Thursday, July 3, 2025

CG-PSC की जांच रिपोर्ट हाई कोर्ट में पेश… राज्य शासन और आयोग ने कहा- नहीं मिली गड़बड़ी, 6 नवंबर तक बढ़ी अगली सुनवाई

बिलासपुर: हाईकोर्ट में भर्ती में गड़बड़ी को लेकर दायर याचिका पर सोमवार को राज्य सरकार और सीजी पीएसपी ने जवाब पेश कर दिया है। डिवीजन में बंद लिफाफे में राज्य शासन और आयोग ने जांच रिपोर्ट पेश किया है, जिस पर याचिकाकर्ता के वकील ने प्रतिजवाब (रिज्वाइंडर) प्रस्तुत करने के लिए के लिए दो सप्ताह का समय मांगा है। अब केस की सुनवाई 6 नवंबर को होगी। बताया जा रहा है कि जांच रिपोर्ट में भर्ती में कोई गड़बड़ी नहीं पाई गई है।

पिछली सुनवाई के दौरान राज्य शासन की तरफ से प्रकरण में सुनवाई के लिए समय मांगा गया था, जिसके बाद हाईकोर्ट ने 16 अक्टूबर तक मोहलत दी थी। सोमवार को सुनवाई के दौरान राज्य शासन की तरफ से कहा गया है कि सीजी पीएसपी की भर्ती की जांच कराई गई है।

आयोग के विशेषज्ञों की टीम ने इसकी जांच की है। वहीं, सीजी पीएससी की तरफ से बंद लिफाफे में जांच रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश किया गया है, जिसकी प्रति याचिकाकर्ता और हस्तक्षेप याचिकाकर्ताओं के वकीलों को दी गई है।

जांच रिपोर्ट में नहीं मिली गड़बड़ी
बताया जा रहा है कि याचिका में जिस तरह से आरोप लगाए गए है, उसके उलट जांच रिपोर्ट आया है। रिपोर्ट में प्रत्येक नियुक्ति की जांच करने का दावा किया गया है। लेकिन, इसमें किसी तरह की कोई गड़बड़ी सामने नहीं आई है।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता भाजपा नेता ननकी राम कंवर के वकील ने प्रतिजवाब प्रस्तुत करने के लिए समय मांगा। इस पर कोर्ट ने मामले की सुनवाई 6 नवंबर तक बढ़ा दिया है।

भर्ती में फर्जीवाड़ा करने का है आरोप

CG-PSC 2021-22 फर्जीवाड़ा और नियुक्ति रद्द करने की मांग को लेकर पूर्व गृहमंत्री और विधायक ननकी राम कंवर ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। याचिका में पीएससी की ओर से भर्ती प्रक्रिया में फर्जीवाड़ा का आरोप लगाया गया है। साथ ही 18 चयनित उम्मीदवारों की सूची भी कोर्ट के सामने पेश की है।

इस लिस्ट में पीएससी के तत्कालीन अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी के 5 से ज्यादा करीबी रिश्तेदारों को नियुक्ति देने का आरोप है। जिसमें डिप्टी कलेक्टर समेत कई अहम पद हैं। इसके साथ ही राज्य लोक सेवा आयोग के सचिव अमृत खलखो के बेटी और बेटे, मुंगेली के तत्कालीन कलेक्टर एल्मा के बेटे, कांग्रेस नेता राजेंद्र शुक्ला के बेटे, बस्तर नक्सल ऑपरेशन डीआईजी की बेटी सहित कई लोगों को गलत तरीके से सिलेक्शन करने का आरोप है।

18 लोगों की सूची पेश की गई
सूची पेश करते हुए आरोप लगाया गया है कि, यह सभी नियुक्तियां प्रभाव के चलते पिछले दरवाजे से कर दी गई हैं। उन उम्मीदवारों के भविष्य के साथ धोखा किया गया है, जिनकी नियुक्ति होनी थी। नियुक्तियों को रद्द करने और दोषी अधिकारियों के खिलाफ उच्च स्तरीय जांच की मांग की गई है।

हाईकोर्ट ने जताई थी आपत्ति, शासन ने कहा था जांच कराएंगे
जनहित याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा था कि अधिकारी का बेटा शीर्ष पद पर चयनित हो सकता है, लेकिन इस तरह का संयोग बहुत गलत और दुखद है। इस टिप्पणी के साथ डिवीजन बेंच ने राज्य शासन की ओर से पैरवी कर रहे विधि अधिकारी से पूछा था कि क्या ये सारी नियुक्तियां हो चुकी हैं। ज्वॉइनिंग दी जा चुकी है?

राज्य शासन की तरफ से बताया गया कि अब तक 5 चयनित उम्मीदवार की ही ज्वॉइनिंग हुई है, जिस पर हाईकोर्ट ने कहा कि, इन नियुक्तियों तो रोका नहीं जा रहा, लेकिन फैसले का असर जरूर इन नियुक्ति पर पड़ेगा।

साथ ही बाकी उम्मीदवारों की नियुक्ति पर रोक भी लगा दी है। वहीं सुनवाई के दौरान शासन की तरफ से कहा गया था कि हम मामले की जांच करा रहे हैं, जिस पर डिवीजन बेंच ने जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा था।


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