Sunday, April 28, 2024
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CG: पत्नी की मौत के गम में दर-दर भटक रहा था.. महीनों से नहाया नहीं था शख्स, युवाओं ने बाल-दाढ़ी काटकर बुजुर्ग को खिलाया अच्छा खाना

Raipur: रायपुर की सड़कों पर आवारा बेघर घूमते बहुत से लोग दिख जाते हैं। कोई कभी इनका हाल नहीं पूछता। कुछ लोग 10-5 रुपए देकर या खाना खिलाकर मदद कर देते हैं। ऐसे ही एक शख्स की रायपुर के कुछ युवाओं की टोली ने मदद की। मामला रायपुर के रेलवे स्टेशन के पास का है। एक बुजुर्ग को जब अपने पन का अहसास मिला तो अपने आप उसके दोनों हाथ दुआ देने के लिए उठ गए।

दरअसल एक बुजुर्ग रेलवे स्टेशन पर भीख मांगता दिखा। रायपुर की सामाजिक संस्था ‘कुछ फर्ज हमारा भी’ के फाउंडर नितिन राजपूत की नजर उस बुजुर्ग पर पड़ी। नितिन ने करीब जाकर देखा तो बुजुर्ग कई महीनों से नहाया नहीं था, कपड़े मैले हो चुके थे। बालों में गंदगी थी। दाढ़ी बढ़ गई थी। शरीर से बेहद कमजोर हो चुके इस शख्स को गंदगी की वजह से और बिमारियां भी घेर लेतीं, नितिन ने बातचीत कर बुजुर्ग को भरोसे में लिया।

बुजुर्ग की हेयर कटिंग भी की गई।

बुजुर्ग की हेयर कटिंग भी की गई।

नितिन ने बताया कि पहले तो वो बुजुर्ग डर गए थे, तब हमने बात करके उन्हें सहज किया। वो खाना मांग रहे थे। हमने कहा कि खाने का बंदोबस्त कर देंगे। मगर आपको नहाना होगा। इसके बाद नितिन ने अपनी संस्था के सहयोगी के साथ मिलकर बुजुर्ग को नहलाया। शेविंग की। उन्हें साफ-सुथरे कपड़े दिए। जब लुक पूरी तरह से बदल गया तो आराम से बुजुर्ग ने बैठकर खाना खाया। आइने में खुद को देखकर मुस्कान भी चेहरे पर आई और आर्शीवाद दिया।

बुजुर्ग की शेविंग करते टीम।

बुजुर्ग की शेविंग करते टीम।

पत्नी के मौत का गम
बुजुर्ग ने बताया कि – मेरा गांव तो माना बस्ती के आगे है, मेरा नाम नेतराम साहू है। पत्नी की कुछ महीने पहले मौत हो गई, बच्चे नहीं हैं। मेरा घर भी नहीं है। इसलिए यूं ही भटककर भीख मांगकर गुजारा करता हूं। नितिन ने बताया कि बाबा को नहलाने, उनका लुक बदलने के बाद हमने उनसे किसी आश्रम या आश्रय स्थल पर रहने को भी कहा, मगर वो नहीं माने। युवकों की टीम स्टेशन के पास फुटपाथ पर रहने वाले इस बुजुर्ग के संपर्क में है। वो सुरक्षित जगह पर रहने के लिए उनकी काउंसलिंग कर रहे हैं।

हर रोज भोजन सेवा, कंप्यूटर क्लास भी
नितिन ने बताया कि हर रोज 100 से अधिक लोगों के नि:शुल्क भोजन का बंदोबस्त करते हैं। अपनी संस्था के बैनर तले वो भोजन सेवा का अभियान चला रहे हैं। शहर के अलग-अलग अस्पताल के बाहर मरीजों के परिजनों के लिए खाने का बंदोबस्त करते हैं। उनकी संस्था नि:शुल्क कंप्यूटर क्लास भी चला रही है। जहां महिलाओं को कंप्यूटर सिखाकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है।

शख्स को खाना खिलाते नितिन और उनकी टीम।

शख्स को खाना खिलाते नितिन और उनकी टीम।

महिलाओं के झगड़े से आया आईडिया
नितिन ने बताया कि 23 मई 2018 को उन्होंने रायपुर में ही दो महिलाओं को लड़ते हुए देखा। ये दोनों महिलाएं एक दूसरे पर आरोप लगा रहीं थीं कि उन्होंने उनके घरों के बाहर कचरा फेंका है। ये बात आम थी मगर हर गली मुहल्ले की कहानी थी। नितिन ने बताया कि इसके बाद मैंने सार्वजनिक जगहों पर गंदगी साफ करने का अभियान शुरू किया। इसके बाद से भोजन, अन्नदान, कौशल विकास, बेघर बेसहारा लोगों को मदद पहुंचाकर कुछ फर्ज हमारा भी निभा रहा हूं।

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