- केसीसी बनाने में किसानों को किसी भी प्रकार की समस्या या शिकायत नहीं आना चाहिए – कलेक्टर
- मछली पालन को बढ़ावा देने विकासखंड स्तर पर दिया जाएगा अत्याधुनिक तकनीक का प्रशिक्षण
जांजगीर चांपा: राज्य में मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के मंशानुरूप मछुआ नीति लागू कर जिस प्रकार मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए विशेष पहल की जा रही है उसी क्रम में जिले में भी कलेक्टर श्री तारन प्रकाश सिन्हा के दिशा निर्देशन में मछली पालन को बढ़ावा दिया जा रहा है। जिसके तहत आज जिला पंचायत सभाकक्ष में कलेक्टर श्री तारन प्रकाश सिन्हा की अध्यक्षता में मछली पालन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक दिवसीय मछुआ सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस दौरान कलेक्टर श्री सिन्हा ने कहा कि हमारे जिले में मछली उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं, इस दिशा में आगे बढ़ते हुए जिले हमें मछली पालन को बढ़ाना है। यहां तालाबों को भरने के लिए नहर भी है जिससे तालाब साल भर भरे जा सकते हैं। जिले में मछली की मांग बहुत अधिक है लेकिन उत्पादन बहुत कम है। इसलिए हमें मछली उत्पादन कर अधिक से अधिक लाभ प्राप्त करना है। उन्होंने उपस्थित हितग्राहियों से कहा कि हमें मछली पालन कर पैसा कमाना है धान की खेती से ज्यादा मछली उत्पादन कर पैसा कमाया जा सकता है और इसके लिए हमें अत्याधुनिक रूप से मछली उत्पादन का कार्य करना है। जिले में सभी तालाबों को 10 वर्षीय पट्टे पर दिया जाएगा। इसके लिए कलेक्टर ने सभी किसानों से अपील करते हुए कहा कि पट्टे के लिए सभी अधिक से अधिक संख्या में आवेदन करें इसके लिए को-ऑपरेटिव बैंक द्वारा भी 0 प्रतिशत ब्याज पर केसीसी लोन दिया जाता है। उन्होंने इस दौरान को-ऑपरेटिव बैंक के अधिकारी व मत्स्य विभाग के अधिकारियों को कहा कि इसके लिए अभियान चलाकर कार्य करें और अधिक से अधिक तालाबों को पट्टे पर दें तथा बैंक से लोन उपलब्ध कराएं।
उन्होंने अधिकारियों से कहा कि किसानों को केसीसी बनाने में किसी भी प्रकार की दिक्कत या किसी भी प्रकार की शिकायत नहीं आनी चाहिए। सभी अधिकारी मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए किसानों को अधिक से अधिक सहयोग प्रदान करें। जिले में मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए विकासखंड स्तर पर प्रशिक्षण भी दिया जाएगा जिसमें विभाग के अधिकारियों द्वारा अत्याधुनिक रूप से मछली पालन के तौर तरीके सिखाए जाएंगे। इसके अलावा मछली पालन हेतु तालाबों को भरने के लिए नहर के माध्यम से पानी भी प्रदान किया जाएगा। जिले में इस वर्ष 2000 केसीसी बनाने का लक्ष्य रखा गया है जिसे अभियान चलाकर पूर्ण किया जाएगा। इसके अलावा कलेक्टर ने किसानों को मछली पालन के तकनीक को समझने के लिए राज्य से बाहर भेजने की भी बात कही। उन्होंने कहा कि जब तक आप मछली पालन की तकनीक नहीं सुधारेंगे तब तक कोई फायदा नहीं हमें मछली उत्पादन को दोगुना करने अत्याधुनिक तरीकों को सीखना होगा। इसके अलावा उन्होंने मछली उत्पादन के साथ मछली पालन की नर्सरी भी करने कहा। उन्होंने कहा कि अब तो पढ़े लिखे युवा भी मछली पालन को व्यावसायिक रोजगार के रूप में अपना रहे हैं। घर की महिलाएं भी स्व सहायता समूह से जुड़कर मछली पालन के क्षेत्र में आर्थिक रूप से सक्षम हो रही है। वहीं मछली पालन विशेषज्ञ रवि कुमार द्वारा प्रशिक्षण कार्यशाला में मछली पालन के संबंध में जानकारी दिया गया। इस अवसर पर जिला पंचायत सीईओ डॉ ज्योति पटेल, मत्स्य विभाग के सहायक संचालक श्री एस.एस.कंवर, को-ऑपरेटिव बैंक के अधिकारी श्री अश्विनी पांडेय सहित अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने मछुआ समुदाय के लोगों की मांग और उनके हितों को संरक्षित करने के उद्देश्य से नवीन मछली पालन नीति में तालाब और जलाशयों को मछली पालन के लिए नीलामी करने के बजाय लीज पर देने के साथ ही वंशानुगत-परंपरागत मछुआ समुदाय के लोगों को प्राथमिकता देने का निर्णय लिया गया है। तालाबों एवं सिंचाई जलाशयों के जलक्षेत्र आबंटन सीमा में 50 फीसदी की कमी कर ज्यादा से ज्यादा मछुआरों को रोजी-रोजगार से जोड़ने का प्रावधान किया गया है। प्रति सदस्य के मान से आबंटित जलक्षेत्र सीमा शर्त घटाने से लाभान्वित मत्स्य पालकों की संख्या दोगुनी हो जाएगी।