सूरजपुर: जिले के प्रतापपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ डॉक्टर ने मंगलवार को ड्यूटी से लौटने के बाद देर शाम ग्राम करंजवार स्थित निवास में फांसी लगा ली। परिजनों की सूचना पर पहुंची पुलिस ने कमरे से सुसाइड नोट बरामद किया है। डॉक्टर कुछ माह से अत्यधिक डिप्रेशन में थे। उन्होंने करीब तीन माह पूर्व बीएमओ का पद छोड़ दिया था। बुधवार सुबह शव को पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंप दिया गया है।
जानकारी के मुताबिक, प्रतापपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ डॉक्टर अखिलेश विश्वकर्मा मंगलवार को ड्यूटी से शाम को वापस अपने घर करंजवार पहुंचे। शाम करीब 7.30 बजे उन्होंने अपने कमरे में फांसी लगा ली। कुछ देर बाद बेटे-बहु ने उन्हें फांसी पर झूलता देखा तो आनन-फानन में उनके जिंदा होने की उम्मीद होने पर फंदे से नीचे उतारा गया, लेकिन उनकी मौत हो चुकी थी।
बीती शाम फंदे में झूलता मिला था डॉक्टर का शव
कमरे में मिला सुसाइड नोट
घटना की सूचना पर प्रतापपुर थाना प्रभारी लक्ष्मण सिंह धु्रवे, बीएमओ डा.विजय सिंह, भाजपा मंडल अध्यक्ष अक्षय तिवारी, अनूप विश्वास, करंजवार सरपंच विक्रम सिंह एवं विभाग के अधिकारी कर्मचारी मौके पर पहुंचे। कमरे में सुसाइड नोट बरामद हुआ है, जिसमें उन्होंने लिखा है कि मैं अपनी जिंदगी से तंग आ चुका हूं, मैं जीना नहीं चाहता, इसलिए आत्महत्या कर रहा हूं, इसमें किसी का कोई दोष नहीं है।
डिप्रेशन में थे डॉक्टर
डॉक्टर अखिलेश विश्वकर्मा जाने माने चिकित्सक थे। करीब तीन माह पूर्व उन्होंने बीएमओ का प्रभार छोड़ दिया था। सहकर्मियां एवं उन्हें जानने वाले लोगों ने बताया कि डा. अखिलेश विश्वकर्मा कुछ समय से डिप्रेशन में थे। करीब ढाई वर्ष पूर्व कोरोना में उनकी दूसरी पत्नी की मौत हो गई थी। नीट की तैयारी कर रहे उनके बेटे ने फांसी लगा ली थी।
पारिवारिक परेशानी की दी थी जानकारी
डा. अखिलेश विश्वकर्मा की पहली पत्नी की मौत काफी समय पहले हो गई थी। वे फिलहाल अपने बेटे-बहु के साथ करंजवार में रह रहे थे। बेटे-बहु से संबंध को लेकर भी वे परेशान थे। उनका अंतिम संस्कार गृहग्राम बलिया में किया जाएगा। घटना को लेकर प्रतापपुर में शोक है।
(Bureau Chief, Korba)