रायपुर: लोकसभा चुनाव और न्याय यात्रा के छत्तीसगढ़ में प्रवेश से ठीक पहले एक बार फिर प्रदेश कांग्रेस में विवादों का दौर शुरू हो गया है। AICC सदस्य और छत्तीसगढ़ कांग्रेस महासचिव अरुण सिंह सिसोदिया ने पार्टी से अपना इस्तीफा दे दिया है।
सिसोदिया ने अपने इस्तीफे में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के राजनीतिक सलाहकार रहे विनोद वर्मा और उनके अन्य साथियों को कारण बताया है। आरोप लगाया है कि वर्मा समानांतर संगठन चल रहे हैं और कार्यों में विभिन्न तरीकों से हस्तक्षेप करते हैं।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य और कांग्रेस महासचिव अरुण सिंह सिसोदिया का इस्तीफा
वर्मा और उनके साथी बनाते हैं दबाव
सिसोदिया ने अपने इस्तीफे में आरोप लगाया है कि, विनोद वर्मा और उनके साथी दबाव बनाते हैं। इसके चलते पहले उन्हें प्रदेश महामंत्री पद से हटाया गया, फिर प्रभारी महामंत्री संगठन और प्रशासन से हटा दिया गया। ये सब उनके लिए अपमानित करने जैसा है।
वैशाली नगर से थी दावेदारी, पर कमजोर को दिया टिकट
उन्होंने कहा कि, पार्टी ने जो जिम्मेदारी दी, उसे हमेशा निभाया है। 18,300 बूथ कमेटियों का गठन किया। लक्ष्य 23,902 का था। यह लक्ष्य रोक-टोक और हस्तक्षेप के कारण पूरा नहीं हो पाया। वैशाली नगर से उनके टिकट की दावेदारी थी, लेकिन कमजोर प्रत्याशी उतारा गया। इससे हार का सामना करना पड़ा।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य और कांग्रेस महासचिव अरुण सिंह सिसोदिया का इस्तीफा
20 साल से पार्टी से जुड़े हैं सिसोदिया
सिसोदिया ने अपने पत्र में लिखा है कि, मैंने 20 साल पार्टी की सेवा की, लेकिन कुछ वर्ष पहले आए लोगों को बघेल सरकार में उपकृत किया गया। सब कुछ चुनिंदा लोगों के इशारों पर हुआ।
इन नेताओं को भेजी इस्तीफे की प्रतिलिपि
सिसोदिया में अपने इस्तीफे की प्रतिलिपि छत्तीसगढ़ प्रभारी सचिन पायलट सहित अन्य नेताओं को भेजी है। अन्य नेताओं में नेता प्रतिपक्ष डा. चरणदास महंत, सह प्रभारी -विजय जांगिड़, चंदन यादव, सप्तगिरी उल्का और प्रदेश महामंत्री मलकीत सिंह गैंदू शामिल हैं।
अरुण सिंह सिसोदिया और विनोद वर्मा
पीसीसी में विवादों का दौर फिर से शुरू
बृहस्पत सिंह, विनय जायसवाल के बाद अरुण सिंह सिसोदिया प्रकरण में प्रदेश कांग्रेस कमेटी में एक बार फिर विवाद शुरू हो चुका है। विधानसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस के कई बड़े नेताओं ने सनसनीखेज आरोप लगाए थे। लोकसभा चुनाव के पहले एक बार फिर विवाद शुरू हो चुका है।
इस्तीफा में ये लिखा
मैं अरुण सिंह सिसोदिया (फौजी), जो की 20 वर्षों से कांग्रेस की विचार धारा, त्याग, तपस्या और बलिदान के साथ देश की आजादी में योगदान व बलिदान के साथ-साथ पूर्व प्रधानमंत्रियों द्वारा किया गया देश के सशक्तिकरण के प्रयासों से प्रभावित कार्य करता रहा हूं।
बीते 6 माह से जिस तरह के घटना क्रम हुए, जिसने मुझे पीसीसी डेलिगेट बनने से रोकने के लिए जिलाध्यक्ष मुकेश चंद्राकर ने प्रयास किया। फिर मुझे प्रदेश महामंत्री पद से हटा दिया गया। फिर प्रभारी महामंत्री संगठन और प्रशासन से हटवा दिया गया।
ये सब मुझे अपमानित किए जाने जैसा है। जिससे मैं आहत हुआ। साथ ही 6 माह से योग्यता, कार्यक्षमता और निष्ठा के अनुरूप कोई जिम्मेदारी संगठन से नहीं पास हुई है, जो की मेरे लिए अपने राजनीतिक सफर पर पुनः विचार करने के लिए मजबूर कर रहा है।
मुझे डेढ़ साल पहले प्रभारी बूथ प्रबंधन समिति बनाया गया था । पहले बूथ प्रबंधन का कार्य देख रहे विनोद वर्मा ने उस समय 4500 बूथ कमेटियों का गठन कर डाटा भी दिया था। मैंने विधानसभा चुनाव तक 18300 बूथ कमेटियों का गठन कर पीसीसी में हार्ड कॉपी और सॉफ़्ट कॉपी जमा कर दी थी।
अध्यक्ष जी के कमरे की अलमारी में पूरी तरह से सुरक्षित रखी हुई है। बूथ कमेटियों के गठन के दौरान 4 साल पहले पार्टी में आए विनोद वर्मा व साथियों द्वारा हस्तक्षेप किया जाता रहा। समान्तर संगठन का संचालन किया जाता रहा। जिससे विभिन्न प्रकार से हमारे कार्य में अवरोध उत्पन्न होता रहा।
उसके बावजूद 23902 बूथ कमेटियों में 18300 का हमने गठन किया, लेकिन पूरे 23902 बूथ कमेटियों का गठन नहीं कर पाया, जिसके लिए मैं स्वयं को जिम्मेदार मानता हूं। विधानसभा 2023 में कांग्रेस की हार का एक कारण मानता हूं। वर्तमान में गठित कमेटियों की सॉफ्ट व हार्ड कॉपी विनोद वर्मा जी के पास है, जो की संगठन की गोपनीय सम्पति है। उक्त सभी दस्तावेज पीसीसी लाया जाना सुनिश्चित किया जाए।