बताया कि युवक करीब छह महीने पहले इलाज के लिए आया था। उस समय उसे लगातार तीन-चार महीने से बुखार आ रहा था और शरीर में कई जगहों पर गांठ हो गए थे।

उसके जननांग में ट्यूमर हो गया था। उसने यह भी बताया कि अपनी समस्या को लेकर कई अस्पताल में गया। लेकिन, सही इलाज नहीं हो सका। जिसके बाद सिम्स के कैंसर विभाग की टीम ने जांच शुरू की।

रिपोर्ट देख हैरान रह गए डॉक्टर, महिला जननांग में कैंसर

शुरुआती जांच के बाद युवक के कैंसर पीड़ित होने की आशंका हुई। लिहाजा, उसका सीटी स्केन और बायोप्सी जांच कराया गया, जिसमें उसके महिला जननांग और उसके अंडाशय होने की जानकारी मिली। इस तरह के मामले को मेडिकल भाषा में डीएसडी यानी डिसऑर्डर ऑफ सेक्सुअल डेवलेपमेंट कहा जाता है।

उसमें एक दुर्लभ प्रकार का कैंसर भी पाया गया है। इसका नाम प्रेसिडेंट मूलेरियन डक्ट सिंड्रोम विद जर्म सेल ट्यूमर आफ टेस्टिस है।

तीसरे स्टेज में पहुंच चुका था कैंसर

उसका कैंसर तीसरे स्टेज में पहुंच चुका था। करीब 6 महीने के इलाज में उसे 12 बार किमोथैरेपी दी गई और महिला जननांग में आए कैंसर को सर्जरी से ठीक कर लिया गया। हालांकि चिकित्सकों का कहना है कि एक अंडाशय निकालना पड़ा है।

इसकी वजह से उसके पिता बनने की संभावना न के बराबर रह गया है, लेकिन अब वह स्वस्थ चल रहा है। इस मामले में डॉक्टर का कहना है कि उसे पूरी तरह से ठीक होने में कम से कम दो साल का समय लगेगा और उसे लगातार फालोअप में रखा गया है। 2 साल बाद ही उसे पूरी तरह से स्वस्थ कहा जा सकता है।

डॉक्टरों की टीम व स्टाफ ने छह महीने तक किया उपचार।

डॉक्टरों की टीम व स्टाफ ने छह महीने तक किया उपचार।

इन कारणों से विकसित हुआ होगा महिला जननांग

डा. चंद्रहास का कहना है कि मेडिकल साइंस के मुताबिक जब बच्चा गर्भाशय में रहता है तो जननांग बनने की प्रक्रिया पहले महीने से सातवें महीने के बीच तक होता है। पुरुष और महिला बनने की प्रक्रिया दो अलग-अलग नलियों से तय होता है।

अगर फीमेल वाली नलियां बनना शुरू हुआ तो लड़की पैदा होती है और इसी तरह की प्रक्रिया मेल के लिए भी होती है। लेकिन, सिम्स पहुंचे युवक के साथ यह कुछ अलग हुआ। जब वह गर्भ में था तो उसके दोनों जननांग एक साथ विकसित होने लगे और इसी वजह से उसमें महिला और पुरुष दोनों के जननांग बन गए। मेडिकल साइंस में यह बेहद ही दुर्लभ मामला है।

प्राइवेट पार्ट नहीं दिखता

जब भी कोई बच्चा होता है तो डॉक्टर उसके प्राइवेट पार्ट को देखकर बताते हैं कि वह लड़का है या लड़की। जबकि इंटरसेक्स बच्चे का लिंग साफ तौर पर नहीं दिखता। कई बार इन बच्चों में महिला और पुरुष दोनों के प्राइवेट पार्ट दिखते हैं। यह सब जीन और हार्मोन की गड़बड़ी के कारण होता है।

सिम्स के कैंसर विभाग ने दुर्लभ कैंसर का किया सफल इलाज।

सिम्स के कैंसर विभाग ने दुर्लभ कैंसर का किया सफल इलाज।

रेयर केस में बन जाते हैं एक जैसे हार्मोन

डॉ. चंद्रहास ध्रुव ने बताया कि इंटरसेक्स को मेडिकल भाषा में डीएसडी यानी डिसऑर्डर ऑफ सेक्सुअल डेवलेपमेंट कहा जाता है। जब कोई लड़का होता है तो उसमें XY और लड़की में XX क्रोमोजोम होते हैं। XY टेस्टिकल्स बनाते हैं जो पुरुषों में प्रजनन अंगों को बनाते हैं। इससे पुरुषों की प्रजनन क्षमता बनती है।

इसलिए कहा जाता है कि अगर XX से मिलता है तो लड़की होती है और XY मिलता है तो लड़का होता है। वहीं, महिलाओं में ओवरी प्रजनन के लिए जिम्मेदार होती है। कई बार कुछ दोष होने पर यह दोनों एक जैसे हार्मोन बना देते हैं।

कुछ मामलों में क्रोमोजोम ठीक होते हैं लेकिन हार्मोन में कुछ गड़बड़ी हो जाती है। कुछ बच्चों में Y क्रोमोजोन होने के बाद भी उनमें लड़कियों जैसे गुण आ जाते हैं। वहीं, कुछ मामलों में XX क्रोमोजोम तो होते हैं लेकिन एड्रि‍नल ग्लैंड पुरुषों वाले हार्मोन बनाने लगते हैं। इससे शरीर में सब अंग लड़कियों वाले होते हैं लेकिन गुण पुरुषों वाले होते हैं। डॉ. ध्रुव के अनुसार इस तरह के मामले 1 लाख बच्चों में 1 ही होते हैं।

Muritram Kashyap
Muritram Kashyap
(Bureau Chief, Korba)
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