मामला सुकमा जिला अस्पताल का है।
जगदलपुर: छत्तीसगढ़ के सुकमा जिला अस्पताल में नवजात को बेचने का गोरखधंधा चल रहा है। गर्भवती की डिलीवरी के बाद एक स्टाफ नर्स आदिवासी महिलाओं से अपने बच्चे को बेचने सेटिंग करती थी। फिर नवजात को मोटी रकम में खरीददार को बेच देती थी। इसके लिए नवजात के परिजनों को 20 से 30 हजार रुपए दिए जाते थे। अब बाल संरक्षण अधिकारी से मामले की शिकायत के बाद स्टाफ नर्स की इस करतूत का खुलासा हुआ है। मामला सिटी कोतवाली क्षेत्र का है।
दरअसल, कुछ दिन पहले बाल संरक्षण अधिकारी को इस गोरखधंधा के खिलाफ गोपनीय शिकायत मिली थी। जिसके बाद से ही स्टाफ नर्स पर नजर रखी जा रही थी। अधिकारियों को पता चला था कि, रामाराम के कुड़केल गांव की एक गर्भवती महिला की 4 जनवरी को जिला अस्पताल में डिलीवरी हुई। जिसके बाद स्टाफ नर्स ने किरंदुल के एक दंपती को बच्चे बेचने के लिए करीब 3 लाख रुपए में सौदा किया। स्टाफ नर्स ने बच्चे की मां को इसके लिए करीब 20 से 30 हजार रुपए दिए।
बच्चे को साथ ले गई थी नर्स
पैसे देने के बाद नवजात को नर्स अपने साथ ले गई। फिर अपने घर में किरंदुल के दंपती को बुलाकर नवजात को उन्हें सौंप दी। बाल संरक्षण विभाग की टीम ने इस पूरे मामले की पड़ताल की। नवजात के परिजनों से मुलाकात कर पूरी जानकारी जुटाई गई। बाल संरक्षण अधिकारी ने इसकी रिपोर्ट सुकमा जिले के कलेक्टर हरीश एस को भी सौंपी थी। मामला उजागर होने के बाद स्टाफ नर्स को निलंबित कर दिया है।
पुलिस से की गई शिकायत
बाल संरक्षण अधिकारी जितेंद्र सिंह बघेल ने कहा कि मामले के संबंध में विभागीय जांच के बाद पुलिस थाना में FIR भी दर्ज करवाई गई है। अब सूत्र बता रहे हैं कि, पुलिस ने आज शुरूवार की सुबह नर्स को हिरासत में ले लिया है। जिससे पूछताछ की जा रही है। इस मामले में और भी कुछ लोग शामिल हो सकते हैं।
2012 से है जिला अस्पताल में पदस्थ
जिस स्टाफ नर्स की यह करतूत सामने आई है वह साल 2012 से जिला अस्पताल में पदस्थ है। विभागीय जांच में पता चला है कि नर्स इससे पहले भी कई आदिवासी महिलाओं की डिलीवरी के बाद उनके नवजातों को पड़ोसी राज्य ओडिशा और आंध्र प्रदेश में बेच चुकी है। इसके बारे में भी पता लगाय जा रहा है।