Friday, April 26, 2024
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CG: गरीबी इतनी कि दवा के बदले देशी दारू.. सड़क हादसे के बाद काटना पड़ा पैर; दर्द से तड़पते बेटे को राहत दिलाने शराब का सहारा

गरियाबंद: जिले के देवभोग के झराबहाल गांव में अपनी आर्थिक मजबूरियों के चलते परेशान पिता अपने बेटे को दवा के बदले देशी शराब पिलाने को मजबूर है। सड़क हादसे के बाद बेटे का पैर काटना पड़ गया। इलाज में सारे पैसे खर्च हो गए। अब दर्द से तड़पते बेटे को राहत दिलाने के लिए पिता को शराब का सहारा लेना पड़ रहा है।

जानकारी के मुताबिक, देवभोग ब्लॉक के ग्राम झराबहाल में रहने वाले गरीब मायाराम यादव के दो बेटे हैं। दोनों बेटे शादीशुदा खुशहाल जिंदगी बिता रहे थे। दोनों मजदूरी करते थे। इस बीच छोटे बेटे टंकधर यादव (31 वर्ष) के साथ 20 सितंबर 2022 को बड़ा हादसा हो गया। नेशनल हाईवे पर लापरवाही से गाड़ी चलाते हुए डोहेल निवासी युवक ने टंकधर को अपनी चपेट में ले लिया, जिससे वो गंभीर रूप से घायल हो गया। पुलिस ने स्थानीय लोगों की मदद से उसे तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया। इलाज से उसकी जान तो बच गई, लेकिन एक पैर काटना पड़ गया।

टंकधर यादव अपने परिवार के साथ।

टंकधर यादव अपने परिवार के साथ।

छोटे बेटे टंकधर के इलाज में सारी जमापूंजी खर्च हो गई। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों ने उसे देवभोग अस्पताल से रायपुर एम्स रेफर कर दिया था। जब वे एम्स पहुंचे, तो वहां अस्पताल ने 6 दिन की वेटिंग बताई। इधर पैर का इन्फेक्शन बढ़ता जा रहा था। बात घायल बेटे की जिंदगी की थी, तो उन्होंने बिना देर किए राजधानी के निजी अस्पताल में बेटे को भर्ती कराया। पैर में फैल गए इन्फेक्शन के कारण दायां पैर काटना पड़ गया। टंकधर के इलाज में करीब ढाई लाख रुपए खर्च हो गए। इलाज के लिए सोने-चांदी के गहने तक बेचने पड़ गए। साथ ही जमीन के 60 डिसमिल टुकड़े को भी गिरवी रखना पड़ा।

दिव्यांग टंकधर यादव।

दिव्यांग टंकधर यादव।

इलाज के 15 दिन बाद बेटा जब घर वापस लौटा, तो पति की देखभाल करने के बदले पत्नी मालती घर छोड़कर मायके चली गई और तब से वापस नहीं लौटी है। इस बीच बड़ा बेटा राजेश यादव (32 वर्ष) भी बीमार पड़ गया। गरियाबंद जिला अस्पताल में इलाज भी चला, लेकिन उसके बाद आधा-अधूरा इलाज करा कर राजेश घर लौट आया। 9 दिसंबर 2022 को उसकी मौत हो गई। कमाने वाले दो जवान बेटों के साथ हुई घटी घटना से परिवार अब संकट में आ गया है।

पिता बेटे को दे रहा शराब।

पिता बेटे को दे रहा शराब।

अब बूढ़े माता-पिता के ऊपर दिव्यांग बेटे की पूरी जिम्मेदारी आ गई है। बड़े बेटे की मौत और छोटे बेटे के पांव काटने के बाद बड़ी बहू, दो पोते, पत्नी की परवरिश का जिम्मा बूढ़े कंधों पर आन पड़ा है। वहीं छोटे बेटे की दवाईयों का खर्च हर एक-दो दिन पर 500-600 रुपए है। लेकिन पिता उसे खरीद पाने में असमर्थ है। पांव काटने के बाद उसके घाव को सुखाने, दर्द कम करने और ड्रेसिंग कराने के लिए हर एक दिन के बाद जाना पड़ता है। पैसे नहीं होने के कारण दवाई के अभाव में जब बेटा दर्द से तड़पने लगता है, तो पिता उसे देशी शराब पिला देता है, ताकि उसे नींद आ सके और थोड़ी देर के लिए वो राहत महसूस कर सके।

देवभोग स्वास्थ्य केंद्र।

देवभोग स्वास्थ्य केंद्र।

इधर बीएमओ डॉ सुनील रेड्डी ने कहा कि वे पूरे मामले से अनजान हैं। पीड़ित परिवार कभी भी उनके पास नहीं आया है। उन्होंने कहा कि इस तरह के केसेज़ को भर्ती कर के इलाज की पूरी सुविधा मौजूद है। एंटीबायोटिक भी पर्याप्त है, ड्रेसिंग भी किया जा सकता है। मामले का पता करवाता हूं, परिवार की यथासम्भव मदद का आश्वासन उन्होंने दिया है। बीएमओ ने ये भी कहा कि शराब पिलाना सही नहीं है। इससे चीजें और बिगड़ेंगी।

इधर जानकारी के अभाव में परिवार सरकारी योजनाओं का लाभ भी नहीं ले पा रहा है। उनके पास न तो आयुष्मान कार्ड है और न कोई पेंशन योजना। गरीबी रेखा कार्ड से मिलने वाला चावल ही सहारा है। घटना से जिला प्रशासन भी इत्तेफाक रखता है, पर परिवार सरकारी योजना से जुड़े, इसकी पहल ग्राम स्तर पर तैनात किसी भी जिम्मेदार ने नहीं की। परिवार एक निजी चिकित्सक की मदद से ड्रेसिंग करवा रहा है।

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