रायपुर: छत्तीसगढ़ के सीनियर आदिवासी नेता नंदकुमार साय ने बुधवार को कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने 8 माह पहले ही भाजपा छोड़कर कांग्रेस ज्वाइन की थी। तब भाजपा पर अनदेखी का आरोप लगाया था। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा है। कहा जा रहा है कि इसके बाद साय ने पार्टी छोड़ने का मन बनाया।
कांग्रेस में शामिल होने के बाद साय तब CM रहे भूपेश बघेल के साथ कई कार्यक्रम में दिखते थे। उन्हें CSIDC में अध्यक्ष का पद दिया गया था। अब खबर है कि भाजपा के नेता साय से संपर्क में हैं। चर्चा है कि नंदकुमार साय से मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने मुलाकात की है। बताया जा रहा है कि साय के इस्तीफे से कांग्रेसी नेता भी अनजान थे।
साय का इस्तीफा।
नंद कुमार साय कांग्रेस से चुनाव में टिकट की आस में थे, मगर उन्हें मौका नहीं मिला।
जब भाजपा छोड़ी थी साय ने
1 मई 2023 को नंदकुमार साय ने भाजपा से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने तब भाजपा से दिए इस्तीफे में लिखा था- मुझ पर झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं। मेरी गरिमा को लगातार ठेस पहुंचाई जा रही है, जिससे मैं आहत महसूस कर रहा हूं। बहुत गहराई से विचार करने के बाद मैंने बीजेपी में अपने सभी पद और पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दिया है।
कुछ ऐसे हुआ था साय का स्वागत।
साय का करियर
- वे पहली बार 1977, फिर 1985 और 1998 में मध्य प्रदेश विधानसभा के सदस्य रह चुके हैं। साल 2000 में वे छत्तीसगढ़ विधानसभा के सदस्य बने और पहले विपक्ष के नेता बने थे।
- साय 1989, 1996 और 2004 में लोकसभा सांसद भी रह चुके हैं। इसके साथ ही 2009 और 2010 में वह राज्यसभा के लिए चुने जा चुके हैं।
- नंद कुमार अपने गृह गांव भगोरा में खुद के खेतों में हल चलाते हुए और बुबाई करते देखा जा सकता है।
- इसके पीछे उनका तर्क है कि बचपन से खेती से जुड़े होने के कारण आज भी वे किसान ही हैं।
- वह अविभाजित मध्यप्रदेश में बाद में छत्तीसगढ़ में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
- कांग्रेस सरकार के समय वह छत्तीसगढ़ विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे हैं।
- साय अब तक चार बार विधायक रहे। तीन बार लोकसभा और दो बार राज्यसभा के सांसद रहे।
- साय बेहद सादा जीवन जीते हैं। फ्लाइट से सफर करना जरूरी हो तो इकोनॉमी क्लास चुनते हैं।
- उनका कहना है कि संसद का पैसा आदमी के टैक्स से आता है, उसे सोच-समझकर खर्च करना चाहिए।
- एक किसान परिवार में 1 जनवरी 1946 में नंदकुमार साय का जन्म हुआ।
- उन्होंने सरकारी नौकरी की तैयारी की और 1973 में नायब तहसीलदार के पद पर चयनित भी हुए लेकिन नौकरी पर नहीं गए।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में नंदकुमार साय को 2017 में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया था।
- 2023 मई में उन्होंने भाजपा को छोड़ कांग्रेस ज्वाइन की थी।