Monday, May 20, 2024
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Chhattisgarh : 18 दिन की दुधमुंही बच्ची को गर्म सलाखों से दागा, पीलिया होने पर बैगा के पास ले गए थे परिजन; नवजात की हालत बिगड़ी

जशपुर: जिले के पत्थलगांव के मुड़ापारा गांव में 18 दिन की दुधमुंही बच्ची को लोहे की गर्म सलाखों से दागने का मामला सामने आया है। बच्ची की हालत जब बिगड़ने लगी, तो माता-पिता उसे लेकर अस्पताल पहुंचे। पत्थलगांव के निजी हॉस्पिटल में उसका इलाज जारी है।

जानकारी के मुताबिक, ग्राम पंचायत मुड़ापारा के करंगाबहला गांव में नरेश मिंज के घर 18 दिन पहले बेटी पैदा हुई तो उसे हल्का पीलिया था। बच्ची का पेट भी फूल गया था। जिसके बाद माता-पिता बच्ची को अस्पताल न ले जाकर बैगा के पास झाड़-फूंक के लिए ले गए।

बैगा ने झाड़-फूंक के बाद दुधमुंही बच्ची के पूरे पेट को गर्म सलिया से दाग दिया। इसके बाद बच्ची की तबीयत खराब होने लगी।

पत्थलगांव के निजी अस्पताल में डॉक्टर से बच्ची की जांच कराती मां।

पत्थलगांव के निजी अस्पताल में डॉक्टर से बच्ची की जांच कराती मां।

बच्ची की हालत बिगड़ी, तब अस्पताल ले गए

बच्ची के पूरे पेट पर दागने के गहरे निशान दिखाई देने लगे, साथ वो लगातार रो रही थी। जब बच्ची की हालत बिगड़ने लगी, तो माता-पिता उसे लेकर पत्थलगांव के एक निजी अस्पताल पहुंचे। यहां बच्ची का इलाज किया गया है। शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ बीएल भगत ने कहा कि ग्रामीण इलाके में पीलिया को अलसी कहते हैं। लक्षण दिखाई देने पर परिवार वाले बच्चों को बैगा के पास ले जाते हैं।

हालत बिगड़ने पर बच्ची को अस्पताल लेकर पहुंचे माता-पिता।

हालत बिगड़ने पर बच्ची को अस्पताल लेकर पहुंचे माता-पिता।

पेट को दागने के बाद बिगड़ी बच्ची की हालत

डॉक्टर के मुताबिक इस मामले में भी ऐसा ही हुआ है। बच्ची के पूरे पेट में दागा गया है। डॉक्टर ने बताया कि उन्होंने पहले भी लोगों को जागरूक किया है, कि अगर बच्चे बीमार पड़ें, तो इलाज के लिए सीधे अस्पताल आएं। झाड़-फूंक के चक्कर में बच्चों की जान को जोखिम में न डालें।

18 महीने की बच्ची को गर्म लोहे से दागा गया।

18 महीने की बच्ची को गर्म लोहे से दागा गया।

चिकित्सा अधिकारी ने कड़ी कार्रवाई की कही बात

वहीं BMO डॉ जेम्स मिंज ने बताया कि समय-समय पर बैगा-गुनिया की बैठक लेकर उन्हें समझाइश दी जाती है कि अगर उनके पास कोई मरीज आता है, तो वे उसे अस्पताल भेजें। उन्हें गुमराह कर गलत इलाज न करें। इससे मरीज की जान भी जा सकती है। उन्होंने कहा कि बच्ची को गर्म सलाखों से दागने का मामला सामने आया है, वह आरोपी बैगा पर कड़ी कार्रवाई करेंगे।

अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ दिनेश मिश्र।

अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ दिनेश मिश्र।

बीमार को सलाखों से दागना इलाज नहीं, अंधविश्वास है
अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ दिनेश मिश्र ने कहा ग्रामीण अंचल से इलाज के नाम पर बच्चों को गर्म सलाखों और अगरबत्ती से दागने के कई मामले सामने आए हैं। जबकि यह अंधविश्वास है, ऐसे बैगाओं पर कार्रवाई होनी चाहिए।

डॉ मिश्र ने बताया कुछ दिनों से छत्तीसगढ के ग्रामीण अंचलों से बच्चों के बीमार होने पर उन्हें गर्म सलाखों से दागने के मामले सामने आए हैं। महासमुंद और देवभोग से भी पीलिया के कारण नवजात शिशुओं को गर्म सलाखों से दागने की घटनाएं सामने आई थीं।

उन्होंने कहा कि सलाखों से दागना इलाज नहीं, अंधविश्वास है। नवजात बच्चों में शुरुआती दिनों में सर्दी, खांसी ,बुखार, निमोनिया की शिकायत आती है। ऐसे में डॉक्टर को दिखाएं न की बैगा को।

Muritram Kashyap
Muritram Kashyap
(Bureau Chief, Korba)
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