Sunday, October 13, 2024




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CG NEWS: बिलासपुर अपोलो अस्पताल के 4 सीनियर डॉक्टर अरेस्ट, मचा हडकंप… गोल्डी छाबड़ा डेथ केस में 7 साल बाद एक्शन, डॉक्टरों ने इलाज में बरती लापरवाही; सबूत भी मिटाए

इलाज में लापरवाही बरतने वाले डॉक्टरों पर पुलिस का एक्शन।

BILASPUR: बिलासपुर में गोल्डी छाबड़ा की मौत के मामले में 7 साल के बाद पुलिस ने इलाज में लापरवाही बरतने और सबूत मिटाने के आरोप में अपोलो अस्पताल के 4 सीनियर डॉक्टरों को अरेस्ट किया है। पुलिस ने इस केस की जांच के बाद अपोलो अस्पताल प्रबंधन पर भी कार्रवाई करने का दावा किया है।

बेटे की मौत के बाद परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन और डॉक्टरों पर इलाज में लापरवाही बतरने का आरोप लगाया था, लेकिन तब पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की थी। जिसके बाद परिजनों ने हाईकोर्ट से न्याय की गुहार लगाई थी।

अपोलो अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ भी होगी कार्रवाई।

अपोलो अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ भी होगी कार्रवाई।

इसके बाद हाईकोर्ट के आदेश पर विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम और मेडिको लीगल संस्थान ने डॉक्टरों के खिलाफ रिपोर्ट दी, जिसके बाद पुलिस ने एक्शन लेते हुए यह कार्रवाई की है।

ये है पूरा मामला

आदर्श कॉलोनी निवासी गोल्डी उर्फ गुरवीन छाबड़ा (29) को 25 दिसंबर 2016 को पेट में दर्द हुआ। जिस पर परिजन इलाज के लिए उसे अपोलो अस्पताल ले गए। दूसरे दिन 26 दिसंबर को इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही से मौत के आरोप लगाए और सिटी कोतवाली पुलिस से शिकायत की, लेकिन पुलिस ने जांच के बाद कोई कार्रवाई नहीं की और मामले को दबा दिया गया।

डॉक्टर ने इलाज में बरती थी लापरवाही।

डॉक्टर ने इलाज में बरती थी लापरवाही।

इसके बाद गोल्डी के पिता परमजीत छाबड़ा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर इलाज में लापरवाही बरतने वाले डॉक्टरों के खिलाफ जांच कर केस दर्ज करने की मांग की थी। 4 साल पहले हाईकोर्ट ने पुलिस को दोबारा इस केस की जांच कराने के आदेश दिए थे, जिसके बाद पुलिस ने जांच कराई और मेडिको लीगल संस्थान से राय मांगी। जांच रिपोर्ट में डॉक्टरों की लापरवाही सामने आने के बाद 3 महीने पहले पुलिस ने केस दर्ज कर जांच शुरू की।

पुलिस ने कार्रवाई नहीं की, तब परिजनों ने हाईकोर्ट में लगाई याचिका।

पुलिस ने कार्रवाई नहीं की, तब परिजनों ने हाईकोर्ट में लगाई याचिका।

गिरफ्तारी के लिए जांच का बहाना बनाते रहे सरकंडा TI

शुरुआत में केस दर्ज करने के बाद सरकंडा पुलिस ने डॉक्टरों के नाम को आरोपियों की लिस्ट में शामिल नहीं किया था, जिस पर गोल्डी के परिजनों ने अपने बयान में इलाज करने वाले डॉ देवेंद्र सिंह, डॉ. राजीव लोचन, डॉ. मनोज राय और डॉक्टर सुनील केडिया का नाम बताया और उन्हें नामजद आरोपी बनाने की मांग की।

हाईकोर्ट के आदेश के बाद 4 साल बाद पुलिस ने आरोपी डॉक्टरों के खिलाफ की कार्रवाई।

हाईकोर्ट के आदेश के बाद 4 साल बाद पुलिस ने आरोपी डॉक्टरों के खिलाफ की कार्रवाई।

इधर टीआई जेपी गुप्ता जांच का बहाना बनाते रहे। टीआई ने उन्हें कहा कि इलाज में लापरवाही के संबंध में जांच की जाएगी, जबकि परिजनों का कहना था कि मेडिको लीगल रिपोर्ट में साफतौर पर लिखा है कि डॉक्टरों ने इलाज में लापरवाही बरती है।

गोल्डी छाबड़ा की मौत के 7 साल बाद आरोपियों की हुई गिरफ्तारी।

गोल्डी छाबड़ा की मौत के 7 साल बाद आरोपियों की हुई गिरफ्तारी।

3 माह बाद पुलिस ने की गिरफ्तारी

हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी पूरे केस को सरकंडा पुलिस जांच के बहाने 3 माह तक दबाए बैठी रही। इस बीच परिजन पुलिस पर आरोपी डॉक्टर और प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते रहे। आखिरकार, तीन माह बाद पुलिस ने शुक्रवार को चार डॉक्टरों को गिरफ्तार किया है। वहीं, प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई करने का दावा कर रही है।

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